चंद्र ग्रह स्तोत्रम्(Chandra Graha Stotram) एक ऐसा स्तोत्र है, जिसका प्रयोग मुख्यतः चंद्रमा के शुभ प्रभाव को प्राप्त करने और उनके अशुभ प्रभावों को समाप्त करने के लिए किया जाता है। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन और भावनाओं का कारक ग्रह माना गया है। चंद्रमा की स्थिति जन्मकुंडली में मानसिक स्थिति, भावनात्मक स्थिरता और जीवन के सुख-दुख को प्रभावित करती है।
रोहिणीशः सुधामूर्तिः सुधागात्रः सुधाशनः।
विषणस्थानसंभूतां पीडां हरतु मे विधुः।
rohineeshah’ sudhaamoortih’ sudhaagaatrah’ sudhaashanah’.
vishanasthaanasambhootaam peed’aam haratu me vidhuh’.
चंद्र ग्रह स्तोत्रम् श्लोक का अर्थ है: Meaning of Chandra Graha Stotram
रोहिणीशः: जो रोहिणी नक्षत्र के स्वामी हैं, अर्थात चंद्रमा।
सुधामूर्तिः: अमृतमय स्वरूप वाले।
सुधागात्रः: जिनका शरीर अमृत के समान है।
सुधाशनः: जो अमृत का सेवन करने वाले हैं।
विषणस्थानसंभूतां: विषम परिस्थितियों से उत्पन्न।
पीडां हरतु मे विधुः: मेरी सभी पीड़ाओं को चंद्रमा दूर करें।
चंद्र ग्रह स्तोत्रम् का महत्व Importance of Chandra Graha Stotram
- मानसिक शांति: यह स्तोत्र मन को शांत करने और मानसिक संतुलन बनाए रखने में सहायक है।
- ज्योतिषीय उपाय: कुंडली में यदि चंद्रमा अशुभ हो या चंद्र दोष हो, तो इस स्तोत्र का जाप करना लाभकारी होता है।
- शारीरिक स्वास्थ्य: चंद्रमा का प्रभाव शरीर के जल तत्व पर होता है। इस स्तोत्र का नियमित जाप शरीर की समस्याओं, विशेषकर मानसिक तनाव और जलजनित बीमारियों को दूर करता है।
- सौम्यता और आकर्षण: चंद्रमा की कृपा से व्यक्ति के स्वभाव में सौम्यता, दया और आकर्षण बढ़ता है।
विधि
- प्रातःकाल स्नान करके शांत मन से पूजन करें।
- किसी शांत और पवित्र स्थान पर बैठकर चंद्रमा के चित्र या शिवलिंग के समक्ष दीप प्रज्वलित करें।
- सफेद वस्त्र धारण करें और सफेद फूल, चावल, और दूध का चढ़ावा चढ़ाएं।
- इस श्लोक का 11, 21, या 108 बार जाप करें।
चंद्रमा का ज्योतिषीय प्रभाव
- द्रमा मन, जल तत्व, माता, और मानसिक शांति का कारक है। यदि चंद्रमा कमजोर हो तो व्यक्ति को:
- अनिद्रा
- मानसिक तनाव
- निर्णय लेने में कठिनाई
- माता के साथ संबंधों में समस्या
का सामना करना पड़ सकता है। - चंद्र ग्रह स्तोत्रम् का पाठ इन सभी समस्याओं को हल करने और चंद्रमा के शुभ प्रभाव को बढ़ाने में सहायक है।
विशेष दिन और समय
- चंद्र ग्रह स्तोत्रम् का जाप सोमवार को करना विशेष लाभकारी होता है।
- पूर्णिमा और अमावस्या के दिन भी इस स्तोत्र का पाठ विशेष फल देता है।
चंद्र ग्रह स्तोत्रम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न – FAQs for Chandra Graha Stotram
चंद्र ग्रह स्तोत्रम् क्या है?
चंद्र ग्रह स्तोत्रम् एक पवित्र वैदिक मंत्रों और स्तुतियों का समूह है, जो विशेष रूप से चंद्र ग्रह को समर्पित है। इसका उपयोग चंद्रमा से जुड़ी समस्याओं को कम करने, मन को शांत करने और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह ज्योतिष में चंद्रमा के अशुभ प्रभावों को समाप्त करने के लिए भी लाभकारी माना जाता है।
चंद्र ग्रह स्तोत्रम् का पाठ करने के फायदे क्या हैं?
चंद्र ग्रह स्तोत्रम् का नियमित पाठ मानसिक शांति, भावनात्मक संतुलन और आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक होता है। यह मन के विकारों को दूर करता है और जीवन में समृद्धि और खुशहाली लाने में मदद करता है। इसके अलावा, यह चंद्रमा से संबंधित दोष, जैसे चंद्र ग्रहण दोष, को कम करने में भी सहायक है।
चंद्र ग्रह स्तोत्रम् का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
चंद्र ग्रह स्तोत्रम् का पाठ सोमवार के दिन या पूर्णिमा के दिन करना सबसे शुभ माना जाता है। इसे सुबह स्नान करके और शांत मन से किसी पूजा स्थल पर बैठकर किया जाना चाहिए। पाठ करते समय सफेद वस्त्र पहनना और चंद्रमा की ओर ध्यान केंद्रित करना लाभकारी होता है।
क्या चंद्र ग्रह स्तोत्रम् का पाठ सभी लोग कर सकते हैं?
हाँ, चंद्र ग्रह स्तोत्रम् का पाठ सभी लोग कर सकते हैं, चाहे उनकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कैसी भी हो। यह स्तोत्र शांति, सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक सुकून प्रदान करता है। हालांकि, ज्योतिष विशेषज्ञ से सलाह लेकर इसका पाठ करना अधिक प्रभावी हो सकता है यदि विशेष दोष निवारण की आवश्यकता हो।
चंद्र ग्रह स्तोत्रम् से जुड़े प्रमुख मंत्र या श्लोक कौन-कौन से हैं?
चंद्र ग्रह स्तोत्रम् में चंद्रमा की महिमा का वर्णन करने वाले कई मंत्र और श्लोक हैं। इनमें से एक प्रमुख श्लोक है:
“दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसंभवम्।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुटभूषणम्।”
यह श्लोक चंद्रमा की शीतलता और उनकी दिव्य शक्तियों की प्रशंसा करता है।