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बुधवार, नवम्बर 5, 2025

दुर्जन संग कबहुँ नहिं कीजै Durjan Sang Kabahun Nahin Kijai

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दुर्जन संग कबहुँ नहिं कीजै लीरिक्स

Durjan Sang Kabahun Nahin Kijai Lyrics

 

दुर्जन-संग कबहुँ नहिं कीजै । दुर्जन-मिलन सदा दुखदाई, तिनसौं पृथक रहीजै ॥

दुर्जनकी मीठी बानी सुनि, तनिक प्रतीति न कीजै । छाड़िय बिष सम ताहि निरंतर, मनहिं थान र्जान दीनै ॥

दुर्जन संग कुमति अति उपजै, हरि-मारग मति छीजै । छूटै प्रेम-भजन श्रीहरिको, मन बिषयनमैं भीजै ॥

बिनसै सकल सांति-सुख मनके, सिर धुनि-धुनि कर मींजै । मन अस दुर्जन दुखनिधि परिहरि, सत-संगति-रति कीजै ॥

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