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शुक्रवार, मई 23, 2025

गोकुलनायक अष्टकम

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गोकुलनायक अष्टकम

गोकुलनायक अष्टकम भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्तिभाव से रचित एक अष्टक है, जिसमें उनके गोकुल के नायक रूप का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, उनके रूप, गुण, और ममता से भरे चरित्र की महिमा का गान करता है। इसे भक्तों द्वारा उनकी आराधना और प्रेमभाव को व्यक्त करने के लिए पाठ किया जाता है।

गोकुलनायक अष्टकम की रचना

गोकुलनायक अष्टकम को विभिन्न भक्त कवियों ने लिखा और गाया है। यह रचना संस्कृत में होती है और इसका पाठ शुद्ध उच्चारण और भक्तिपूर्ण मन से किया जाता है। यह अष्टक आठ श्लोकों से युक्त होता है, जो श्रीकृष्ण के गोकुल में बिताए गए बाल्यकाल और उनकी अद्भुत लीलाओं को विस्तार से चित्रित करता है।

गोकुलनायक अष्टकम Gokulanayaka Ashtakam

नन्दगोपभूपवंशभूषणं विभूषणं
भूमिभूतिभुरि- भाग्यभाजनं भयापहम्।
धेनुधर्मरक्षणाव- तीर्णपूर्णविग्रहं
नीलवारिवाह- कान्तिगोकुलेशमाश्रये।
गोपबालसुन्दरी- गणावृतं कलानिधिं
रासमण्डलीविहार- कारिकामसुन्दरम्।
पद्मयोनिशङ्करादि- देववृन्दवन्दितं
नीलवारिवाह- कान्तिगोकुलेशमाश्रये।
गोपराजरत्नराजि- मन्दिरानुरिङ्गणं
गोपबालबालिका- कलानुरुद्धगायनम्।
सुन्दरीमनोजभाव- भाजनाम्बुजाननं
नीलवारिवाह- कान्तिगोकुलेशमाश्रये।
इन्द्रसृष्टवृष्टिवारि- वारणोद्धृताचलं
कंसकेशिकुञ्जराज- दुष्टदैत्यदारणम्।
कामधेनुकारिताभि- धानगानशोभितं
नीलवारिवाह- कान्तिगोकुलेशमाश्रये।
गोपिकागृहान्तगुप्त- गव्यचौर्यचञ्चलं
दुग्धभाण्डभेदभीत- लज्जितास्यपङ्कजम्।
धेनुधूलिधूसराङ्ग- शोभिहारनूपुरं
नीलवारिवाह- कान्तिगोकुलेशमाश्रये।
वत्सधेनुगोपबाल- भीषणोत्थवह्निपं
केकिपिच्छकल्पितावतंस- शोभिताननम्।
वेणुवाद्यमत्तधोष- सुन्दरीमनोहरं
नीलवारिवाह- कान्तिगोकुलेशमाश्रये।
गर्वितामरेन्द्रकल्प- कल्पितान्नभोजनं
शारदारविन्दवृन्द- शोभिहंसजारतम्।
दिव्यगन्धलुब्ध- भृङ्गपारिजातमालिनं
नीलवारिवाह- कान्तिगोकुलेशमाश्रये।
वासरावसानगोष्ठ- गामिगोगणानुगं
धेनुदोहदेहगेहमोह- विस्मयक्रियम्।
स्वीयगोकुलेशदान- दत्तभक्तरक्षणं
नीलवारिवाह- कान्तिगोकुलेशमाश्रये।

गोकुलनायक अष्टकम श्रीकृष्ण की भक्ति और प्रेम का अद्भुत स्रोत है। यह भक्तों को भगवान के गोकुल नायक रूप के साथ आत्मीयता का अनुभव कराता है और उनके दिव्य स्वरूप के प्रति आस्था को प्रबल करता है।

