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सोमवार, जून 16, 2025

श्री गणाधिपति पञ्चरत्न स्तोत्रम्

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 श्री गणाधिपति पञ्चरत्न स्तोत्रम्(Ganesha Pancharatnam Lyrics) भगवान गणेश की स्तुति में रचित एक प्रसिद्ध स्तोत्र है। इसे आद्य शंकराचार्य ने रचा था, जो अद्वैत वेदांत के प्रवर्तक माने जाते हैं। यह स्तोत्र भगवान गणेश की महिमा का वर्णन करता है और उनके आशीर्वाद के लिए गाया जाता है। यह स्तोत्र पाँच श्लोकों (पंचरत्न) से मिलकर बना है, जिनमें भगवान गणेश के विभिन्न गुणों और उनके द्वारा भक्तों को दी गई कृपा का वर्णन किया गया है।

स्तोत्र का उद्देश्य:

श्री गणाधिपति पञ्चरत्न स्तोत्रम् को गाने का उद्देश्य भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करना है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, जो भक्तों के जीवन के सभी विघ्नों और बाधाओं को दूर करते हैं। इस स्तोत्र को नियमित रूप से पढ़ने से जीवन में समृद्धि, शांति और सफलता प्राप्त होती है।

श्री गणाधिपति पञ्चरत्न स्तोत्रम् का महत्व:

आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तोत्र मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए गाया जाता है। इससे भक्त के मन में शांति और सच्चे मार्ग की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा मिलती है।

विघ्नों का नाश: भगवान गणेश की आराधना से जीवन में आने वाले सभी प्रकार के विघ्नों का नाश होता है।

बुद्धि और ज्ञान: भगवान गणेश को बुद्धि और ज्ञान का दाता माना जाता है। यह स्तोत्र उनके आशीर्वाद से ज्ञान प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।

श्री गणाधिपति पञ्चरत्न स्तोत्रम् Ganesha Pancharatnam Stotram

ॐ सरागिलोकदुर्लभं विरागिलोकपूजितं सुरासुरैर्नमस्कृतं जरापमृत्युनाशकम् ।
गिरा गुरुं श्रिया हरिं जयन्ति यत्पदार्चकाः नमामि तं गणाधिपं कृपापयः पयोनिधिम् ॥१॥

गिरीन्द्रजामुखाम्बुज प्रमोददान भास्करं करीन्द्रवक्त्रमानताघसङ्घवारणोद्यतम् ।
सरीसृपेश बद्धकुक्षिमाश्रयामि सन्ततं शरीरकान्ति निर्जिताब्जबन्धुबालसन्ततिम् ॥२॥

शुकादिमौनिवन्दितं गकारवाच्यमक्षरं प्रकाममिष्टदायिनं सकामनम्रपङ्क्तये ।
चकासतं चतुर्भुजैः विकासिपद्मपूजितं प्रकाशितात्मतत्वकं नमाम्यहं गणाधिपम् ॥३॥

नराधिपत्वदायकं स्वरादिलोकनायकं ज्वरादिरोगवारकं निराकृतासुरव्रजम् ।
कराम्बुजोल्लसत्सृणिं विकारशून्यमानसैः हृदासदाविभावितं मुदा नमामि विघ्नपम् ॥४॥

श्रमापनोदनक्षमं समाहितान्तरात्मनां सुमादिभिः सदार्चितं क्षमानिधिं गणाधिपम् ।
रमाधवादिपूजितं यमान्तकात्मसम्भवं शमादिषड्गुणप्रदं नमामि तं विभूतये ॥५॥

गणाधिपस्य पञ्चकं नृणामभीष्टदायकं प्रणामपूर्वकं जनाः पठन्ति ये मुदायुताः ।
भवन्ति ते विदां पुरः प्रगीतवैभवाजवात् चिरायुषोऽधिकः श्रियस्सुसूनवो न संशयः ॥ॐ ॥

॥इति दक्षिणाम्नाय श्रिङ्गेरी श्रीशारदापीठाधिपति शङ्कराचार्य जगद्गुरुवर्यो श्री सच्चिदानन्द शिवाभिनव नृसिंहभारती महास्वामिभिः विरचितम् श्री गणाधिपति पञ्चरत्न स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥

स्तोत्र का पाठ कैसे करें:

  1. इस स्तोत्र का पाठ शुद्ध मन और श्रद्धा के साथ करना चाहिए।
  2. इसे गणेश चतुर्थी या अन्य शुभ अवसरों पर पढ़ने से विशेष फल मिलता है।
  3. सुबह स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण कर गणेश जी के सामने दीपक जलाकर इसका पाठ किया जा सकता है।
  4. इसे नित्य पाठ में शामिल करने से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है।

श्री गणाधिपति पञ्चरत्न स्तोत्रम् का पाठ करने के लाभ:

  • जीवन में आने वाली बाधाओं का नाश होता है।
  • बुद्धि, ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है।
  • भगवान गणेश की कृपा से सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  • मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।

श्री गणाधिपति पञ्चरत्न स्तोत्रम् भगवान गणेश की महिमा का एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है, जो भक्तों को समर्पण, ज्ञान, और शांति की ओर अग्रसर करता है। इसका नियमित पाठ करने से भगवान गणेश की कृपा से जीवन के समस्त विघ्नों का नाश होता है और भक्त को उनकी असीम कृपा प्राप्त होती है।

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