35.5 C
Gujarat
बुधवार, अक्टूबर 16, 2024

गणेश अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् Ganesha Ashtottara Shatnam Stotram

Post Date:

गणेश अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् – यम उवाच Ganesha Ashtottara Shatnam Stotram

गणेशाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् एक प्रसिद्ध स्तोत्र है जो भगवान गणेश के 108 नामों का वर्णन करता है। यह स्तोत्र श्रीमद मुद्गल पुराण के यमदूत संवाद में वर्णित है। मुद्गल पुराण स्वयं भगवान गणेश को समर्पित एक प्रमुख पुराण है, जिसमें गणेश जी की महिमा, उनके विभिन्न अवतारों, और उनके भक्तों के प्रति किए गए अनुग्रह का विस्तार से वर्णन है।

यमदूत संवाद

यमदूत संवाद मुद्गल पुराण का एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसमें यमराज के दूत भगवान गणेश की महिमा का बखान करते हैं। इस संवाद में बताया गया है कि जो व्यक्ति भगवान गणेश का सच्चे मन से स्मरण और पूजन करता है, उसे यमराज के दूत कभी नहीं सताते और वह मोक्ष को प्राप्त करता है। इसमें यह भी कहा गया है कि गणेश जी के नामों का जप करने वाले व्यक्ति पर हमेशा भगवान गणेश की कृपा बनी रहती है।

गणेशाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् का महत्व

गणेशाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् में भगवान गणेश के 108 नामों का समावेश है। यह स्तोत्र अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है क्योंकि हर एक नाम गणेश जी के किसी विशेष गुण, शक्ति, या महिमा को दर्शाता है। इसके नियमित पाठ से भक्तों को निम्नलिखित लाभ होते हैं:

  1. विघ्न विनाश: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है, और इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाओं और विघ्नों का नाश होता है।
  2. समृद्धि और सौभाग्य: गणेश जी को शुभ-लाभ का प्रतीक माना गया है, इसलिए इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति को समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  3. मन की शांति: गणेशाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् के नियमित पाठ से मन को शांति और स्थिरता मिलती है। यह स्तोत्र भक्तों के मन से भय, चिंता, और अशांति को दूर करता है।
  4. विद्या और ज्ञान की प्राप्ति: गणेश जी विद्या और बुद्धि के देवता माने जाते हैं, इसलिए विद्यार्थियों के लिए इस स्तोत्र का पाठ अत्यधिक फलदायक होता है।

गणेश अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् – यम उवाच

गणेश हेरम्ब गजाननेति महोदर स्वानुभवप्रकाशिन् ।
वरिष्ठ सिद्धिप्रिय बुद्धिनाथ वदंतमेवं त्यजत प्रभीताः ॥१॥

अनेकविघ्नांतक वक्रतुंड स्वसंज्ञवासिंश्च चतुर्भुजेति ।
कवीश देवांतकनाशकारिन् वदंतमेवं त्यजत प्रतीभाः ॥२॥

महेशसूनो गजदैत्यशत्रो वरेण्यसूनो विकट त्रिनेत्र ।
परेश पृथ्वीधर एकदंत वदंतमेवं त्यजत प्रतीभाः ॥३॥

प्रमोद मोदेति नरांतकारे षडूर्मिहंतर्गजकर्ण ढुण्ढे ।
द्वन्द्वारिसिन्धो स्थिर भावकारिन् वदंतमेवं त्यजत प्रतीभाः ॥४॥

विनायक ज्ञानविघातशत्रो पराशरस्यात्मज विष्णुपुत्र ।
अनादिपूज्याऽऽखुग सर्वपूज्य वदंतमेवं त्यजत प्रतीभाः ॥५॥

वैरिच्य लम्बोदर धूम्रवर्ण मयूरपालेति मयूरवाहिन् ।
सुरासुरैः सेवितपादपद्म वदंतमेवं त्यजत प्रतीभाः ॥६॥

