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मंगलवार, अगस्त 12, 2025

बुध ग्रह मंत्र

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Budh Mantra

बुध (Mercury Mantra) हमारे सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है और सूर्य के सबसे निकट स्थित है। यह पृथ्वी के आकार का केवल लगभग 38% ही है। भारतीय वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को बुद्धि, वाणी, तर्क, गणना, लेखन, संचार, वाणिज्य एवं व्यापार का प्रतिनिधि ग्रह माना गया है। यह एक तटस्थ (न्यूट्रल) ग्रह है जो शुभ और अशुभ दोनों फल देने में सक्षम होता है, यह इस पर निर्भर करता है कि वह कुंडली में किन ग्रहों के साथ है और किस भाव में स्थित है।

खगोलशास्त्रीय विशेषताएँ

गुणविवरण
सूर्य से दूरीलगभग 5.8 करोड़ किलोमीटर
व्यासलगभग 4,879 किलोमीटर
दिन की लंबाई58.6 पृथ्वी दिन (1 बुध दिवस)
वर्ष की लंबाई88 पृथ्वी दिन (1 बुध वर्ष)
उपग्रह (चंद्रमा)कोई नहीं
घूर्णन गतिबहुत धीमी
परिक्रमण गतिसबसे तेज़ (47.87 किमी/सेकंड)

बुध ग्रह के सामान्य गुण

  • स्वभाव: नपुंसक, द्विस्वभाव, शुभ ग्रह
  • राशि स्वामित्व: मिथुन (Gemini) और कन्या (Virgo)
  • उच्च राशि: कन्या राशि में उच्चतम बल प्राप्त करता है
  • नीच राशि: मीन राशि में नीच होता है
  • मूल त्रिकोण राशि: कन्या
  • दोस्त ग्रह: सूर्य, शुक्र
  • शत्रु ग्रह: चंद्रमा
  • तटस्थ ग्रह: बाकी सभी
budh mantra

बुध का प्रभाव (फल)

बुध यदि कुंडली में शुभ और बलवान हो तो व्यक्ति को निम्न लाभ प्रदान करता है:

  • उच्च बौद्धिक क्षमता
  • गणना और तर्क शक्ति में निपुणता
  • लेखन, पत्रकारिता, वाणी और भाषण में निपुणता
  • कुशल व्यवसायी और व्यापारी
  • युवा और आकर्षक व्यक्तित्व
  • तीव्र स्मरण शक्ति

यदि बुध अशुभ या पीड़ित हो (राहु, केतु, शनि या मंगल से ग्रस्त), तो इसके विपरीत प्रभाव होते हैं:

  • तर्कहीनता, भ्रम की स्थिति
  • वाणी दोष, झूठ बोलना या अपमानजनक भाषा
  • व्यापार में हानि
  • मानसिक बेचैनी, पढ़ाई में बाधा
  • त्वचा रोग या तंत्रिका तंत्र की समस्या

बुध ग्रह से संबंधित अन्य शास्त्रीय मान्यताएँ

  • देवता: बुध को नारायण का ही एक रूप माना गया है। पुराणों के अनुसार, वह चंद्रमा और तारा (बृहस्पति की पत्नी) के पुत्र हैं।
  • वर्ण: वैश्य
  • दिशा: उत्तर
  • धातु: कांस्य

बुध का रत्न:

विज्ञान के अनुसार बुध ग्रह का रत्न पन्ना(Emerald) है और इसके उपरत्न के तोर पे हरा हकीक है। बुधवार के दिन सवेरे सूर्योदय के समय सवा पांच रत्ती पन्ना या हरा हकीक रत्न दाहिने हाथ के कनिष्ठिका (सबसे छोटी) अंगुली में सोने की अंगूठी बनवाकर धारण करनी चाहिये।

बुध की दशा और महादशा

विमशोत्तरी दशा प्रणाली के अनुसार, बुध की महादशा 17 वर्षों की होती है। यदि यह महादशा शुभ भाव में और शुभ ग्रहों से युक्त हो तो यह काल व्यक्ति के जीवन में चमत्कारिक रूप से उन्नति प्रदान कर सकता है:

  • करियर में सफलता
  • व्यापार में वृद्धि
  • संचार माध्यमों से लाभ
  • अध्ययन और शिक्षा में श्रेष्ठता
  • विदेश यात्रा और बुद्धिजीवी प्रतिष्ठा

यदि यह दशा पीड़ित हो, तो भ्रम, असफलता और मानसिक बेचैनी का कारण बन सकती है।

बुध ग्रह मन्त्र साधना विधान

बुध की साधना को गुरु पुष्य योग या फिर किसी भी बुधवार से प्रारम्भ कर सकते है। यह साधना सवेरे ब्रह्म मुहूर्त में (4:24 से 6:00 बजे तक) या फिर दिन में (11:30 से 12:36 के बीच) कर सकते है पर इस साधना को सवेरे करने से ज्यादा अच्छा माना जाता है।

