32.1 C
Gujarat
शुक्रवार, जून 20, 2025

दुर्गा सूक्तम्

Post Date:

Durga Suktam In Hindi

दुर्गा सूक्तम्(Durga Suktam) वैदिक साहित्य का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो देवी दुर्गा की स्तुति और उनके स्वरूप का वर्णन करता है। यह सूक्तम् ऋग्वेद से लिया गया है और मुख्य रूप से यजुर्वेद, अथर्ववेद तथा तैत्तिरीय आरण्यक में भी पाया जाता है। इसे विशेष रूप से देवी दुर्गा को समर्पित किया गया है और इसका पाठ नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा तथा आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है।

दुर्गा सूक्तम् का महत्व Durga Suktam Importance

दुर्गा सूक्तम् का उद्देश्य भक्त को दुर्गति, भय, रोग और संकट से मुक्ति दिलाना है। यह सूक्तम् एक साधक को मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है। इसे देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और आत्मिक उन्नति के लिए अचूक माना गया है।

दुर्गा सूक्तम् का मूल पाठ Durga Suktam Sanskrit

ॐ ॥ जा॒तवे॑दसे सुनवाम॒ सोम॑ मरातीय॒तो निद॑हाति॒ वेदः॑ ।
स नः॑ पर्-ष॒दति॑ दु॒र्गाणि॒ विश्वा॑ ना॒वेव॒ सिन्धु॑-न्दुरि॒ता-ऽत्य॒ग्निः ॥

ताम॒ग्निव॑र्णा॒-न्तप॑सा ज्वल॒न्तीं-वैँ॑रोच॒नी-ङ्क॑र्मफ॒लेषु॒ जुष्टा᳚म् ।
दु॒र्गा-न्दे॒वीग्ं शर॑णम॒ह-म्प्रप॑द्ये सु॒तर॑सि तरसे॒ नमः॑ ॥

अग्ने॒ त्व-म्पा॑रया॒ नव्यो॑ अ॒स्मान्​थ्स्व॒स्तिभि॒रति॑ दु॒र्गाणि॒ विश्वा᳚ ।
पूश्च॑ पृ॒थ्वी ब॑हु॒ला न॑ उ॒र्वी भवा॑ तो॒काय॒ तन॑याय॒ शं​योँः ॥

विश्वा॑नि नो दु॒र्गहा॑ जातवेद॒-स्सिन्धु॒न्न ना॒वा दु॑रि॒ता-ऽति॑पर्-षि ।
अग्ने॑ अत्रि॒वन्मन॑सा गृणा॒नो᳚-ऽस्माक॑-म्बोध्यवि॒ता त॒नूना᳚म् ॥

पृ॒त॒ना॒ जित॒ग्ं॒ सह॑मानमु॒ग्रम॒ग्निग्ं हु॑वेम पर॒माथ्स॒धस्था᳚त् ।
स नः॑ पर्-ष॒दति॑ दु॒र्गाणि॒ विश्वा॒ क्षाम॑द्दे॒वो अति॑ दुरि॒ता-ऽत्य॒ग्निः ॥

प्र॒त्नोषि॑ क॒मीड्यो॑ अध्व॒रेषु॑ स॒नाच्च॒ होता॒ नव्य॑श्च॒ सत्सि॑ ।
स्वाञ्चा᳚-ऽग्ने त॒नुव॑-म्पि॒प्रय॑स्वा॒स्मभ्य॑-ञ्च॒ सौभ॑ग॒माय॑जस्व ॥

गोभि॒र्जुष्ट॑मयुजो॒ निषि॑क्त॒-न्तवे᳚न्द्र विष्णो॒रनु॒सञ्च॑रेम ।
नाक॑स्य पृ॒ष्ठम॒भि सं॒​वँसा॑नो॒ वैष्ण॑वीं-लोँ॒क इ॒ह मा॑दयन्ताम् ॥

ओ-ङ्का॒त्या॒य॒नाय॑ वि॒द्महे॑ कन्यकु॒मारि॑ धीमहि । तन्नो॑ दुर्गिः प्रचो॒दया᳚त् ॥

ॐ शान्ति॒-श्शान्ति॒-श्शान्तिः॑ ॥

Durga Suktam Telugu – దుర్గా సూక్తం


ఓమ్ ॥ జా॒తవే॑దసే సునవామ॒ సోమ॑ మరాతీయ॒తో నిద॑హాతి॒ వేదః॑ ।
స నః॑ పర్-ష॒దతి॑ దు॒ర్గాణి॒ విశ్వా॑ నా॒వేవ॒ సింధుం॑ దురి॒తాఽత్య॒గ్నిః ॥

తామ॒గ్నివ॑ర్ణాం॒ తప॑సా జ్వలం॒తీం-వైఀ ॑రోచ॒నీం క॑ర్మఫ॒లేషు॒ జుష్టా᳚మ్ ।
దు॒ర్గాం దే॒వీగ్ం శర॑ణమ॒హం ప్రప॑ద్యే సు॒తర॑సి తరసే॒ నమః॑ ॥

