32.1 C
Gujarat
शुक्रवार, जून 20, 2025

भारती भावना स्तोत्रम्

Post Date:

भारती भावना स्तोत्रम्

“भारती भावना स्तोत्रम्” एक ऐसा स्तोत्र है जिसमें भारतीय संस्कृति, परंपरा, साहित्यिक गौरव और आध्यात्मिक चेतना का गुणगान किया गया है। ‘भारती’ शब्द का उपयोग देवी सरस्वती के संदर्भ में भी किया जाता है, जो ज्ञान, कला, संगीत और शिक्षा की देवी हैं। इस स्तोत्र में भारतीयता की आत्मा और सांस्कृतिक विरासत के प्रति समर्पण की भावना प्रकट होती है।

भारती भावना स्तोत्रम् का महत्व

  • भारतीय संस्कृति का गौरव: यह स्तोत्र हमारे देश की प्राचीन सांस्कृतिक परंपराओं, साहित्यिक धरोहर, कला, संगीत और ज्ञान की महत्ता को उजागर करता है।
  • आध्यात्मिक जागरण: देवी भारती के गुणों और उनके द्वारा प्रदान किए जाने वाले ज्ञान की महिमा का वर्णन करते हुए, यह स्तोत्र आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति का स्रोत माना जाता है।
  • एकता और समरसता का संदेश: यह स्तोत्र देशवासियों में एकता, सहयोग और सौहार्द की भावना को बढ़ावा देता है, जिससे राष्ट्रीय चेतना और सामाजिक समरसता में वृद्धि होती है।

लाभ एवं उपयोग

  • शैक्षिक और बौद्धिक विकास: विद्यार्थियों एवं शिक्षाविदों में ज्ञान की प्राप्ति और बौद्धिक वृद्धि के लिए यह स्तोत्र अत्यंत प्रेरणादायक है।
  • सांस्कृतिक चेतना: इस स्तोत्र के नियमित पाठ से भारतीय सांस्कृतिक विरासत और परंपरा के प्रति गर्व एवं जागरूकता बढ़ती है।
  • आध्यात्मिक शांति: मन को शांति, स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने में यह स्तोत्र सहायक होता है।
  • सामाजिक एकता: देशभक्ति और राष्ट्रीय भावना को प्रबल बनाने में यह स्तोत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

Bharati Bhavana Stotram

श्रितजनमुख- सन्तोषस्य दात्रीं पवित्रां
जगदवनजनित्रीं वेदवनेदान्तत्त्वाम्।
विभवनवरदां तां वृद्धिदां वाक्यदेवीं
सुमनसहृदिगम्यां भारतीं भावयामि।
विधिहरिहरवन्द्यां वेदनादस्वरूपां
ग्रहरसरव- शास्त्रज्ञापयित्रीं सुनेत्राम्।
अमृतमुखसमन्तां व्याप्तलोकां विधात्रीं
सुमनसहृदिगम्यां भारतीं भावयामि।
कृतकनकविभूषां नृत्यगानप्रियां तां
शतगुणहिमरश्मी- रम्यमुख्याङ्गशोभाम्।
सकलदुरितनाशां विश्वभावां विभावां
सुमनसहृदिगम्यां भारतीं भावयामि।
समरुचिफलदानां सिद्धिदात्रीं सुरेज्यां
शमदमगुणयुक्तां शान्तिदां शान्तरूपाम्।
अगणितगुणरूपां ज्ञानविद्यां बुधाद्यां
सुमनसहृदिगम्यां भारतीं भावयामि।
विकटविदितरूपां सत्यभूतां सुधांशां
मणिमकुटविभूषां भुक्तिमुक्तिप्रदात्रीम्।
मुनिनुतपदपद्मां सिद्धदेश्यां विशालां
सुमनसहृदिगम्यां भारतीं भावयामि।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

ऋग्वेद हिंदी में

ऋग्वेद (Rig veda in Hindi PDF) अर्थात "ऋचाओं का...

Pradosh Stotram

प्रदोष स्तोत्रम् - Pradosh Stotramप्रदोष स्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण और...

Sapta Nadi Punyapadma Stotram

Sapta Nadi Punyapadma Stotramसप्तनदी पुण्यपद्म स्तोत्रम् (Sapta Nadi Punyapadma...

Sapta Nadi Papanashana Stotram

Sapta Nadi Papanashana Stotramसप्तनदी पापनाशन स्तोत्रम् (Sapta Nadi Papanashana...
error: Content is protected !!