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रविवार, अगस्त 17, 2025

Durga Dussvapna Nivarana Stotram

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दुर्गा दुःस्वप्न निवारण स्तोत्रम्

दुर्गा दुःस्वप्न निवारण स्तोत्रम् एक अत्यंत प्रभावशाली एवं दिव्य स्तोत्र है जो माता दुर्गा को समर्पित है। इस स्तोत्र का मुख्य उद्देश्य दुष्ट स्वप्नों (डरावने सपनों) को नष्ट करना, नींद से जुड़ी समस्याओं से मुक्ति पाना, और मनोवैज्ञानिक शांति प्रदान करना है।

यह स्तोत्र दुर्भाग्य, अनहोनी, भय, मानसिक अस्थिरता, और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करने के लिए विशेष रूप से पढ़ा जाता है। यह स्तोत्र देवी भागवत, मार्कण्डेय पुराण या तांत्रिक ग्रंथों से संबंधित माना जाता है, हालाँकि यह किसी विशेष वेद में नहीं मिलता।

Durga Dussvapna Nivarana Stotram1

Durga Dussvapna Nivarana Stotram

दुर्गे देवि महाशक्ते दुःस्वप्नानां विनाशिनि।
प्रसीद मयि भक्ते त्वं शान्तिं देहि सदा शुभाम्॥

रात्रौ शरणमिच्छामि तवाहं दुर्गनाशिनि।
दुःस्वप्नानां भयाद्देवि त्राहि मां परमेश्वरि॥

दुःस्वप्नभयशान्त्यर्थं त्वां नमामि महेश्वरि।
त्वं हि सर्वसुराराध्या कृपां कुरु सदा मयि॥

प्रभातेऽहं स्मरामि त्वां दुःस्वप्नानां निवारिणीम्।
रक्ष मां सर्वतो मातः सर्वानन्दप्रदायिनि॥

दुःस्वप्ननाशके दुर्गे सर्वदा करुणामयी।
त्वयि भक्तिं सदा कृत्वा दुःखक्षयमवाप्नुयाम्॥

रात्रौ स्वप्ने न दृश्यन्ते दुःखानि तव कीर्तनात्।
तस्मात् त्वं शरणं मेऽसि त्राहि मां वरदे शिवे॥

रात्रौ मां पाहि हे दुर्गे दुःस्वप्नांश्च निवारय।
त्वमाश्रया च भक्तानां सुखं शान्तिं प्रयच्छ मे॥

दुःस्वप्नानध्वसनं मातर्विधेहि मम सर्वदा।
त्वत्पादपङ्कजं ध्यात्वा प्राप्नुयां शान्तिमुत्तमाम्॥

पाठ विधि (कैसे पढ़ें)

पाठ के बाद “ॐ दुं दुर्गायै नमः” मंत्र का 11 बार जप करें

समय:

रात्रि को सोने से पहले

सुबह ब्रह्ममुहूर्त में

विशेषतः अमावस्या, नवमी, या मंगलवार-शनिवार को

स्थान:

शुद्ध एवं शांत स्थान पर

माता दुर्गा के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाकर

विधि:

स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें

हाथ में जल लेकर संकल्प करें: “माता दुर्गा की कृपा से दुःस्वप्न, भय, और मानसिक बाधाओं को दूर करने के लिए मैं यह स्तोत्र पाठ करता हूँ।”

स्तोत्र का उच्चारण शुद्धता से करें

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