दुर्गा शरणागति स्तोत्रम्
दुर्गा शरणागति स्तोत्रम् एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसमें भक्त देवी दुर्गा की शरण में जाकर उनसे रक्षा, कृपा और उद्धार की प्रार्थना करता है। यह स्तोत्र देवी के विविध रूपों, गुणों और शक्तियों का वर्णन करता है, जो उन्हें सर्वशक्तिमान, करुणामयी और भक्तों की रक्षक के रूप में प्रस्तुत करता है।
Durga Sharanagati Stotram
दुर्ज्ञेयां वै दुष्टसम्मर्दिनीं तां
दुष्कृत्यादिप्राप्तिनाशां परेशाम्।
दुर्गात्त्राणां दुर्गुणानेकनाशां
दुर्गां देवीं शरणमहं प्रपद्ये।
गीर्वाणेशीं गोजयप्राप्तितत्त्वां
वेदाधारां गीतसारां गिरिस्थाम्।
लीलालोलां सर्वगोत्रप्रभूतां
दुर्गां देवीं शरणमहं प्रपद्ये।
देवीं दिव्यानन्ददानप्रधानां
दिव्यां मूर्तिं धैर्यदां देविकां ताम्।
देवैर्वन्द्यां दीनदारिद्र्यनाशां
दुर्गां देवीं शरणमहं प्रपद्ये।
वीणानादप्रेयसीं वाद्यमुख्यै-
र्गीतां वाणीरूपिकां वाङ्मयाख्याम्।
वेदादौ तां सर्वदा यां स्तुवन्ति
दुर्गां देवीं शरणमहं प्रपद्ये।
शास्त्रारण्ये मुख्यदक्षैर्विवर्ण्यां
शिक्षेशानीं शस्त्रविद्याप्रगल्भाम्।
सर्वैः शूरैर्नन्दनीयां शरण्यां
दुर्गां देवीं शरणमहं प्रपद्ये।
रागप्रज्ञां रागरूपामरागां
दीक्षारूपां दक्षिणां दीर्घकेशीम्।
रम्यां रीतिप्राप्यमानां रसज्ञां
दुर्गां देवीं शरणमहं प्रपद्ये।
नानारत्नैर्युक्त- सम्यक्किरीटां
निस्त्रैगुण्यां निर्गुणां निर्विकल्पाम्।
नीतानन्दां सर्वनादात्मिकां तां
दुर्गां देवीं शरणमहं प्रपद्ये।
मन्त्रेशानीं मत्तमातङ्गसंस्थां
मातङ्गीं मां चण्डचामुण्डहस्ताम्।
माहेशानीं मङ्गलां वै मनोज्ञां
दुर्गां देवीं शरणमहं प्रपद्ये।
हंसात्मानीं हर्षकोटिप्रदानां
हाहाहूहूसेवितां हासिनीं ताम्।
हिंसाध्वंसां हस्तिनीं व्यक्तरूपां
दुर्गां देवीं शरणमहं प्रपद्ये।
प्रज्ञाविज्ञां भक्तलोकप्रियैकां
प्रातःस्मर्यां प्रोल्लसत्सप्तपद्माम्।
प्राणाधारप्रेरिकां तां प्रसिद्धां
दुर्गां देवीं शरणमहं प्रपद्ये।
पद्माकारां पद्मनेत्रां पवित्रा-
माशापूर्णां पाशहस्तां सुपर्वाम्।
पूर्णां पातालाधिसंस्थां सुरेज्यां
दुर्गां देवीं शरणमहं प्रपद्ये।
यागे मुख्यां देयसम्पत्प्रदात्री-
मक्रूरां तां क्रूरबुद्धिप्रनाशाम्।
ध्येयां धर्मां दामिनीं द्युस्थितां तां
दुर्गां देवीं शरणमहं प्रपद्ये।
दुर्गा शरणागति स्तोत्रम् का महत्व
- शरणागति का भाव: यह स्तोत्र पूर्ण समर्पण की भावना को दर्शाता है, जहाँ भक्त अपने समस्त कष्टों, दोषों और भय से मुक्ति के लिए देवी दुर्गा की शरण में जाता है।
- दुर्गा के विविध रूपों की स्तुति: स्तोत्र में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है, जैसे कि दुर्ज्ञेय (अगम्य), दुष्टों का संहार करने वाली, वेदों की धारक, गिरिराज की पुत्री, लीलालोल (लीलाओं में रमण करने वाली), आदि।vedadhara.com
- भक्तों के लिए लाभकारी: इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति, भय से मुक्ति, आध्यात्मिक उन्नति और देवी की कृपा प्राप्त होती है।
दुर्गा शरणागति स्तोत्रम् का पाठ और लाभ
- पाठ का समय: प्रातःकाल या संध्या समय इस स्तोत्र का पाठ करना विशेष फलदायक माना जाता है।
- लाभ:
- भय, चिंता और मानसिक क्लेश से मुक्ति।
- आध्यात्मिक उन्नति और आत्मबल में वृद्धि।
- दुर्गा देवी की कृपा और संरक्षण की प्राप्ति।