27.4 C
Gujarat
शनिवार, सितम्बर 21, 2024

द्वादशज्योतिर्लिङ्गानि

Post Date:

द्वादशज्योतिर्लिङ्गानि   Dwasdash Jyotirlingani

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्‌।
उज्जयिन्यां महाकाल्मोङ्कारमसलेश्वरम्‌॥ १ ॥

सौराषट्रप्रदेश (काठियावाड़) में श्रीसोमनाथ,’ श्रीशैलपरः
श्रीमल्लिकार्जुन, उज्जयिनी (उज्जैन) में श्रीमहाकाळरे,
ॐकारेधर* अथवा अमलेश्वर॥ १॥

परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्‌।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेश दारुकावने ॥ २॥

परलीमें वैद्यनाथ”,
डाकिनी नामक स्थानमें श्रीभीमशङ्कर’, सेतुबन्धपर
श्रीरामेश्वर, दारुकावनमें श्रीनागेश्वरः॥ २॥

बाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे ।
हिमालये तु केदारं घुइमेशं च शिवालये ॥ ३॥

वाराणसी (काझी) में श्रीकिश्चताथ), गौतमी (गोदावरी) के तटपर श्रीत्र्यम्बकेश्वर, * हिमाल्यपर केदारखण्डमें श्रीकेदारनाथ और शिवाल्यमें श्ी्ुरमेश्वसको’ ‘ स्मरण करे॥ ३॥

एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः ।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥ ४ ॥

जो मनुष्य प्रतिदिन प्रातःकाल और सन्ध्याके समय इन बारह ज्योतिर्लिङ्गोंका नाम लेता है, उसके सात जन्मोंका किया हुआ पाप इन लिङ्गोकि स्मरणमात्रसे मिट जाता है ॥ ४ ॥

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

आजिविक भारत का एक खोया हुवा धर्मं Ājīvika

आजिविक का परिचय Introduction to Ajivikaबौद्ध और जैन...

कौन थे हूण, भारत क्यों आए, कैसे खत्म हुआ हूणों का राज?

कौन थे हूण?हूणों का उत्पत्ति और इतिहासहूणों का उदय...

पितृपक्ष एवं श्राद्ध का पुराणों मे महत्त्व

पितृपक्ष एवं श्राद्ध का पुराणों मे महत्त्व Pitru...

द्वादशज्योतिर्लिङ्गस्तोत्रम्‌

द्वादशज्योतिर्लिङ्गस्तोत्रम्‌ Dwadashjyotirling Stotramसौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्येज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्‌ ।भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णंत॑ सोमनाथं शरण...