అగ్నే॒ త్వం పా॑రయా॒ నవ్యో॑ అ॒స్మాంథ్​స్వ॒స్తిభి॒రతి॑ దు॒ర్గాణి॒ విశ్వా᳚ ।
పూశ్చ॑ పృ॒థ్వీ బ॑హు॒లా న॑ ఉ॒ర్వీ భవా॑ తో॒కాయ॒ తన॑యాయ॒ శం​యోఀః ॥

విశ్వా॑ని నో దు॒ర్గహా॑ జాతవేదః॒ సింధు॒న్న నా॒వా దు॑రి॒తాఽతి॑పర్-షి ।
అగ్నే॑ అత్రి॒వన్మన॑సా గృణా॒నో᳚ఽస్మాకం॑ బోధ్యవి॒తా త॒నూనా᳚మ్ ॥

పృ॒త॒నా॒ జిత॒గ్ం॒ సహ॑మానము॒గ్రమ॒గ్నిగ్ం హు॑వేమ పర॒మాథ్స॒ధస్థా᳚త్ ।
స నః॑ పర్-ష॒దతి॑ దు॒ర్గాణి॒ విశ్వా॒ క్షామ॑ద్దే॒వో అతి॑ దురి॒తాఽత్య॒గ్నిః ॥

ప్ర॒త్నోషి॑ క॒మీడ్యో॑ అధ్వ॒రేషు॑ స॒నాచ్చ॒ హోతా॒ నవ్య॑శ్చ॒ సత్సి॑ ।
స్వాంచా᳚ఽగ్నే త॒నువం॑ పి॒ప్రయ॑స్వా॒స్మభ్యం॑ చ॒ సౌభ॑గ॒మాయ॑జస్వ ॥

గోభి॒ర్జుష్ట॑మయుజో॒ నిషి॑క్తం॒ తవేం᳚ద్ర విష్ణో॒రను॒సంచ॑రేమ ।
నాక॑స్య పృ॒ష్ఠమ॒భి సం॒​వఀసా॑నో॒ వైష్ణ॑వీం-లోఀ॒క ఇ॒హ మా॑దయంతామ్ ॥

ఓం కా॒త్యా॒య॒నాయ॑ వి॒ద్మహే॑ కన్యకు॒మారి॑ ధీమహి । తన్నో॑ దుర్గిః ప్రచో॒దయా᳚త్ ॥

ఓం శాంతిః॒ శాంతిః॒ శాంతిః॑ ॥

Durga Suktam Kannada – ದುರ್ಗಾ ಸೂಕ್ತಂ

ಓಮ್ ॥ ಜಾ॒ತವೇ॑ದಸೇ ಸುನವಾಮ॒ ಸೋಮ॑ ಮರಾತೀಯ॒ತೋ ನಿದ॑ಹಾತಿ॒ ವೇದಃ॑ ।
ಸ ನಃ॑ ಪರ್-ಷ॒ದತಿ॑ ದು॒ರ್ಗಾಣಿ॒ ವಿಶ್ವಾ॑ ನಾ॒ವೇವ॒ ಸಿಂಧುಂ॑ ದುರಿ॒ತಾಽತ್ಯ॒ಗ್ನಿಃ ॥

ತಾಮ॒ಗ್ನಿವ॑ರ್ಣಾಂ॒ ತಪ॑ಸಾ ಜ್ವಲಂ॒ತೀಂ-ವೈಁ॑ರೋಚ॒ನೀಂ ಕ॑ರ್ಮಫ॒ಲೇಷು॒ ಜುಷ್ಟಾ᳚ಮ್ ।
ದು॒ರ್ಗಾಂ ದೇ॒ವೀಗ್ಂ ಶರ॑ಣಮ॒ಹಂ ಪ್ರಪ॑ದ್ಯೇ ಸು॒ತರ॑ಸಿ ತರಸೇ॒ ನಮಃ॑ ॥

ಅಗ್ನೇ॒ ತ್ವಂ ಪಾ॑ರಯಾ॒ ನವ್ಯೋ॑ ಅ॒ಸ್ಮಾಂಥ್​ಸ್ವ॒ಸ್ತಿಭಿ॒ರತಿ॑ ದು॒ರ್ಗಾಣಿ॒ ವಿಶ್ವಾ᳚ ।
ಪೂಶ್ಚ॑ ಪೃ॒ಥ್ವೀ ಬ॑ಹು॒ಲಾ ನ॑ ಉ॒ರ್ವೀ ಭವಾ॑ ತೋ॒ಕಾಯ॒ ತನ॑ಯಾಯ॒ ಶಂ​ಯೋಁಃ ॥

ವಿಶ್ವಾ॑ನಿ ನೋ ದು॒ರ್ಗಹಾ॑ ಜಾತವೇದಃ॒ ಸಿಂಧು॒ನ್ನ ನಾ॒ವಾ ದು॑ರಿ॒ತಾಽತಿ॑ಪರ್-ಷಿ ।
ಅಗ್ನೇ॑ ಅತ್ರಿ॒ವನ್ಮನ॑ಸಾ ಗೃಣಾ॒ನೋ᳚ಽಸ್ಮಾಕಂ॑ ಬೋಧ್ಯವಿ॒ತಾ ತ॒ನೂನಾ᳚ಮ್ ॥

