गोमती स्तुति (Gomati Stuti In Hindi)
गोमती स्तुति(Gomati Stuti) माँ गोमती नदी की स्तुति करने वाला एक पवित्र संस्कृत स्तोत्र है। यह स्तुति देवी गोमती की महिमा का वर्णन करती है और उनके दिव्य गुणों की प्रशंसा करती है। हिंदू धर्म में, गोमती नदी को अत्यंत पवित्र माना गया है और यह मान्यता है कि इसमें स्नान करने या इसकी स्तुति करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गोमती नदी का धार्मिक महत्व
- गोमती नदी को गंगा की पुत्री माना जाता है और यह उत्तर प्रदेश में बहने वाली एक प्रमुख नदी है।
- यह द्वारका (गुजरात) में समुद्र में मिलती है, जिसे विशेष रूप से पवित्र माना जाता है।
- यह मान्यता है कि जो भी व्यक्ति गोमती नदी में स्नान करता है या इसकी स्तुति करता है, वह अपने पापों से मुक्त हो जाता है।
- कई धार्मिक ग्रंथों में इसे पापनाशिनी (पापों का नाश करने वाली) कहा गया है।
गोमती स्तुति के पाठ के लाभ
- पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति।
- मन की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति।
- रोगों और मानसिक परेशानियों का नाश।
- समृद्धि, धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति।
- परिवार में सुख-शांति और कल्याण।
सर्वोत्तम समय और विधि
- कार्तिक पूर्णिमा, गंगा दशहरा और एकादशी जैसे विशेष अवसरों पर इस स्तुति का पाठ अत्यंत लाभकारी होता है।
- इसे स्नान के बाद, जल से भरे पात्र के सामने या गोमती नदी के तट पर बैठकर श्रद्धा के साथ पढ़ना चाहिए।
- यदि संभव हो, तो गोमती नदी में स्नान करते समय इस स्तुति का पाठ करने से अधिक पुण्य फल मिलता है।
गोमती स्तुति – Gomati Stuti
मातर्गोमति तावकीनपयसां पूरेषु मज्जन्ति ये
तेऽन्ते दिव्यविभूतिसूतिसुभग- स्वर्लोकसीमान्तरे।
वातान्दोलितसिद्धसिन्धुलहरी- सम्पर्कसान्द्रीभवन्-
मन्दारद्रुमपुष्पगन्धमधुरं प्रासादमध्यासते।
आस्तां कालकरालकल्मषभयाद् भीतेव काशर्यङ्गता
मध्येपात्रमुदूढसैकत- भराकीर्णाऽवशीर्णामृता।
गङ्गा वा यमुना नितान्तविषमां काष्ठां समालम्भिता-
मातस्त्वं तु समाकृतिः खलु यथापूर्वं वरीवर्तसे।
या व्यालोलतरङ्गबाहु- विकसन्मुग्धारविन्देक्षणं
भौजङ्गीं गतिमातनोति परितः साध्वी परा राजते।
पीयूषादपि माधुरीमधिकयन्त्यारा- दुदाराशया
साऽस्मत्पातकसातनाय भवतात्स्रोतस्वती गोमती।
कुम्भाकारमुरीकरोषि कुहचित् क्वाप्यर्धचान्द्राकृतिं
धत्से भूतलमानयष्टि- घटनामालम्बसे कुत्रचित्।
अन्तः क्वापि तडागवर्तनतया सिद्धाश्रमं सूयसे
मातर्गोमति यात भङ्गिविधया नानाकृतिर्जायसे।
रोधोभङ्गिनिवेशनेन कुहचिद्वापीयसे पीयसे
क्वाप्युत्तालतटाधराम्बुकलया कूपायसे पूयसे।
मातस्तीर समत्वतः क्वाचिदपां गतार्यसे त्रायसे
कुत्रापि प्रतनुस्पदेन सरितो नालीयसे गीयसे।
तानासन्नतरानपि क्षितिरुहो याः पातयन्ति क्षणात्
तास्वर्थो घुणकीर्णवर्णघटनन्यायेन सङ्गच्छताम्।
गोमन्ताचलदारिके तव तटे तूद्यल्लतापादपे
सद्यो निर्वृतिमेति भक्तजनता तामैहिकामुष्मिकीम्।
एतत्तापनतापतप्तमुदकं माभूदितीवान्तिके
माद्यत्पल्लवतल्लजद्रुमतती यत्रातपत्रायते।
मातः शारदचन्द्रमण्डलगलत्पीयूषपूरायिते
शय्योत्थायमजस्रमाह्निककृते त्वां बाढमभ्यर्थये।
एकं चक्रमवाप्य तत्राभवतो दाक्षायणीवल्लभाद्
देवो दैत्यविनाशकस्त्रिभुवने स्वास्थ्यं समारोपयत्।
तच्चक्रं त्वयि भासतेऽपि बहुधा निश्चक्रम्महोपहा
यत्त्वं दीव्यसि तत्तवैष महिमा चित्रायते त्रायिनि।
ये गोमतीस्तुतिमिमां मधुरां प्रभाते
सङ्कीर्तयेयुरुरुभक्तिरसाधिरूढाः।
तेषां कृते सपदि सा शरदिन्दुकान्ति-
कीर्तिप्ररोहविभवान् विदधाति तुष्टा।
गोमती स्तुति माँ गोमती की महिमा का गुणगान करने वाला एक शक्तिशाली स्तोत्र है। इसका पाठ भक्तों को पापों से मुक्ति, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। जो भी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस स्तुति का पाठ करता है, उसे गोमती माँ की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।