31.4 C
Gujarat
मंगलवार, सितम्बर 23, 2025

भारत की इकलौती पुरुष नदी की रहस्यमयी कहानी

Post Date:

भारत की इकलौती पुरुष नदी की रहस्यमयी कहानी

भारत, जहां नदियों को माता और देवी के रूप में पूजा जाता है, वहां एक नदी ऐसी है जो इस परंपरा को तोड़ती है। यह नदी है ब्रह्मपुत्र, जिसे भारत की एकमात्र पुरुष नदी कहा जाता है। इसका नाम, इसकी उत्पत्ति, और इससे जुड़ी पौराणिक और वैज्ञानिक कहानियां इसे न केवल एक भौगोलिक चमत्कार बनाती हैं, बल्कि एक सांस्कृतिक और धार्मिक रहस्य भी।

एक पुरुष नदी का नामकरण

भारत में नदियों को सामान्य रूप से स्त्रीलिंग में देखा जाता है, जैसे गंगा, यमुना, नर्मदा, और गोदावरी। इन्हें मां या देवी के रूप में पूजा जाता है। लेकिन ब्रह्मपुत्र एक अपवाद है। वेदों और पुराणों में इसे पुल्लिंग में वर्णित किया गया है। इसका नाम “ब्रह्मपुत्र” शाब्दिक रूप से “ब्रह्मा का पुत्र” अर्थात भगवान ब्रह्मा के पुत्र के रूप में लिया जाता है।

यह नदी न केवल हिंदू धर्म में पूजनीय है, बल्कि जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी महत्वपूर्ण है। बौद्ध मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मपुत्र का उद्गम तिब्बत के चांग थांग पठार की एक विशाल झील से हुआ था। एक दयालु बोधिसत्व ने इस झील के पानी को हिमालय की तलहटी में रहने वाले लोगों तक पहुंचाने के लिए एक रास्ता बनाया, जिससे इस नदी का जन्म हुआ।

Brahmaputra River Homeward bound
Image Credit : Wikipidia

ब्रह्मपुत्र नदी का शास्त्रीय उल्लेख

  1. महाभारत में उल्लेख
    महाभारत के भीष्म पर्व में तीर्थों का वर्णन करते हुए ब्रह्मपुत्र नदी का उल्लेख किया गया है। इसे पुण्य देने वाली नदी माना गया है
  2. महाभारत में जब युधिष्ठिर राजसूय यज्ञ के लिए दिग्विजय अभियान भेजते हैं, तो सहदेव की यात्रा पूर्व दिशा की ओर बताई जाती है जहाँ ब्रह्मपुत्र क्षेत्र का वर्णन आता है। वहाँ के राजाओं और गंगा-तटवर्ती नदियों का जो ज़िक्र है, उनमें ब्रह्मपुत्र का नाम न होकर उसका प्रभाव चित्रित होता है।

“लोहितो नाम यः तीर्थं सर्वपापप्रणाशनम्।
तत्र स्नात्वा नरः पुण्यं प्राप्नुयात् परमं गतिम्॥”

(महाभारत, भीष्म पर्व) भावार्थ: लोहित नामक तीर्थ (ब्रह्मपुत्र नदी) समस्त पापों का नाश करने वाला है। वहाँ स्नान करके मनुष्य पुण्य प्राप्त करता है और परम गति को प्राप्त होता है।
  1. स्कंद पुराण में उल्लेख
    स्कंद पुराण में विशेष रूप से ब्रह्मपुत्र को ब्रह्मा जी के आशीर्वाद से उत्पन्न होने वाली नदी बताया गया है। इस ग्रंथ में इसे ‘ब्रह्मपुत्र’ कहे जाने का कारण भी बताया गया है।

“ब्रह्मपुत्रः सुतो ब्रह्मा हिमवत्पर्वतोद्भवः।

सर्वतीर्थमयं पुण्यं नदीरूपं प्रकीर्तितम्।”

ब्रह्मपुत्र, जो ब्रह्मा का पुत्र है, हिमालय पर्वत से उत्पन्न हुआ। यह सभी तीर्थों से युक्त और पवित्र नदी के रूप में प्रसिद्ध है।
  1. कल्कि पुराण में उल्लेख
    कल्कि पुराण में भी ब्रह्मपुत्र का वर्णन तपस्या स्थली और पुण्य देने वाली नदी के रूप में हुआ है:

