Bala Mukundashtakam in Hindi
बाल मुकुन्दाष्टकम्(Bala Mukundashtakam) एक प्रसिद्ध स्तोत्र है, जिसे आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। यह स्तोत्र भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप का भावपूर्ण वर्णन करता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण की शैशव लीला, उनकी मोहक छवि और उनकी अद्भुत बाल क्रीड़ाओं का वर्णन किया गया है।
नाम की व्युत्पत्ति
- बाल का अर्थ है “शिशु” या “बालक।”
- मुकुन्द श्रीकृष्ण का एक प्रिय नाम है, जिसका अर्थ है “मोक्ष प्रदान करने वाला।”
- अष्टकम् का अर्थ है “आठ श्लोकों का समूह।”
इसलिए, बाल मुकुन्दाष्टकम् का शाब्दिक अर्थ है “बालकृष्ण के गुणों का वर्णन करने वाला आठ श्लोकों का समूह।”
बाल मुकुन्दाष्टकम् का आध्यात्मिक महत्व
- यह स्तोत्र भगवान कृष्ण के बाल रूप की भक्ति करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
- इसका पाठ करने से मन को शांति मिलती है और भक्त के हृदय में वात्सल्य एवं भक्ति की भावना जागृत होती है।
- यह कृष्णलीला को आत्मसात करने का एक सरल साधन माना जाता है।
- इसे नित्यप्रति गाने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और समस्त दुखों का नाश होता है।
बाल मुकुन्दाष्टकम् Bala Mukundashtakam In Sanskrit
करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम् ।
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ १ ॥
संहृत्य लोकान्वटपत्रमध्ये शयानमाद्यन्तविहीनरूपम् ।
सर्वेश्वरं सर्वहितावतारं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ २ ॥
इन्दीवरश्यामलकोमलाङ्गं इन्द्रादिदेवार्चितपादपद्मम् ।
सन्तानकल्पद्रुममाश्रितानां बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ ३ ॥
लम्बालकं लम्बितहारयष्टिं शृङ्गारलीलाङ्कितदन्तपङ्क्तिम् ।
बिम्बाधरं चारुविशालनेत्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ ४ ॥
शिक्ये निधायाद्यपयोदधीनि बहिर्गतायां व्रजनायिकायाम् ।
भुक्त्वा यथेष्टं कपटेन सुप्तं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ ५ ॥
कलिन्दजान्तस्थितकालियस्य फणाग्ररङ्गेनटनप्रियन्तम् ।
तत्पुच्छहस्तं शरदिन्दुवक्त्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ ६ ॥
उलूखले बद्धमुदारशौर्यं उत्तुङ्गयुग्मार्जुन भङ्गलीलम् ।
उत्फुल्लपद्मायत चारुनेत्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ ७ ॥
आलोक्य मातुर्मुखमादरेण स्तन्यं पिबन्तं सरसीरुहाक्षम् ।
सच्चिन्मयं देवमनन्तरूपं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ ८ ॥