23.3 C
Gujarat
गुरूवार, नवम्बर 21, 2024

श्री जाहरवीर चालीसा

Post Date:

श्री जाहरवीर चालीसा Shri Jaharveer Chalisa

|| दोहा ||

सुवन केहरी जेवर सुत महाबली रनधीर।
बन्दों सुत रानी बाछला विपत निवारण वीर ॥
जय जय जय चौहान वन्स गूगा वीर अनूप।
अनंगपाल को जीतकर आप बने सुर भूप ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय जाहर रणधीरा, पर दुख भंजन बागड़ वीरा।
गुरु गोरख का हे वरदानी, जाहरवीर जोधा लासानी।

गौरवरण मुख महा विसाला, माथे मुकट घुंघराले बाला।
कांधे धनुष गले तुलसी माला, कमर कृपान रक्षा को डाला।

जन्में गूगावीर जग जाना, ईसवी सन हजार दरमियाना ।
बल सागर गुण निधि कुमारा, दुखी जनों का बना सहारा।

बागड़ पति बाछला नन्दन, जेवर सुत हरि भक्त निकन्दन ।
जेवर राव का पुत्र कहाये, माता पिता के नाम बढ़ाये ।

पूरन हुई कामना सारी, जिसने विनती करी तुम्हारी।
सन्त उबारे असुर संहारे, भक्त जनों के काज संवारे ।

गूगावीर की अजब कहानी, जिसको ब्याही श्रीयल रानी।
बाछल रानी जेवर राना, महादुखी थे बिन सन्ताना।

भंगिन ने जब बोली मारी, जीवन हो गया उनको भारी।
सूखा बाग पड़ा नौलक्खा, देख-देख जग का मन दुक्खा।

कुछ दिन पीछे साधू आये, चेला चेली संग में लाये।
जेवर राव ने कुआ बनवाया, उद्घाटन जब करना चाहा।

खारी नीर कुए से निकला, राजा रानी का मन पिघला ।
रानी तब ज्योतिषी बुलवाया, कौन पाप मैं पुत्र न पाया।

कोई उपाय हमको बतलाओ, उन कहा गोरख गुरु मनाओ।
गुरु गोरख जो खुश हो जाई, सन्तान पाना मुश्किल नाई।

बाछल रानी गोरख गुन गावे, नेम धर्म को न बिसरावे ।
करे तपस्या दिन और राती, एक वक्त खाय रूखी चपाती।

कार्तिक माघ में करे स्नाना, व्रत इकादसी नहीं भुलाना।
पूरनमासी व्रत नहीं छोड़े, दान पुण्य से मुख नहीं मोड़े।

चेलों के संग गोरख आये, नौलखे में तम्बू तनवाये।
मीठा नीर कुए का कीना, सूखा बाग हरा कर दीना ।

मेवा फल सब साधु खाए, अपने गुरु के गुन को गाये।
औघड़ भिक्षा मांगने आए, बाछल रानी ने दुख सुनाये।

औघड़ जान लियो मन माहीं, तप बल से कुछ मुश्किल नाहीं।
रानी होवे मनसा पूरी, गुरु शरण है बहुत जरूरी।

बारह बरस जपा गुरु नामा, तब गोरख ने मन में जाना।
पुत्र देन की हामी भर ली, पूरनमासी निश्चय कर ली।

काछल कपटिन गजब गुजारा, धोखा गुरु संग किया करारा।
बाछल बनकर पुत्र पाया, बहन का दरद जरा नहीं आया।

औघड़ गुरु को भेद बताया, तब बाछल ने गूगल पाया।
कर परसादी दिया गूगल दाना, अब तुम पुत्र जनो मरदाना ।

लीली घोड़ी और पण्डतानी, लूना दासी ने भी जानी।
रानी गूगल बाट के खाई, सब बांझों को मिली दवाई।

नरसिंह पंडित लीला घोड़ा, -रूप विकट धर सब ही डरावे,
भादों कृष्ण जब नौमी आई, विवाह हुआ गुगा भये राना,

रानी श्रीयल संग परे फेरे, अरजन सरजन काछल जने,
भज्जु कुतवाल जना रणधीरा। जाहरवीर के मन को भावे।

जेवरराव के बजी बधाई। संगलदीप में बने मेहमाना।
जाहर राज बागड़ का करे। गूगा वीर से रहे वे तने।

दिल्ली गए लड़ने के काजा, अनंग पाल चढ़े महाराजा ।
उसने घेरी बागड़ सारी, जाहरवीर न हिम्मत हारी।

अरजन सरजन जान से मारे, अनंगपाल ने शस्त्र डारे।
चरण पकड़कर पिण्ड छुड़ाया, सिंह भवन माड़ी बनवाया।

उसीमें गूगावीर समाये, गोरख टीला धूनी रमाये।
पुण्य वान सेवक वहाँ आये, तन मन धन से सेवा लाए।

मन्सा पूरी उनकी होई, गूगावीर को सुमरे जोई।
चालीस दिन पढ़े जाहर चालीसा, सारे कष्ट हरे जगदीसा।

दूध पूत उन्हें दे विधाता, कृपा करे गुरु गोरखनाथ।


कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

अंगारक नामावली स्तोत्रम् Angaraka Namavali Stotram

अंगारक नामावली स्तोत्रम् Angaraka Namavali Stotramhttps://youtu.be/YIwnTBfgG6c?si=x85GbFT0sA-aHA13अंगारक नामावली स्तोत्रम् एक...

चंद्र कवचम् Chandra Kavacham

चंद्र कवचम् Chandra Kavachamhttps://youtu.be/J9ejFmCLzWI?si=KTCgWqu5p7tWj5G5गौतम ऋषि द्वारा रचित चंद्र कवचम्...

बुध कवचम् Budha Kavacham

बुध कवचम् Budha Kavachamबुध कवचम् एक महत्वपूर्ण वैदिक स्तोत्र...

बृहस्पति कवचम् Brihaspati Kavacham

बृहस्पति कवचम् Brihaspati Kavachamबृहस्पति कवचम् एक धार्मिक स्तोत्र है,...
error: Content is protected !!