“ब्रह्मपुत्रा महापुण्या गंगा सागरसंगता।
तत्र स्नानेन विप्राणां पापं नश्यति निश्चयम्॥”

भावार्थ: ब्रह्मपुत्र अत्यंत पुण्यदायिनी नदी है। जैसे गंगा सागर संगम पुण्यदायक है, वैसे ही ब्रह्मपुत्र में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है।

ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम रहस्य

ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम तिब्बत के पुरंग जिले में मानसरोवर झील के पास चेम्यंगडुंग ग्लेशियर से होता है। तिब्बत में इसे यारलुंग त्सांगपो के नाम से जाना जाता है। यह नदी हिमालय के समानांतर पूर्व दिशा में बहती है और नामचा बरवा चोटी के पास एक यू-टर्न लेकर भारत में प्रवेश करती है। भारत में यह अरुणाचल प्रदेश में दिहांग या डीह के नाम से जानी जाती है, और असम में इसे ब्रह्मपुत्र कहा जाता है। बांग्लादेश में प्रवेश करने पर इसका नाम जमुना या पद्मा हो जाता है।

ब्रह्मपुत्र की कुल लंबाई लगभग 2900 किलोमीटर है, जिससे यह भारत की सबसे लंबी नदियों में से एक है। यह नदी तिब्बत, भारत, और बांग्लादेश से होकर बहती है, और अंततः बंगाल की खाड़ी में मेघना नदी के साथ मिलकर एक विशाल डेल्टा बनाती है। भारत में इसकी प्रमुख सहायक नदियों में सुबानसिरी, जिया भरेली, धनश्री, पुथीमारी, पगलादीया, और मानस शामिल हैं।

bramhaputra river

ब्रह्मपुत्र की उत्पत्ति से जुडी पौराणिक कथा

शास्त्रों में ब्रह्मपुत्र की उत्पत्ति की एक प्रमुख कथा कालिका पुराण और ब्रह्म पुराण में वर्णित है। इस कथा के अनुसार:

  • अमोघा और ब्रह्मा: अमोघा, जो ऋषि शांतनु की पत्नी थीं, ब्रह्मा के प्रेम में पड़ गईं। उनके इस प्रेम से एक पुत्र उत्पन्न हुआ। यह पुत्र जल का रूप धारण कर ब्रह्म कुंड में निवास करने लगा। इस जलाशय से ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम हुआ।
  • ब्रह्म कुंड: यह पौराणिक जलाशय कैलाश, गंधमादन, और अन्य पर्वतों के बीच स्थित बताया गया है। आधुनिक भूगोल में इसे मानसरोवर झील या चेम्यंगडुंग ग्लेशियर से जोड़ा जाता है।
  • लौहित्य नाम: ब्रह्मपुत्र का लौहित्य नाम इसकी लाल-भूरी मिट्टी और इसके उग्र स्वरूप के कारण पड़ा, जो असम में इसके किनारों पर देखा जा सकता है।

🕉️ब्रह्मपुत्र नदी का धार्मिक महत्व

  • ब्रह्मपुत्र को गंगा, यमुना, सरस्वती जैसी पवित्र नदियों के समकक्ष माना जाता है।
  • हर साल असम में ब्रह्मपुत्र पुष्कर मेला लगता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु स्नान करते हैं। यह मेला बारह वर्षों में एक बार आता है।
  • इसके जल को पवित्र, रोगनाशक और पुण्यदायक माना जाता है।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

હો દેવી અન્નપૂર્ણા | Ho Devi Annapurna

હો દેવી અન્નપૂર્ણા | Ho Devi Annapurnaમાં શંખલ તે...

ऋग्वेद हिंदी में

ऋग्वेद हिंदी में | Rigveda in Hindiऋग्वेद (Rigveda in...

गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र – श्री विष्णु (Gajendra Moksham Stotram)

गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र - Gajendra Moksham Stotramश्रीमद्धागवतान्तर्गत गजेन्द्रकृत भगवानका...

श्री शनि चालीसा

Shani Chalisaशनि चालीसा हिंदू धर्म में एक लोकप्रिय प्रार्थना...
error: Content is protected !!