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मंगलवार, अक्टूबर 22, 2024

भास्कर अष्टकम् Bhaskara Ashtakam

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भास्कर अष्टकम् Bhaskara Ashtakam

भास्कर अष्टकम् एक महत्वपूर्ण संस्कृत स्तोत्र है, जिसे भगवान सूर्य (भास्कर) की स्तुति में लिखा गया है। यह अष्टकंठा, अर्थात् आठ श्लोकों का संग्रह है, जो भगवान सूर्य की महिमा और उनके गुणों का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भक्तों को सूर्य के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने का एक माध्यम है।

भास्कर अष्टकम् का महत्व Importance of Bhaskar Ashtakam

भास्कर अष्टकम् का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत अधिक है। यह स्तोत्र सूर्य की कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा, ध्यान और जप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सूर्य को जीवन, ऊर्जा, और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। इसके अतिरिक्त, भास्कर अष्टकम् का पाठ करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और उसकी समृद्धि में वृद्धि होती है।

भास्कर अष्टकम् की रचना Composition of Bhaskar Ashtakam

इस स्तोत्र की रचना महान संत और कवि आदि शंकराचार्य द्वारा की गई है। शंकराचार्य ने भक्ति और ज्ञान के माध्यम से समाज में धर्म और नैतिकता को स्थापित करने का कार्य किया। उनके द्वारा लिखित यह स्तोत्र भक्तों को आत्मिक शांति और सच्चे ज्ञान की ओर अग्रसर करता है।

भास्कर अष्टकम् का पाठ Recitation of Bhaskar Ashtakam

श्रीपद्मिनीशमरुणोज्ज्वलकान्तिमन्तं
मौनीन्द्रवृन्दसुरवन्दितपादपद्मम्।

नीरेजसम्भवमुकुन्दशिवस्वरूपं
श्रीभास्करं भुवनबान्धवमाश्रयामि

मार्ताण्डमीशमखिलात्मकमंशुमन्त-
मानन्दरूपमणिमादिकसिद्धिदं च।

आद्यन्तमध्यरहितं च शिवप्रदं त्वां
श्रीभास्करं नतजनाश्रयमाश्रयामि।

सप्ताश्वमभ्रमणिमाश्रितपारिजातं
जाम्बूनदाभमतिनिर्मलदृष्टिदं च।

दिव्याम्बराभरणभूषितचारुमूर्तिं
श्रीभास्करं ग्रहगणाधिपमाश्रयामि।

पापार्तिरोगभयदुःखहरं शरण्यं
संसारगाढतमसागरतारकं च।

हंसात्मकं निगमवेद्यमहस्करं त्वां
श्रीभास्करं कमलबान्धवमाश्रयामि।

प्रत्यक्षदैवमचलात्मकमच्युतं च
भक्तप्रियं सकलसाक्षिणमप्रमेयम्।

सर्वात्मकं सकललोकहरं प्रसन्नं
श्रीभास्करं जगदधीश्वरमाश्रयामि।

ज्योतिस्वरूपमघसञ्चयनाशकं च
तापत्रयान्तकमनन्तसुखप्रदं च।

कालात्मकं ग्रहगणेन सुसेवितं च
श्रीभास्करं भुवनरक्षकमाश्रयामि।

सृष्टिस्थितिप्रलयकारणमीश्वरं च
दृष्टिप्रदं परमतुष्टिदमाश्रितानाम्।

इष्टार्थदं सकलकष्टनिवारकं च
श्रीभास्करं मृगपतीश्वरमाश्रयामि।

आदित्यमार्तजनरक्षकमव्ययं च
छायाधवं कनकरेतसमग्निगर्भम्।

सूर्यं कृपालुमखिलाश्रयमादिदेवं
लक्ष्मीनृसिंहकविपालकमाश्रयामि।

श्रीभास्कराष्टकमिदं परमं पवित्रं
यत्र श्रुतं च पठितं सततं स्मृतं च।

तत्र स्थिराणि कमलाप्तकृपाविलासै-
र्दीर्घायुरर्थबलवीर्यसुतादिकानि।


भास्कर अष्टकम् का पाठ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ होना आवश्यक है। इसे विशेष रूप से सूर्य उदय के समय पाठ करना अधिक फलदायी माना जाता है। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ने से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य मिलता है।

भास्कर अष्टकम् का प्रभाव

भास्कर अष्टकम् का नियमित पाठ करने से अनेक लाभ होते हैं, जैसे:

सकारात्मक ऊर्जा: भास्कर अष्टकम् के पाठ से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो जीवन में उत्साह और सकारात्मकता लाता है।

शारीरिक स्वास्थ्य: सूर्य की ऊर्जा का प्रत्यक्ष प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसका पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है।

आर्थिक समृद्धि: भास्कर अष्टकम् का पाठ करने से व्यक्ति के वित्तीय मामलों में सुधार होता है।

आत्मिक शांति: यह स्तोत्र मन को शांति और संतोष प्रदान करता है।

भास्कर अष्टकम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs of Bhaskara Ashtakam

  1. 1.भास्कर अष्टकम् क्या है?

    उत्तर: भास्कर अष्टकम् एक प्रसिद्ध संस्कृत स्तोत्र है, जिसे भगवान सूर्य देव की पूजा करने के लिए रचा गया है। यह आठ श्लोकों का समूह है, जिसमें सूर्य देव की महिमा का वर्णन किया गया है। इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।

  2. 2.भास्कर अष्टकम् का पाठ किस समय करना चाहिए?

    उत्तर: भास्कर अष्टकम् का पाठ सुबह के समय सूर्योदय से पूर्व या बाद में किया जा सकता है। इस समय सूर्य की किरणों का महत्व बहुत अधिक होता है, और यह ध्यान और साधना के लिए अनुकूल माना जाता है। भक्त इसे नियमित रूप से पढ़ने का प्रयास करते हैं, जिससे उनकी आराधना में निरंतरता बनी रहती है

  3. 3.भास्कर अष्टकम् के पाठ के लाभ क्या हैं?

    उत्तर: भास्कर अष्टकम् के पाठ के अनेक लाभ हैं। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है, बल्कि मानसिक तनाव को कम करने में भी मदद करता है। इसके साथ ही, यह भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा, शांति और धन-धान्य की प्राप्ति में सहायक होता है। इसके नियमित पाठ से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और जीवन में सुख और समृद्धि आती है।

  4. 4. क्या भास्कर अष्टकम् का पाठ परिवार के सभी सदस्यों द्वारा किया जा सकता है?

    उत्तर: हाँ, भास्कर अष्टकम् का पाठ परिवार के सभी सदस्यों द्वारा किया जा सकता है। यह स्तोत्र सामूहिक पूजा में भी पढ़ा जा सकता है, जिससे परिवार में एकता और सामंजस्य बढ़ता है। इसे सभी आयु वर्ग के लोग आसानी से पढ़ सकते हैं, और यह बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के लिए लाभकारी है।

  5. 5. क्या भास्कर अष्टकम् का पाठ करने के लिए विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है?

    उत्तर: भास्कर अष्टकम् का पाठ करने के लिए विशेष सामग्री की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन, भक्त यदि चाहें तो इसे करने के लिए तुलसी, फूल, फल, और शुद्ध जल का उपयोग कर सकते हैं। ये सामग्री पूजा के समय श्रद्धा और भक्ति के साथ उपयोग की जाती हैं, जिससे आराधना और भी प्रभावशाली होती है।

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