एकश्लोकी भागवतम्(Eka Sloki Bhagavatam) का अर्थ है श्रीमद्भागवत महापुराण के संपूर्ण तत्व को एक श्लोक में समाहित करना। इसे साधु-संतों और भक्तों द्वारा व्यापक रूप से उद्धृत किया जाता है क्योंकि इसमें भगवान श्रीकृष्ण और उनकी लीलाओं का सार बताया गया है।
एकश्लोकी भागवतम् का श्लोक: Eka Sloki Bhagavatam
आदौ देवकिदेविगर्भजननं गोपीगृहे वर्धनं
मायापूतनजीवितापहरणं गोवर्धनोद्धारणम्।
कंसच्छेदनकौरवादिहननं कुन्तीसुतापालनं
चैतद्भागवतं पुराणकथितं श्रीकृष्णलीलामृतम्।।
एकश्लोकी भागवतम् श्लोक का अर्थ: Meaning of Eka Sloki Bhagavatam
इसमें भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का वर्णन है। भगवान को वासुदेव कहा गया है, जो संपूर्ण जगत के कर्ता-धर्ता, सत्य स्वरूप, अविनाशी, सर्वशक्तिमान और परमात्मा हैं। यह श्लोक बताता है कि भगवान श्रीकृष्ण ही सबकुछ हैं—सृष्टि के रचयिता, पालनकर्ता और संहारकर्ता।
Aadau devakidevigarbhajananam gopeegri’he vardhanam
maayaapootanajeevitaapaharanam govardhanoddhaaranam .
Kamsachchhedanakauravaadihananam kunteesutaapaalanam
Chaitadbhaagavatam puraanakathitam shreekri’shnaleelaamri’tam..
Meaning of Eka Sloka Bhagavata
Here is the simplified version of Shrimad Bhagavatam.
- Krishna takes birth from Devaki’s womb.
- Krishna grows up in Yasoda’s home.
- Krishna kills Putana.
- Krishna lifts up the Govardhana Mountain.
- Krishna kills Kamsa.
- Krishna makes the Kauravas lose the battle of Kurukshetra.
- Krishna protects the Pandavas.
एकश्लोकी भागवतम् की महिमा:
- सार स्वरूप:
यह श्लोक पूरे भागवत महापुराण का सार है। भागवत का अध्ययन करने वाले को यह समझना चाहिए कि भगवान श्रीकृष्ण ही सृष्टि के मूल हैं। - भक्ति का संदेश:
इसमें यह कहा गया है कि यदि कोई भगवान की भक्ति करता है, तो वह सृष्टि के समस्त दुखों से मुक्त हो सकता है। - ज्ञान और वैराग्य:
यह श्लोक ज्ञान और वैराग्य का मार्ग प्रशस्त करता है। भगवान के सत्यस्वरूप और उनकी महिमा को जानकर मनुष्य जीवन के भ्रम से मुक्त हो जाता है। - भगवद्भाव:
इस श्लोक में भगवान को जगत की आत्मा बताया गया है। इसका अर्थ है कि भगवान सबके भीतर विद्यमान हैं और हर चीज़ उन्हीं से उत्पन्न होती है।
एकश्लोकी भागवतम् का आध्यात्मिक उपयोग
- इसे प्रतिदिन पढ़ने और स्मरण करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
- इस श्लोक का जप व्यक्ति को ध्यान और साधना में गहराई तक ले जाता है।
- यह श्लोक भगवान के प्रति समर्पण की भावना को जाग्रत करता है।
एकश्लोकी भागवतम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs for Eka Sloki Bhagavatam
एकश्लोकी भागवतम् क्या है?
उत्तर:
एकश्लोकी भागवतम् श्रीमद्भागवतम् का सार है, जिसे केवल एक श्लोक में प्रस्तुत किया गया है। यह श्लोक भगवान विष्णु की लीला, उनकी माया और सृष्टि के गूढ़ रहस्यों को संक्षेप में व्यक्त करता है। इसे अद्वैत वेदांत और भक्ति के साधकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।एकश्लोकी भागवतम् का पाठ कौन कर सकता है?
उत्तर:
एकश्लोकी भागवतम् का पाठ कोई भी व्यक्ति कर सकता है, चाहे वह किसी भी उम्र, जाति या पंथ का हो। इसे पढ़ने के लिए किसी विशेष दीक्षा या संस्कार की आवश्यकता नहीं होती। भक्त इसे अपनी आध्यात्मिक प्रगति के लिए नित्य पाठ करते हैं।एकश्लोकी भागवतम् का मुख्य श्लोक क्या है?
उत्तर:
एकश्लोकी भागवतम् का मुख्य श्लोक इस प्रकार है:
“अहमेवासमेवाग्रे नान्यद् यत् सदसत् परम्।
पश्चादहम् यदेतच्च योऽवशिष्येत सोऽस्म्यहम्॥”
इस श्लोक में भगवान ने स्वयं को सृष्टि के आरंभ, मध्य और अंत में एकमात्र सत्य रूप में स्थापित किया है।एकश्लोकी भागवतम् का महत्व क्या है?
उत्तर:
एकश्लोकी भागवतम् का महत्व अद्वैत वेदांत और भक्ति मार्ग में बहुत अधिक है। यह श्लोक हमें सिखाता है कि भगवान ही सृष्टि के मूल, कारण और परिणाम हैं। यह हमें भौतिक जगत की अस्थिरता को समझने और आध्यात्मिक सत्य को अपनाने की प्रेरणा देता है।एकश्लोकी भागवतम् कैसे अध्ययन करें?
उत्तर:
एकश्लोकी भागवतम् का अध्ययन करने के लिए इसे नित्य पाठ करें और इसके अर्थ को समझने का प्रयास करें। विद्वानों की व्याख्याओं और सत्संग में भाग लेकर इसके गहरे अर्थ को जानें। ध्यान और मनन के माध्यम से इसे अपने जीवन में आत्मसात करें।