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मंगलवार, नवम्बर 4, 2025

जय जगदीश हरे प्रभु जय जगदीश हरे | Jai Jagdish Hare Prabhu Jai Jagdish Hare

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जय जगदीश हरे प्रभु जय जगदीश हरे – Jai Jagdish Hare Prabhu Jai Jagdish Hare Lyrics

जय जगदीश हरे, प्रभु ! जय जगदीश हरे ! मायातीत, महेश्वर, मन-वच-बुद्धि परे ॥ टेक ॥

आदि, अनादि, अगोचर, अविचल, अबिनाशी।

अतुल, अनंत, अनामय, अमित शक्ति-राशी ॥१॥ जय०

अमल, अकल, अज, अक्षय, अव्यय, अविकारी ।

सत-चित-सुखमय, सुंदर, शिव, सत्ताधारी ॥२॥ जय०

विधि, हरि, शंकर, गणपति, सूर्य, शक्तिरूपा ।

विश्व-चराचर तुमहीं, तुमहीं जग-भूपा ॥३॥ जय०

माता-पिता-पितामह-स्वामि-सुहृद-भर्ता ।

विश्वोत्पादक-पालक-रक्षक-संहर्ता ॥४॥ जय०

साक्षी, शरण, सखा, प्रिय, प्रियतम, पूर्ण, प्रभो ।

केवल, काल, कलानिधि, कालातीत, विभो ॥५॥ जय०

राम-कृष्ण, करुणामय, प्रेमामृत-सागर ।

मनमोहन, मुरलीधर, नित-नव, नटनागर ॥६॥ जय०

सब विधि हीन, मलिनमति, इम अति पातकिजन ।

प्रभु-पद-विमुख अभागी, कलि-कषित तन-मन ॥७॥

जय० आश्रय-दान दयार्णव ! हम सबको दीजे ।

पाप-ताप हर हरि ! सब, निज-जन कर लीजे ||८|| जय०

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