Gauri Stuti In Hindi
गौरी स्तुति(Gauri Stuti) हिंदू धर्म में देवी पार्वती की आराधना और प्रशंसा में गाए जाने वाले मंत्र, श्लोक और भजनों का समूह है। गौरी, जिन्हें पार्वती, उमा या शक्ति के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव की पत्नी और देवी शक्ति का एक स्वरूप हैं। उनकी स्तुति उनके भक्तों द्वारा विशेष रूप से स्त्रियों के बीच अत्यधिक प्रचलित है, जो उन्हें सौभाग्य, समृद्धि, सौंदर्य, और सुख-शांति का प्रतीक मानती हैं।
गौरी स्तुति का महत्त्व Gauri Stuti Importance
गौरी स्तुति का पाठ और गायन जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाने के लिए किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि गौरी माता की आराधना करने से विवाह में आने वाली समस्याएं दूर होती हैं, वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य बना रहता है, और पारिवारिक कलह समाप्त होती है। विशेष रूप से कुंवारी कन्याएं माता गौरी की आराधना कर अच्छे वर की प्राप्ति के लिए गौरी स्तुति का पाठ करती हैं।
गौरी स्तुति के श्लोक और मंत्र Gauri Stuti Mantra
अभिनव- नित्याममरसुरेन्द्रां
विमलयशोदां सुफलधरित्रीम्।
विकसितहस्तां त्रिनयनयुक्तां
नयभगदात्रीं भज सरसाङ्गीम्।
अमृतसमुद्रस्थित- मुनिनम्यां
दिविभवपद्मायत- रुचिनेत्राम्।
कुसुमविचित्रार्चित- पदपद्मां
श्रुतिरमणीयां भज नर गौरीम्।
प्रणवमयीं तां प्रणतसुरेन्द्रां
विकलितबिम्बां कनकविभूषाम्।
त्रिगुणविवर्ज्यां त्रिदिवजनित्रीं
हिमधरपुत्रीं भज जगदम्बाम्।
स्मरशतरूपां विधिहरवन्द्यां
भवभयहत्रीं सवनसुजुष्टाम्।
नियतपवित्रामसि- वरहस्तां
स्मितवदनाढ्यां भज शिवपत्नीम्।
पूजन विधि
गौरी स्तुति के साथ पूजन का विशेष महत्व है। पूजन विधि में देवी गौरी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीप जलाया जाता है और उन्हें फूल, फल, अक्षत, कुमकुम और नारियल अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद भक्त गौरी स्तुति का पाठ करते हैं।
विशेष अवसरों पर गौरी पूजन के साथ-साथ शिव जी की आराधना भी की जाती है। यह मान्यता है कि शिव और शक्ति की संयुक्त उपासना जीवन के सभी कष्टों का निवारण करती है।
विशेष पर्व
गौरी स्तुति का पाठ विशेष रूप से नवरात्रि, हरियाली तीज, गणगौर, करवा चौथ, और वट सावित्री व्रत जैसे पर्वों पर किया जाता है। इनमें गणगौर का पर्व मुख्य रूप से देवी गौरी के प्रति समर्पित है। राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में यह पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
मनोकामना पूर्ति
यह माना जाता है कि गौरी स्तुति का नियमित पाठ करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जिन कन्याओं का विवाह में विलंब हो रहा हो, वे माता गौरी की विशेष कृपा पाने के लिए उनका ध्यान करती हैं। विवाहित महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन की खुशहाली और दीर्घायु के लिए गौरी स्तुति का पाठ करती हैं।
गौरी स्तुति पर आधारित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर (FAQs for Gauri Stuti)
गौरी स्तुति का महत्व क्या है?
गौरी स्तुति देवी पार्वती की प्रशंसा में की जाती है, जो शक्ति और सौंदर्य की प्रतीक हैं। यह स्तुति भक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने का माध्यम मानी जाती है।
गौरी स्तुति का पाठ कब करना चाहिए?
गौरी स्तुति का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय, शांत और पवित्र मन से करना शुभ माना जाता है। विशेष रूप से शुक्रवार और तीज पर्व पर इसका पाठ लाभकारी होता है।
गौरी स्तुति का पाठ किस प्रकार के लाभ प्रदान करता है?
गौरी स्तुति का पाठ वैवाहिक जीवन में सुख, समृद्धि, और पारिवारिक शांति के लिए लाभकारी माना जाता है। इसे करने से भक्त की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
गौरी स्तुति में किन शब्दों या मंत्रों का प्रयोग होता है?
गौरी स्तुति में देवी पार्वती के गुणों, रूप, और शक्ति की प्रशंसा करने वाले श्लोक और मंत्र शामिल होते हैं, जैसे “या देवी सर्वभूतेषु…”।
गौरी स्तुति का पाठ करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
गौरी स्तुति का पाठ करते समय स्वच्छता, पवित्रता, और ध्यान की स्थिति का विशेष ध्यान रखना चाहिए। किसी भी तरह का विक्षेप न हो, यह सुनिश्चित करना चाहिए।