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बुधवार, नवम्बर 5, 2025

हे निर्गुण हे सर्वगुणाश्रय हे निरुपम है उपमामय – He Nirgun He Sarvagunashray He Nirupam

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हे निर्गुण हे सर्वगुणाश्रय हे निरुपम है उपमामय

He Nirgun He Sarvagunashray He Nirupam Lyrics

हे निर्गुण ! हे सर्वगुणाश्रय ! हे निरुपम ! है उपमामय । हे अरूप ! हे सर्वरूपमय ! हे शाश्वत ! हे शान्तिनिलय ! ।। १ ।।

हे अज ! आदि ! अनादि ! अनामय ! हे अनन्त ! हे अविनाशी ! हे सच्चित-आनन्द, ज्ञानघन, द्वेतहीन, घट-घट-वासी ! ॥ २ ॥

हे शिव, साक्षी, शुद्ध, सनातन, सर्वरहित, हे सर्वाधार ! हे शुभर्मान्दर, सुन्दर, हे शुचि, सौम्य, साम्यमति, रहितविकार ! ।।३।।

हे अन्तर्यामी ! अन्तरतम, अमल, अचल, हे अकल, अपार ! हे निरीह, हे नर-नारायण, नित्य, निरञ्जन, नव, सुकुमार ! ||४||

हे नव-नीरद-नील नराकृति, निराकार, हे नोराकार ! हे समदर्शी, संत-सुखाकर, हे लीलामय प्रभु साकार ! ॥ ५ ॥

हे भूमा, हे विभु, त्रिभुवनपति, सुरपति, मायापति, भगवान ! हे अनाथपति, पतित-उधारन, जन-तारन, हे दयानिधान ! ॥ ६ ॥

हे दुर्बलकी शक्ति, निराश्रयके आश्रय, हे दीनदयाल ! हे दानी हे प्रणतपाल, हे शरणागतवत्सल, जनपाल !।। ७ ।।

हे केशव ! हे करुणासागर ! हे कोमल, अति सुहृद महान ! करुणा कर अब उभय अभय- चरणोंमें हमें दीजिये स्थान ॥ ८ ॥

सुर-मुनि-वन्दित कमलानन्दित चरण-धूलि तब मस्तक धार । परम सुखी हम हो जायेंगे, होंगे सहज भवार्णव पार ॥ ९ ॥

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