श्री दुर्गा पञ्चरत्नम्(Durga Pancharatnam Stotram)अद्वैत वेदांत के प्रख्यात आचार्य आदि शंकराचार्य द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र माता दुर्गा की महिमा का वर्णन करता है और उनकी कृपा से भक्त के जीवन में आने वाले कष्टों और विघ्नों का निवारण करता है। इसमें पाँच श्लोक हैं, जो देवी दुर्गा की अद्वितीयता, सौंदर्य, शक्ति और करुणा का गुणगान करते हैं।
आदि शंकराचार्य ने इस स्तोत्र की रचना देवी दुर्गा की कृपा और शक्ति का अनुभव कर भक्तों के लिए मार्गदर्शन स्वरूप की। यह स्तोत्र भक्त के भीतर श्रद्धा, भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
श्री दुर्गा पञ्चरत्नम् का पाठ करने के लाभ Durga Pancharatnam Stotram Benifits
- आध्यात्मिक लाभ: यह स्तोत्र पाठ भक्त के मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है।
- भय और कष्टों का नाश: यह पाठ सभी प्रकार के भय, रोग और दु:ख को दूर करता है।
- शांति और समृद्धि: देवी की कृपा से जीवन में सुख-शांति और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
- सिद्धि और मोक्ष: यह स्तोत्र पाठ आध्यात्मिक जागृति लाता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।
पाठ की विधि
- प्रातःकाल या सायंकाल के समय शुद्ध मन और स्थान में इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
- पाठ से पहले माँ दुर्गा के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं और पुष्प अर्पित करें।
- श्रद्धा और एकाग्रता के साथ पाँचों श्लोकों का उच्चारण करें।
श्री दुर्गा पञ्चरत्नम् – Durga Pancharatnam Stotram
ते ध्यानयोगानुगताः अपश्यन्
त्वामेव देवीं स्वगुणैर्निगूढाम्।
त्वमेव शक्तिः परमेश्वरस्य
मां पाहि सर्वेश्वरि मोक्षदात्रि।
देवात्मशक्तिः श्रुतिवाक्यगीता
महर्षिलोकस्य पुरः प्रसन्ना।
गुहा परं व्योम सतः प्रतिष्ठा
मां पाहि सर्वेश्वरि मोक्षदात्रि।
परास्य शक्तिर्विविधा श्रुता या
श्वेताश्ववाक्योदितदेवि दुर्गे।
स्वाभाविकी ज्ञानबलक्रिया ते
मां पाहि सर्वेश्वरि मोक्षदात्रि।
देवात्मशब्देन शिवात्मभूता
यत्कूर्मवायव्यवचोविवृत्या।
त्वं पाशविच्छेदकरी प्रसिद्धा
मां पाहि सर्वेश्वरि मोक्षदात्रि।
त्वं ब्रह्मपुच्छा विविधा मयूरी
ब्रह्मप्रतिष्ठास्युपदिष्टगीता ।
ज्ञानस्वरूपात्मतयाखिलानां
मां पाहि सर्वेश्वरि मोक्षदात्रि।
श्री दुर्गा पञ्चरत्नम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs for Durga Pancharatnam Stotram
श्री दुर्गा पञ्चरत्नम् क्या है?
उत्तर:
श्री दुर्गा पञ्चरत्नम् देवी दुर्गा की महिमा का वर्णन करने वाला एक प्रसिद्ध स्तोत्र है। यह पाँच श्लोकों में माँ दुर्गा की स्तुति करता है और उनकी शक्तियों, गुणों और कृपा को प्रकट करता है। इसे पढ़ने से व्यक्ति में आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है और शत्रुओं से रक्षा मिलती है।श्री दुर्गा पञ्चरत्नम् का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
उत्तर:
श्री दुर्गा पञ्चरत्नम् का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय शांत वातावरण में करना श्रेष्ठ माना जाता है। पाठ करते समय माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर और ताजे फूल अर्पित करके इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ना चाहिए। नवरात्रि और अष्टमी के दिनों में इसका विशेष महत्व है।श्री दुर्गा पञ्चरत्नम् का पाठ करने से क्या लाभ होता है?
उत्तर:
इसका पाठ करने से मन को शांति मिलती है, नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। माँ दुर्गा की कृपा से व्यक्ति को भय, शत्रु, और मानसिक अशांति से मुक्ति मिलती है। यह आत्मबल को बढ़ाता है और कठिनाइयों को दूर करने में सहायक होता है।क्या श्री दुर्गा पञ्चरत्नम् का पाठ सभी कर सकते हैं?
उत्तर:
हाँ, श्री दुर्गा पञ्चरत्नम् का पाठ कोई भी व्यक्ति कर सकता है। इसे करने के लिए किसी विशेष अनुष्ठान या तैयारी की आवश्यकता नहीं होती। जो व्यक्ति माँ दुर्गा के प्रति सच्ची श्रद्धा और भक्ति रखते हैं, वे इस स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।श्री दुर्गा पञ्चरत्नम् कहाँ से प्राप्त किया जा सकता है?
उत्तर:
श्री दुर्गा पञ्चरत्नम् किसी भी धार्मिक पुस्तक की दुकान से प्राप्त किया जा सकता है। यह इंटरनेट पर भी विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध है। इसके अलावा, कई भक्ति ऐप्स और वेबसाइट्स पर इसका पाठ और अर्थ दोनों उपलब्ध हैं।