24.6 C
Gujarat
बुधवार, अक्टूबर 8, 2025

इस अखिल विश्वमें भरा एक तू ही तू | Is Akhil Vishvamen Bhara Ek Tu Hi Tu

Post Date:

इस अखिल विश्वमें भरा एक तू ही तू

Is Akhil Vishvamen Bhara Ek Tu Hi Tu

 

इस अखिल विश्वमें भरा एक तू ही तू। तुझमें मुझमें ‘तू’, मैं ‘तू’ तू ‘तू’ ही त् ॥

नभमें तू, जल थल वायु अनलमें भो तू । मेघध्वनि, दामिनि, वृष्टि प्रबलमें भी तू ।।

सागर अथाह, सरिता-प्रवाहमें भी शशि-शीतलता, दिनकर-प्रदाहमें भी तू । तू ॥

बन सघन, पुष्प-उद्यान मनोहरमें प्रस्फुटित कुसुम-रस-लीन भ्रमरमें भी तू । तू ॥

है सत्य-असत, विष-अमृत, विनय-मदमें तू । शुभ क्षमा-तेज, अति विपद-सुसंपदमें तू ॥

मृदु हास्य सरल, अति तीव्र रुदन-रवमें तू । चिरशांति, क्रांति, अति भीषण विप्लवमें तू ॥

है प्रकृति-पुरुष, पुरुषोत्तम-मायामें तू । अति असह धूप, सुखदायक छायामें तू ॥

नारी-अंतर, शिश्नु सुखद बदनमें भी कामारि, कुसुमसरपाणि मदनमें भी तू । तू ॥

बन अंधकार, उज्ज्वल प्रकाशमें भी जड़ मूढ़ प्रकृति, अतिमति-विकासमें भी तू । त् ॥

है साध्वी घरनी, कुलटा-गणिकामें भी है गुँथा सूत, माला, मणिकामें भी तू । तू ॥

तू पाप-पुण्यमें, नरक-स्वर्गमें भी पशु-पक्षि, सुरासुर, मनुजवर्गमें भी तू । तू ॥

है मिट्टी-लोह, चतुराश्रममें तू, है घनी-रंक, पषाण-स्वर्णमें भी तू । तू । ॥

चतुर्वर्णम भी ज्ञानी-अज्ञानी में है निरभिमानमें, अति अभिमानीमें तू । तू ॥

है बाल-वृद्ध, नर-नारि, नपुंसकमे अति करुणहृदयमें, निर्दय हिंसकमें तू । तू ॥

शत्रु-मित्रमें, बाहरमें घरमें है ऊपर, नीचे, मध्य, ‘हाँ’ में, ‘ना’ में तू, चराचरमें तू । तू ॥

‘तू’ में, ‘मैं’ में, ‘तू’ तू । हूँ तू, तू तू, तू तू तू, बस तू ही तू ॥

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

હો દેવી અન્નપૂર્ણા | Ho Devi Annapurna

હો દેવી અન્નપૂર્ણા | Ho Devi Annapurnaમાં શંખલ તે...

ऋग्वेद हिंदी में

ऋग्वेद हिंदी में | Rigveda in Hindiऋग्वेद (Rigveda in...

गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र – श्री विष्णु (Gajendra Moksham Stotram)

गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र - Gajendra Moksham Stotramश्रीमद्धागवतान्तर्गत गजेन्द्रकृत भगवानका...

श्री शनि चालीसा

Shani Chalisaशनि चालीसा हिंदू धर्म में एक लोकप्रिय प्रार्थना...
error: Content is protected !!