इन्द्रकृत रामस्तोत्रम् Indrakrit Shri Ram Stotra Lyrics
इन्द्रकृत रामस्तोत्रम् एक प्रसिद्ध हिंदू स्तोत्र है, जिसे भगवान इन्द्र ने भगवान श्रीराम की स्तुति करने के लिए रचा था। इस स्तोत्र की रचना रामायण काल से संबंधित है और इसका उल्लेख रामायण के विभिन्न संस्करणों में मिलता है। यह स्तोत्र भगवान राम के महान गुणों, उनकी शक्ति, करुणा, और धर्म पर आधारित है। इसकी शरणागत भक्तों के संकट दूर करने की महिमा बहुत व्यापक मानी जाती है।
इन्द्रकृत रामस्तोत्रम् का पौराणिक संदर्भ:
जब भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त कर रावण का वध किया, तब सभी देवताओं ने भगवान राम की विजय का उत्सव मनाया। रावण के अत्याचार से पीड़ित इन्द्र, जो देवताओं के राजा हैं, उन्होंने भगवान राम की महिमा गाई और उनकी स्तुति की। इसी स्तुति को “इन्द्रकृत रामस्तोत्रम्” के नाम से जाना जाता है।
स्तोत्र की महिमा:
इन्द्रकृत रामस्तोत्रम् को भगवान राम की कृपा प्राप्त करने का सशक्त साधन माना जाता है। यह स्तोत्र भक्तों के संकट, भय, और दुखों को दूर करता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से व्यक्ति को शत्रुओं से मुक्ति मिलती है और उसके जीवन में समृद्धि आती है। इसके अलावा, इसे पाठ करने से भगवान राम के दिव्य गुणों और उनके जीवन की शिक्षाओं का स्मरण होता है, जो व्यक्ति को धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
इन्द्रकृत रामस्तोत्रम् का स्वरूप:
इस स्तोत्र में भगवान राम के विभिन्न नामों, गुणों और उनकी महानता का वर्णन किया गया है। इन्द्र ने भगवान राम को सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, और संसार के पालनकर्ता के रूप में पूजित किया है। स्तोत्र में यह भी कहा गया है कि जो भक्त सच्चे हृदय से इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसे भगवान राम की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।
इन्द्रकृत रामस्तोत्रम् का लाभ:
- शत्रुनाशक: यह स्तोत्र शत्रुओं से मुक्ति दिलाने में अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
- संकट निवारण: इन्द्रकृत रामस्तोत्रम् का पाठ करने से सभी प्रकार के संकट और परेशानियाँ दूर हो जाती हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति: भगवान राम के गुणों का ध्यान करने से व्यक्ति के भीतर सद्गुणों का विकास होता है और वह आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर होता है।
- सुख और शांति: इस स्तोत्र का नियमित पाठ जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है।
- भय का नाश: जिन लोगों के जीवन में अकारण भय है, वे इस स्तोत्र के पाठ से भयमुक्त हो सकते हैं।
इन्द्रकृत रामस्तोत्रम् का पाठ कैसे करें:
- इसका पाठ सूर्योदय के समय करना सबसे उत्तम माना जाता है।
- इसे करने से पहले भगवान राम का ध्यान कर, उनके चरणों में समर्पित भाव से इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
- शुद्ध मन और शुद्ध स्थान पर बैठकर इसका पाठ करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
- इसे निरंतर पाठ करने से भगवान राम की विशेष कृपा मिलती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं।
इन्द्रकृत रामस्तोत्रम् का पाठ करने के नियम:
- यह स्तोत्र श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाना चाहिए।
- सप्ताह के किसी भी दिन इसका पाठ किया जा सकता है, परंतु मंगलवार और शनिवार को विशेष फलदायी माना जाता है।
- इसे करने के लिए शुद्ध वस्त्र पहनें और आसन पर बैठकर भगवान राम के समक्ष दीप प्रज्वलित करें।
इन्द्रकृत रामस्तोत्रम् का पाठ
श्रीगणेशाय नमः ।
इन्द्र उवाच ।
भजेऽहं सदा राममिंदीवराभं भवारण्यदावानलाभाभिधानम् ।
भवानीह्रदा भावितानन्दरूपं भवाभावहेतुं भवादिप्रपन्नम् ॥ १ ॥
सुरानीकदुःखौघनाशैकहेतुं नराकारदेहं निराकारमीड्यम् ।
परेशं परानंदरूपं वरेण्यं हरिं राममीशं भजे भारनाशम् ॥ २ ॥
प्रपन्नाखिलानंददोहं प्रपन्नं प्रपन्नार्तिनिःशेषनाशाभिधानम् ।
तयोयोगयोगीशभावाभिभाव्यं कपीशादिमित्रं भजे राममित्रम् ॥ ३ ॥
सदा भोगभाजां सुदुरे विभातं सदा योगभाजामदूरे विभातम् ।
चिदानन्दकंदं सदा राघवेशं विदेहात्मजानंदरूपं प्रपद्ये ॥ ४ ॥
महायोगमायाविशेषानुयुक्तो विभासीश लीलानराकारवृत्तिः ।
त्वदानंदलीलाकथापूर्णकर्णाः सदानंदरूपा भवंतीह लोके ॥ ५ ॥
अहं मानपानाभिमत्तप्रमत्तो न वेदाखिलेशाभिमानाभिमानः ।
इदानीं भवत्पादपद्मप्रसादात्रिलोकाधिपत्याभिमानोविनिष्टः ॥ ६ ॥
स्फुरद्रत्नकेयूरहाराभिरामं धराभारभूतासुरानीकदावम् ।
शरच्चंद्रवक्त्रं लसत्पद्मनेत्रं दुरावारपारं भजे राघवेशम् ॥ ७ ॥
सुराधीशनीलाभ्रनीलांगकांति विराधादिरक्षोवधाल्लोकशांतिम् ।
किरीटादिशोभं पुरारातिलाभं भजे रामचन्द्रं रघूणामधीशम् ॥ ८ ॥
सच्चंद्रकोटिप्रकाशादिपीठे समासीनमंके समाधाय सीताम् ।
स्फुरद्धेमवर्णां तडित्पुंजभासां भजे रामचन्द्रं निवृत्तार्त्तितन्द्रम् ॥ ९ ॥
इति श्रीमदध्यात्मरामायणे युद्धकाण्डे इन्द्रकृतं रामस्तोत्रं संपूर्णम् ।