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रविवार, दिसम्बर 14, 2025

चन्द्रशेखर अष्टकम

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Chandrasekhara Ashtakam

चन्द्रशेखर अष्टकम आठ छंदों की एक बहुत शक्तिशाली प्रार्थना है। अष्टकम में भगवान शिव की शक्ति को महामृत्युंजय रूप में दर्शाया गया है। अष्टकम ऋषि मार्कंडेय द्वारा लिखा गया है। ऐसा कहा जाता है कि सोलह वर्ष की आयु में, मार्कंडेय को शिव ने मृत्यु के देवता (काल या यम) से बचाया था।

चन्द्रशेखर का अर्थ: चन्द्र का अर्थ है चन्द्रमा और शेखर का अर्थ है मुकुट या शीश का आभूषण। चन्द्रशेखर नाम से भगवान शिव को संबोधित किया जाता है क्योंकि वे अपने मस्तक पर चन्द्रमा को धारण करते हैं। चन्द्रमा शिव के सौम्य, शांत और कल्याणकारी स्वरूप का प्रतीक है।

चन्द्रशेखर अष्टकम

चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम् ।
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम् ॥ (२)

रत्नसानु शरासनं रजताद्रि शृङ्ग निकेतनं
शिञ्जिनीकृत पन्नगेश्वर मच्युतानल सायकम् ।
क्षिप्रदग्द पुरत्रयं त्रिदशालयै-रभिवन्दितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ १ ॥

पञ्चपादप पुष्पगन्ध पदाम्बुज द्वयशोभितं
फाललोचन जातपावक दग्ध मन्मध विग्रहम् ।
भस्मदिग्ध कलेबरं भवनाशनं भव मव्ययं
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम् ॥ २ ॥

मत्तवारण मुख्यचर्म कृतोत्तरीय मनोहरं
पङ्कजासन पद्मलोचन पूजिताङ्घ्रि सरोरुहम् ।
देव सिन्धु तरङ्ग श्रीकर सिक्त शुभ्र जटाधरं
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम् ॥ ३ ॥

यक्ष राजसखं भगाक्ष हरं भुजङ्ग विभूषणम्
शैलराज सुता परिष्कृत चारुवाम कलेबरम् ।
क्षेल नीलगलं परश्वध धारिणं मृगधारिणम्
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम् ॥ ४ ॥

कुण्डलीकृत कुण्डलीश्वर कुण्डलं वृषवाहनं
नारदादि मुनीश्वर स्तुतवैभवं भुवनेश्वरम् ।
अन्धकान्तक माश्रितामर पादपं शमनान्तकं
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम् ॥ ५ ॥

भेषजं भवरोगिणा मखिलापदा मपहारिणं
दक्षयज्ञ विनाशनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम् ।
भक्ति मुक्ति फलप्रदं सकलाघ सङ्घ निबर्हणं
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम् ॥ ६ ॥

भक्तवत्सल-मर्चितं निधिमक्षयं हरिदम्बरं
सर्वभूत पतिं परात्पर-मप्रमेय मनुत्तमम् ।
सोमवारिन भूहुताशन सोम पाद्यखिलाकृतिं
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम् ॥ ७ ॥

विश्वसृष्टि विधायकं पुनरेवपालन तत्परं
संहरं तमपि प्रपञ्च मशेषलोक निवासिनम् ।
क्रीडयन्त महर्निशं गणनाथ यूथ समन्वितं
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम् ॥ ८ ॥

मृत्युभीत मृकण्डुसूनुकृतस्तवं शिवसन्निधौ
यत्र कुत्र च यः पठेन्न हि तस्य मृत्युभयं भवेत् ।
पूर्णमायुररोगतामखिलार्थसम्पदमादरं
चन्द्रशेखर एव तस्य ददाति मुक्तिमयत्नतः ॥ ९ ॥

चन्द्रशेखर अष्टकम का महत्व

  1. भय का नाश: यह माना जाता है कि चन्द्रशेखर अष्टकम का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के भय और संकट दूर हो जाते हैं। यह स्तोत्र भगवान शिव के शरणागत होने की भावना को प्रकट करता है।
  2. मृत्यु पर विजय: इस स्तोत्र में शिव को “मृत्युंजय” के रूप में संबोधित किया गया है। ऐसा माना जाता है कि इसका नियमित पाठ मृत्यु के भय को समाप्त करता है और जीवन में आत्मविश्वास व साहस प्रदान करता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: इस स्तोत्र का पाठ करने से साधक को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। शिव की कृपा से व्यक्ति में धैर्य, शक्ति और ज्ञान का विकास होता है।

चन्द्रशेखर अष्टकम का पाठ

चन्द्रशेखर अष्टकम का पाठ प्रातःकाल या संध्याकाल में किया जाता है। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ने से शिव की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि मानसिक शांति और संतुलन के लिए भी उपयोगी है।

चन्द्रशेखर अष्टकम पर आधारित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर

  1. चन्द्रशेखर अष्टकम किसके स्तुति हेतु लिखा गया है?

    चन्द्रशेखर अष्टकम भगवान शिव की स्तुति हेतु लिखा गया है, जो चंद्रशेखर रूप में पूजित हैं।

  2. चन्द्रशेखर अष्टकम का पाठ करने से क्या लाभ होता है?

    इसका पाठ भय, रोग, शत्रु और मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाता है और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।

  3. चन्द्रशेखर अष्टकम का पाठ किस समय करना शुभ होता है?

    इसका पाठ प्रातःकाल या संध्या समय में, शांत मन और पवित्रता के साथ करना अत्यंत शुभ होता है।

  4. क्या चन्द्रशेखर अष्टकम का पाठ किसी विशेष पूजा या अनुष्ठान के समय किया जाता है?

    हाँ, इसे शिव पूजा, सोमवार व्रत और महाशिवरात्रि के समय विशेष रूप से पढ़ा जाता है।

  5. चन्द्रशेखर अष्टकम के पाठ के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

    पाठ के दौरान मन को शिव में केंद्रित रखें, उच्चारण शुद्ध हो और श्रद्धा व विश्वास के साथ इसका पाठ करें।

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