गोकुलनायक अष्टकम में वर्णित श्रीकृष्ण

  1. मधुर बाल रूप:
    श्रीकृष्ण के बाल रूप का वर्णन इसमें प्रमुखता से किया गया है। गोकुल में माखन चोरी, गोपियों के साथ नटखट लीलाओं और गायों की देखभाल में उनकी भक्ति और प्रेमभाव प्रकट होता है।
  2. वात्सल्य भाव:
    गोकुल के नायक के रूप में वे यशोदा मैया और नंद बाबा के पुत्र के रूप में अत्यंत प्रिय हैं। अष्टकम में माता यशोदा के साथ उनकी लीलाओं का उल्लेख किया गया है, जिसमें उनका माखन खाना, ग्वाल बालों के साथ खेलना, और नटखटपन से सभी को मोहित करना सम्मिलित है।
  3. गोपियों के साथ लीला:
    गोपियों के प्रति श्रीकृष्ण का स्नेह और उनके साथ की गई रासलीलाओं को भी इसमें स्थान दिया गया है। यह भगवान के प्रेम का प्रतीक है, जो प्रत्येक भक्त को जोड़ने का संदेश देता है।
  4. गायों के प्रति प्रेम:
    श्रीकृष्ण का गोपालक रूप भी इस अष्टक में वर्णित है। वे गोकुल के नायक के रूप में गायों की देखभाल करते हुए दिखाए गए हैं।

गोकुलनायक अष्टकम का महत्व Importance of Gokulanayaka Ashtakam

गोकुलनायक अष्टकम का पाठ भक्ति भावना को जागृत करता है और श्रीकृष्ण के प्रति गहरी श्रद्धा उत्पन्न करता है। इसे नित्य पाठ करने से मन को शांति, सकारात्मकता और भगवान का सान्निध्य प्राप्त होता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, गोपाष्टमी, और अन्य कृष्ण भक्ति उत्सवों के दौरान पढ़ा जाता है।

गोकुलनायक अष्टकम के लाभ Benifits of Gokulanayaka Ashtakam

  1. भगवान के चरणों में भक्ति बढ़ती है।
  2. मन को शांत और निर्मल बनाता है।
  3. कष्टों से मुक्ति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  4. आत्मा को भगवान के प्रति समर्पित करने की प्रेरणा देता है।

गोकुलनायक अष्टकम पाठ विधि

  • सुबह स्नान आदि से शुद्ध होकर साफ स्थान पर बैठकर पाठ करें।
  • भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने दीप प्रज्वलित करें।
  • शुद्ध उच्चारण के साथ पाठ करें और भगवान के गुणों का ध्यान करें।

गोकुलनायक अष्टकम पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs for Gokulanayaka Ashtakam

गोकुलनायक अष्टकम क्या है?

गोकुलनायक अष्टकम एक भक्ति स्तोत्र है, जो भगवान श्रीकृष्ण के गोकुल में निवास और उनके दिव्य गुणों का वर्णन करता है। इसे उनके भक्तों द्वारा उनकी महिमा गाने और ध्यान लगाने के लिए रचा गया है।

गोकुलनायक अष्टकम की रचना किसने की है?

गोकुलनायक अष्टकम की रचना का श्रेय पारंपरिक रूप से किसी प्राचीन संत या भक्त कवि को दिया जाता है। हालांकि, इसके लेखक का नाम स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं है, लेकिन यह श्रीकृष्ण भक्तों के बीच लोकप्रिय है।

गोकुलनायक अष्टकम का पाठ क्यों किया जाता है?

गोकुलनायक अष्टकम का पाठ भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने, उनकी लीलाओं का स्मरण करने और भक्तिभाव बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह पाठ मानसिक शांति, भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।

गोकुलनायक अष्टकम का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?

गोकुलनायक अष्टकम का पाठ प्रातःकाल या संध्याकाल में, शुद्ध मन और शांत स्थान पर करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठकर इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ा जा सकता है।

गोकुलनायक अष्टकम का पाठ करने से क्या लाभ होता है?

गोकुलनायक अष्टकम का पाठ करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है, मन की अशांति दूर होती है, और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। यह पाठ भक्त को भगवान से जोड़ने का एक प्रभावी साधन है।

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