इस साधना को करने के लिए साधक स्नान आदि से पवित्र होकर हरे रंग के वस्त्र धारण कर लें। ईशान (पूर्व और उत्तर के बीच) दिशा की ओर मुख कर बैठ जायें। अपने सामने लकड़ी की चौकी पर हरे रंग का कपड़ा बिछा दें। चौकी पर शिव का चित्र या मूर्ति स्थापित कर, मन ही मन प्रभु शिव संकर जी से साधना में सफलता हेतु आशीर्वाद प्राप्त करें। शिव जी के चित्र सामने एक थाली रखें उस थाली के बीच हल्दी से स्वास्तिक बनाये, उस स्वास्तिक में साबुत हरी मूंग की दाल भर दें, उसके ऊपर प्राण प्रतिष्ठा युक्त “बुध यंत्र’’ स्थापित कर दें। यंत्र के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाये, दाहिने हाथ में पवित्र जल लेकर विनियोग करें.

विनियोग:

ॐ अस्य बुध मंत्रस्य गौतम ऋषि:, अनुष्टुप्छन्द:, सौम पुत्रो शान्ति देवता, ब्रह्मा बीजं सौम्य शक्ति: मम अभीष्ट सिद्धये जपे विनियोग:

इसके बाद गुरु का ध्यान करे.

प्रियंगु कलिका श्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम ।

सौम्यं सौम्य गुणोपेतं बंध तं प्रणमाम्यहम् ॥

ध्यान के बाद फिर से बुध यंत्र का पूजन करे उसके पश्चात एक माला बुध सात्विक और गायत्री मंत्र की एक-एक माला मंत्र जप करें.

बुध गायत्री मन्त्र:

॥ॐ सौम्य रूपाय विद्दहे वाणेशाय धीमहि तन्नो सौम्य: प्रचोदयात् ॥

बुध सात्विक मन्त्र:

॥ ॐ बुं बुधाय नम: ॥

पह मंत्र की २३ माला ११ दिन तक जाप करे

बुध तांत्रोक्त मन्त्र:

॥ ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: ॥

इनेक बाद बुध स्तोत्र का पाठ करे.

बुध स्तोत्र:

पीताम्बर: पीतवपुः किरीट श्र्वतुर्भजो देवदू: खपहर्ता ।
धर्मस्य धृक् सोमसुत: सदा मे सिंहाधिरुढो वरदो बुधश्र्व ॥1॥

प्रियंगुकनकश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम् ।
सौम्यं सौम्य गुणोंपेतं नमामि शशिनन्दनम्  ॥2॥

सोमसूनुर्बुधश्चैव सौम्य: सौम्यगुणान्वित: ।
सदा शान्त: सदा क्षेमो नमामि शशिनन्दनम्  ॥3॥

उत्पातरूप: जगतां बुधपुत्रो महाद्दुति: ।
सूर्याप्रियकारी विद्वान पीड़ां हरतु मे बुध:  ॥4॥

शिरीष पुष्पसङकश: कपिशीलो युवा पुन: ।
सोमपुत्रो बुधश्र्वैव सदा शान्ति प्रयच्छ्तु  ॥5॥

श्याम: शिरालश्र्व कलाविधिज्ञ: कौतूहली कोमलवाग्विलासी ।
रजोधिको मध्यमरूपधृक् स्यादाताम्रनेत्री द्विजराजपुत्र:  ॥6॥

अहो बुधसुत श्रीमन् मागधर्मासमुद्रव: ।
अत्रिगोत्रश्र्वतुर्बाहु: खङगखेटक धारक:  ॥7॥

गदधरो नृसिंहस्थ: स्वर्णनाभसमन्वित: ।
केतकीद्रुमपत्राभ इन्द्रविष्णुपूजित:  ॥8॥

ज्ञेयो बुध: पण्डितश्र्व रोहिणेयश्र्व सोमज: ।
कुमारो राजपुत्रश्र्व शैशेव: शशिनन्दन:  ॥9॥

बुधपुत्रश्र्व तारेयो विबुधो बोधनस्तथा ।
सौम्य: सौम्यगुणोपेतो रत्नदानफलप्रद:  ॥10॥

एतानि बुध नामामि प्रात: काले पठेन्नर: ।
बुद्धिर्विवृद्धितां याति बुधपीडा न जायते  ॥11॥

बुध ग्रह एक अत्यंत प्रभावशाली, तीव्रगामी और बुद्धि-प्रधान ग्रह है। यह जीवन में विचार, वाणी और व्यवसाय के क्षेत्रों को नियंत्रित करता है। शास्त्रों में इसे चतुराई, वाक्पटुता और तर्क की संज्ञा दी गई है। यदि इसका प्रभाव शुभ हो, तो यह व्यक्ति को राजनयिक, लेखक, वक्ता, गणितज्ञ या एक कुशल व्यापारी बना सकता है। इसके विपरीत यदि यह पीड़ित हो, तो व्यक्ति भ्रमित, तर्कहीन और जीवन में अस्थिरता से ग्रस्त हो सकता है।

अतः बुध ग्रह का अध्ययन न केवल ज्योतिष के दृष्टिकोण से, बल्कि मानवीय और मानसिक विकास के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।

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