ಪೃ॒ತ॒ನಾ॒ ಜಿತ॒ಗ್ಂ॒ ಸಹ॑ಮಾನಮು॒ಗ್ರಮ॒ಗ್ನಿಗ್ಂ ಹು॑ವೇಮ ಪರ॒ಮಾಥ್ಸ॒ಧಸ್ಥಾ᳚ತ್ ।
ಸ ನಃ॑ ಪರ್-ಷ॒ದತಿ॑ ದು॒ರ್ಗಾಣಿ॒ ವಿಶ್ವಾ॒ ಕ್ಷಾಮ॑ದ್ದೇ॒ವೋ ಅತಿ॑ ದುರಿ॒ತಾಽತ್ಯ॒ಗ್ನಿಃ ॥

ಪ್ರ॒ತ್ನೋಷಿ॑ ಕ॒ಮೀಡ್ಯೋ॑ ಅಧ್ವ॒ರೇಷು॑ ಸ॒ನಾಚ್ಚ॒ ಹೋತಾ॒ ನವ್ಯ॑ಶ್ಚ॒ ಸತ್ಸಿ॑ ।
ಸ್ವಾಂಚಾ᳚ಽಗ್ನೇ ತ॒ನುವಂ॑ ಪಿ॒ಪ್ರಯ॑ಸ್ವಾ॒ಸ್ಮಭ್ಯಂ॑ ಚ॒ ಸೌಭ॑ಗ॒ಮಾಯ॑ಜಸ್ವ ॥

ಗೋಭಿ॒ರ್ಜುಷ್ಟ॑ಮಯುಜೋ॒ ನಿಷಿ॑ಕ್ತಂ॒ ತವೇಂ᳚ದ್ರ ವಿಷ್ಣೋ॒ರನು॒ಸಂಚ॑ರೇಮ ।
ನಾಕ॑ಸ್ಯ ಪೃ॒ಷ್ಠಮ॒ಭಿ ಸಂ॒​ವಁಸಾ॑ನೋ॒ ವೈಷ್ಣ॑ವೀಂ-ಲೋಁ॒ಕ ಇ॒ಹ ಮಾ॑ದಯಂತಾಮ್ ॥

ಓಂ ಕಾ॒ತ್ಯಾ॒ಯ॒ನಾಯ॑ ವಿ॒ದ್ಮಹೇ॑ ಕನ್ಯಕು॒ಮಾರಿ॑ ಧೀಮಹಿ । ತನ್ನೋ॑ ದುರ್ಗಿಃ ಪ್ರಚೋ॒ದಯಾ᳚ತ್ ॥

ಓಂ ಶಾಂತಿಃ॒ ಶಾಂತಿಃ॒ ಶಾಂತಿಃ॑ ॥

दुर्गा सूक्तम् का तात्पर्य

दुर्गा सूक्तम् में दुर्गा को अग्नि का प्रतीक मानकर उनकी शक्तियों का वर्णन किया गया है। “दुर्गा” का अर्थ है “दुर्गति से मुक्ति दिलाने वाली।” यह सूक्तम् हमें यह सिखाता है कि देवी दुर्गा हर प्रकार के संकट और भय को दूर करने में सक्षम हैं। इसमें यह भी बताया गया है कि भक्त को सच्चे मन और श्रद्धा से देवी की आराधना करनी चाहिए।

दुर्गा सूक्तम् पाठ की विशेषताएँ

  1. रक्षा कवच: दुर्गा सूक्तम् का नियमित पाठ व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से बचाता है।
  2. आध्यात्मिक जागृति: यह सूक्तम् साधक के भीतर आत्मबल और ज्ञान की वृद्धि करता है।
  3. शक्ति का आह्वान: इसमें देवी दुर्गा को शक्ति, साहस और धैर्य की देवी के रूप में पुकारा गया है।

दुर्गा सूक्तम् वैदिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत प्रभावशाली है। यह मनुष्य को संकटों से उबरने और जीवन में संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है। देवी दुर्गा की आराधना करने वालों के लिए यह सूक्तम् एक अद्वितीय उपहार है, जो उन्हें हर परिस्थिति में शक्ति और साहस प्रदान करता है।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

ऋग्वेद हिंदी में

ऋग्वेद (Rig veda in Hindi PDF) अर्थात "ऋचाओं का...

Pradosh Stotram

प्रदोष स्तोत्रम् - Pradosh Stotramप्रदोष स्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण और...

Sapta Nadi Punyapadma Stotram

Sapta Nadi Punyapadma Stotramसप्तनदी पुण्यपद्म स्तोत्रम् (Sapta Nadi Punyapadma...

Sapta Nadi Papanashana Stotram

Sapta Nadi Papanashana Stotramसप्तनदी पापनाशन स्तोत्रम् (Sapta Nadi Papanashana...
error: Content is protected !!