जगतमैं कीजै यौं व्यवहार लीरिक्स
Jagatmain Kijai Youn Vyavahar Lyrics
जगतमैं कीजै यौं व्यवहार ।
अखिल जगत हरिमय बिचारि मन, कीजै सबसौं प्यार ||
मात-पिता-गुरुजन-पद बंदिय श्रद्धासहित उदार ।
फल बिहाय, तिनकी आग्या सौं कीजै सब आचार ।।
देस-जाति, कुल-कुटुंब नारि-सुत, सुहृद, देह, परिवार।
जथाजोग सचकी सेवा नित कीजै स्वार्थ बिसार ।।
बरनाश्रम-अनुकूल करम सब कीजै विधि अनुसार ।
फल-कामना-बिहीन, किंतु केवल करतब्य बिचार ।।