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बुधवार, दिसम्बर 3, 2025

होगा कब वह सुदिन समय शुभ मायावी मन बनकर दीन – Hoga Kab Vah Sudin Samay Shubh

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होगा कब वह सुदिन समय शुभ मायावी मन बनकर दीन – प्रार्थना

Hoga Kab Vah Sudin Samay Shubh Lyrics

होगा कब वह सुदिन समय शुभ, मायावी मन बनकर दीन ।

मोहमुक्त हो हो जायेगा, पावन प्रभु-चरणोंमें लीन ॥ १ ॥

कच जगकी झूठी बातोंसे, हो जावेगी घृणा इसे ।

कब समझेगा उसे भयानक, मान रहा रमणीय जिसे ॥ २ ॥

कब गुरु चरणोंकी रजको यह, निज मस्तकपर धारेगा ।

काम-क्रोध-लोभादि कब वैरियोंको, हठसे मारेगा ॥ ३ ॥

पुण्यभूमि ऋषिसेवितमें कब, होगा इसका निर्जन-वास ।

गंगाकी पुनीत धारासे कब सब अघका होगा नास ॥ ४ ॥

कब छोड़ेंगी सबल इन्द्रियाँ अपने विषयोंमें रमना ।

कभ सीखेंगी उलटी आकर अन्तरमें उसके जमना ॥ ५ ॥

कच साधनके प्रखर तेजसे सारा तम मिट जायेगा ।

कच मन विषयविमुख हो हरिकी विमल भक्तिको पायेगा ।। ६ ।।

धन-जन-पदकी प्रबल लालसा कष्टमयी क मान-बड़ाई।

‘मैं मेरे’ की छूटेगी फाँसी कब यह टूटेगी ।॥ ७ ॥

कब यह मोह-स्वप्न छूटेगा, कब प्रपंचका होगा बाध ।

परवैराग्य प्रकट कब होगा, कब सुख होगा इसे अगाध ॥ ८ ॥

कब भवभयके कारण मिथ्या अहंकारका होगा नास ।

कब सच्चा स्वरूप दीखेगा, छूट जायगा देहा ध्यास || ९ ||

कब सबके आधार एक भूमा- सुखका मुख दोखेगा ।

कब यह सब भेदोंमें नित्य अभेद देखना सीखेगा ॥१०॥

कत्र प्रतिबिम्ब बिम्ब होगा, कब नहीं रहेगा चित-आभास ।

निजानन्द निर्मल अज अव्ययमें कत्र होगा नित्य निवास ॥११॥

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