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बुधवार, जुलाई 16, 2025

गणेश पञ्च चामर स्तोत्रम्

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गणेश पञ्च चामर स्तोत्रम्(Ganesh Panch Chamar Stotram) भगवान गणेश की स्तुति का एक अत्यंत प्रभावशाली और लोकप्रिय स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान गणेश की पाँच स्तुतियों (चामरों) से बना है, जिनमें उनकी महिमा और शक्तियों का वर्णन किया गया है। ‘चामर’ शब्द का तात्पर्य यहाँ पर भगवान गणेश की स्तुति के पाँच विभिन्न पहलुओं से है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान गणेश के प्रति भक्ति, श्रद्धा और समर्पण प्रकट करने का एक माध्यम प्रदान करता है।

गणेश पञ्च चामर स्तोत्रम् का पाठ करने से भक्त को भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र भगवान गणेश के पाँच मुख्य गुणों और शक्तियों का वर्णन करता है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं में सफलता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धि और ज्ञान के देवता के रूप में पूजा जाता है, और यह स्तोत्र उनके इन गुणों को महिमा मंडित करता है।

 

गणेश पञ्च चामर स्तोत्रम् का महत्व:

  1. विघ्नों का नाश: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। जो व्यक्ति इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसके जीवन से सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
  2. बुद्धि और ज्ञान का विकास: भगवान गणेश बुद्धि के देवता हैं। इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति की मानसिक शक्ति और बुद्धिमत्ता में वृद्धि होती है।
  3. संकटों से मुक्ति: जो व्यक्ति जीवन में किसी भी प्रकार के संकट या समस्याओं का सामना कर रहा हो, उसे इस स्तोत्र का पाठ करने से मुक्ति मिलती है।
  4. सफलता और समृद्धि: भगवान गणेश की कृपा से जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है। इस स्तोत्र का पाठ व्यापार, शिक्षा, और व्यक्तिगत जीवन में उन्नति के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
  5. धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति: इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति और उन्नति प्राप्त होती है। यह भगवान गणेश की कृपा से धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में भी प्रगति करता है।

गणेश पञ्च चामर स्तोत्रम्

ललाट-पट्टलुण्ठितामलेन्दु-रोचिरुद्भटे वृताति-वर्चरस्वरोत्सररत्किरीट-तेजसि ।
फटाफटत्फटत्स्फुरत्फणाभयेन भोगिनां शिवाङ्कतः शिवाङ्कमाश्रयच्छिशौ रतिर्मम ॥१॥

अदभ्र-विभ्रम-भ्रमद्-भुजाभुजङ्गफूत्कृती- र्निजाङ्कमानिनीषतो निशम्य नन्दिनः पितुः ।
त्रसत्सुसङ्कुचन्तमम्बिका-कुचान्तरं यथा विशन्तमद्य बालचन्द्रभालबालकं भजे ॥२॥

विनादिनन्दिने सविभ्रमं पराभ्रमन्मुख- स्वमातृवेणिमागतां स्तनं निरीक्ष्य सम्भ्रमात् ।
भुजङ्ग-शङ्कया परेत्यपित्र्यमङ्कमागतं ततोऽपि शेषफूत्कृतैः कृतातिचीत्कृतं नमः ॥३॥

विजृम्भमाणनन्दि-घोरघोण-घुर्घुरध्वनि- प्रहास-भासिताशमम्बिका-समृद्धि-वर्धिनम् ।
उदित्वर-प्रसृत्वर-क्षरत्तर-प्रभाभर- प्रभातभानु-भास्वरं भवस्वसम्भवं भजे ॥४॥

अलङ्गृहीत-चामरामरी जनातिवीजन- प्रवातलोलि-तालकं नवेन्दुभालबालकम् ।
विलोलदुल्ललल्ललाम-शुण्डदण्ड-मण्डितं सतुण्ड-मुण्डमालि-वक्रतुण्डमीड्यमाश्रये ॥५॥

प्रफुल्ल-मौलिमाल्य-मल्लिकामरन्द-लेलिहा मिलन् निलिन्द-मण्डलीच्छलेन यं स्तवीत्यमम् ।
त्रयीसमस्तवर्णमालिका शरीरिणीव तं सुतं महेशितुर्मतङ्गजाननं भजाम्यहम् ॥६॥

प्रचण्ड-विघ्न-खण्डनैः प्रबोधने सदोद्धुरः समर्द्धि-सिद्धिसाधनाविधा-विधानबन्धुरः ।
सबन्धुरस्तु मे विभूतये विभूतिपाण्डुरः पुरस्सरः सुरावलेर्मुखानुकारिसिन्धुरः ॥७॥

अराल-शैलबालिका-ऽलकान्तकान्त-चन्द्रमो- जकान्तिसौध-माधयन् मनोऽनुराधयन् गुरोः ।
सुसाध्य-साधवं धियां धनानि साधयन्नय- नशेषलेखनायको विनायको मुदेऽस्तु नः ॥८॥

रसाङ्गयुङ्ग-नवेन्दु-वत्सरे शुभे गणेशितु- स्तिथौ गणेशपञ्चचामरं व्यधादुमापतिः ।
पतिः कविव्रजस्य यः पठेत् प्रतिप्रभातकं स पूर्णकामनो भवेदिभानन-प्रसादभाक् ॥९॥

छात्रत्वे वसता काश्यां विहितेयं यतः स्तुतिः । ततश्छात्रैरधीतेयं वैदुष्यं वर्द्धयेद्धिया ॥१०॥

॥इति श्रीकविपत्युपनामक-उमापतिशर्मद्विवेदि-विरचितं गणेशपञ्चचामरस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

गणेश पञ्च चामर स्तोत्रम् का पाठ करने के लाभ:

  • सभी कार्यों में सफलता: जो भी व्यक्ति इस स्तोत्र का श्रद्धापूर्वक पाठ करता है, उसे हर कार्य में सफलता मिलती है।
  • विघ्नों का नाश: जीवन में आने वाले हर प्रकार के विघ्न या समस्याएँ भगवान गणेश की कृपा से समाप्त हो जाती हैं।
  • धन, समृद्धि और शांति: यह स्तोत्र व्यक्ति के जीवन में धन, समृद्धि और मानसिक शांति लाता है।
  • शिक्षा और करियर में उन्नति: विद्यार्थी इस स्तोत्र का पाठ करके अपनी शिक्षा में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही यह करियर में भी उन्नति के लिए सहायक है।

गणेश पञ्च चामर स्तोत्रम् पाठ करने की विधि:

  • प्रातःकाल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
  • धूप-दीप जलाकर भगवान गणेश की आराधना करें।
  • श्रद्धा और भक्ति के साथ इस स्तोत्र का पाठ करें।
  • पाठ करने के बाद भगवान गणेश से जीवन की समस्याओं के समाधान और सफलता की प्रार्थना करें।

गणेश पञ्च चामर स्तोत्रम् एक अत्यंत सरल और प्रभावी स्तोत्र है, जिसे कोई भी व्यक्ति नियमित रूप से पढ़ सकता है। इससे भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं।

 

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