वरिन्महाखुध्वजशूर्पकर्ण शिवाज सिंहस्थ अनंतवाह ।
दितौज विघ्नेश्वर शेषनाभे वदंतमेवं त्यजत प्रतीभाः ॥७॥

अणोरणीयो महतो महीयो रवेर्ज योगेशज ज्येष्ठराज ।
निधीश मंत्रेश च शेषपुत्र वदंतमेवं त्यजत प्रतीभाः ॥८॥

वरप्रदातरदितेश्च सूनो परात्पर ज्ञानद तारवक्त्र ।
गुहाग्रज ब्रह्मप पार्श्वपुत्र वदंतमेवं त्यजत प्रतीभाः ॥९॥

सिधोश्च शत्रो परशुप्रयाणे शमीशपुष्पप्रिय विघ्नहारिन् ।
दूर्वाभरैरचित देवदेव वदंतमेवं त्यजत प्रतीभाः ॥१०॥

धियः प्रदातश्च शमीप्रियेति सुसिद्विदातश्च सुशांतिदातः ।
अमेयमायामितविक्रमेति वदंतमेवं त्यजत प्रतीभाः ॥११॥

द्विधा चतुर्थिप्रिय कश्यपाश्च धनप्रद ज्ञानप्रदप्रकाशिन् ।
चिंतामणे चित्तविहारकारिन् वदंतमेवं त्यजत प्रतीभाः ॥१२॥

यमस्य शत्रो अभिमानशत्रो विधेर्जहंतः कपिलस्य सूनो ।
विदेह स्वानंदजयोगयोग वदंतमेवं त्यजत प्रतीभाः ॥१३॥

गणस्य शत्रो कमलस्य शत्रो समस्तभावज्ञ च भालचंद्र ।
अनादिमध्यांतमय प्रचारिन् वदंतमेवं त्यजत प्रतीभाः ॥१४॥

विभो जगद्रूप गणेश भूमन् पुष्ठेःपते आखुगतेति बोधः ।
कर्तुश्च पातुश्च तु संहरेति वदंतमेवं त्यजत प्रतीभाः ॥१५॥

इदमष्ठोत्तरशतं नाम्नां तस्य पठंति ये ।
शृणवंति तेषु वै भीताः कुरूध्वं मा प्रवेशनम् ॥१६॥

भुक्तिमुक्तिप्रदं ढुण्ढेर्धनधान्यप्रवर्धनम् ।
ब्रह्मभूतकरं स्तोत्रं जपन्तं नित्यमादरात् ॥१७॥

यत्र कुत्र गणेशस्य चिह्नयुक्तानि वै भटाः ।
धामानि तत्र सम्भीताः कुरूध्वं मा प्रवेशनम् ॥१८॥

इति श्रीमदान्तये मुद्गलपुराणे यमदूतसंवादे गणेशाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् समाप्तम् ॥

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

गणाध्यक्ष स्तोत्रं Ganaadhyaksha Stotram

ईक्ष्वाकुकृत गणाध्यक्ष स्तोत्रं - भरद्वाज उवाच  Ikshvakukrita Ganaadhyaksha Stotram कथं...

शंकरादिकृतं गजाननस्तोत्रम् Shankaraadi Kritam Gajanan Stotram

शंकरादिकृतं गजाननस्तोत्रम् - देवा ऊचुः  Shankaraadi Kritam Gajanan Stotram गजाननाय...

गजानन स्तोत्र देवर्षय ऊचुः Gajanan Stotra

गजानन स्तोत्र - देवर्षय ऊचुः Gajanan Stotraगजानन स्तोत्र: देवर्षय...

सर्वेष्टप्रदं गजानन स्तोत्रम् Sarveshtapradam Gajanan Stotram

सर्वेष्टप्रदं गजानन स्तोत्रम् Sarveshtapradam Gajanan Stotram https://youtu.be/9JXvmdfYc5o?si=5DOB6JxdurjJ-Ktk कपिल उवाच ।नमस्ते विघ्नराजाय...
error: Content is protected !!