बगलामुखी(Baglamukhi Chalisa) देवी दस महाविद्याओं में से एक हैं और उन्हें शक्ति स्वरूपा देवी के रूप में पूजा जाता है। बगलामुखी का अर्थ है “जिसकी शक्ति और तेज से शत्रु स्तंभित हो जाएं।” यह देवी अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उनके जीवन से बाधाओं को दूर करती हैं।
बगलामुखी देवी का स्वरूप अत्यंत दिव्य और शक्तिशाली है। उन्हें पीले वस्त्र, स्वर्ण आभूषण और पीले फूलों से सुसज्जित किया जाता है। पीला रंग देवी बगलामुखी का प्रिय रंग है, जो शक्ति, समृद्धि, और विजय का प्रतीक है।
बगलामुखी चालीसा का महत्व Baglamukhi Chalisa Importance
बगलामुखी चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मबल और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। यह चालीसा न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए लाभकारी है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में आने वाली नकारात्मक ऊर्जा को भी समाप्त करती है।
यह पाठ विशेष रूप से तब किया जाता है जब व्यक्ति किसी कानूनी समस्या, शत्रुता, या मानसिक तनाव से गुजर रहा हो।
बगलामुखी चालीसा का पाठ करने की विधि
- स्नान और शुद्धि: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें।
- पूजन स्थल की तैयारी: पूजन स्थल को शुद्ध करें और देवी बगलामुखी की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें।
- सामग्री: पीले फूल, हल्दी, चंदन, दीपक, और नैवेद्य के रूप में पीले रंग का मिष्ठान रखें।
- मंत्र जाप: चालीसा पाठ से पहले बगलामुखी बीज मंत्र (“ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा”) का जाप करें।
- चालीसा पाठ: शांत मन से बगलामुखी चालीसा का पाठ करें।
- आहुति और आरती: अंत में देवी को नैवेद्य अर्पित करें और उनकी आरती करें।
बगलामुखी चालीसा का पाठ Baglamukhi Chalisa Path
॥ दोहा ॥
सिर नवाइ बगलामुखी, लिखूँ चालीसा आज।
कृपा करहु मोपर सदा, पूरन हो मम काज ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय श्री बगला माता, आदिशक्ति सब जग की त्राता।
बगला सम तब आनन माता, एहि ते भयउ नाम विख्याता ।
शशि ललाट कुण्डल छवि न्यारी, अस्तुति करहिं देव नर-नारी।
पीतवसन तन पर तव राजै, हाथहिं मुद्गर गदा विराजै।
तीन नयन गल चम्पक माला, अमित तेज प्रकटत है भाला।
रत्न-जटित सिंहासन सोहै, शोभा निरखि सकल जन मोहै।
आसन पीतवर्ण महरानी, भक्तन की तुम हो वरदानी।
पीताभूषण पीतहिं चन्दन, सुर नर नाग करत सब वन्दन ।
एहि विधि ध्यान हृदय में राखै, वेद पुराण सन्त अस भाखै।
अब पूजा विधि करौं प्रकाशा, जाके किये होत दुख-नाशा ।
प्रथमहिं पीत ध्वजा फहरावै, पीतवसन देवी पहिरावै।
कुंकुम अक्षत मोदक बेसन, अबिर गुलाल सुपारी चन्दन।
माल्य हरिद्रा अरु फल पाना, सबहिं चढ़इ धेरै उर ध्याना।
धूप दीप कर्पूर की बाती, प्रेम-सहित तब करै आरती।
अस्तुति करै हाथ दोउ जोरे, पुरवहु मातु मनोरथ मोरे।
मातु भगति तब सब सुख खानी, करहु कृपा मोपर जनजानी।
त्रिविध ताप सब दुःख नशावहु, तिमिर मिटाकर ज्ञान बढ़ावहु ।
बार-बार मैं बिनवउँ तोहीं, अविरल भगति ज्ञान दो मोहीं।
पूजनान्त में हवन करावै, सो नर सर्षप होम करै जो कोई,
ताके मनवांछित फल पावै। वश सचराचर होई।
तिल तण्डुल संग क्षीर मिरावै, भक्ति प्रेम से हवन करावै।
दुःख दरिद्र व्यापै नहिं सोई, निश्चय सुख-संपति सब होई।
फूल अशोक हवन जो करई, ताके गृह सुख-सम्पति भरई।
फल सेमर का होम करीजै, निश्चय वाको रिपु सब छीजै।
गुग्गुल घृत होमै जो कोई, तेहि के वश में राजा होई।
गग्गुल तिल सँग होम करावै, ताको सकल बन्ध कट जावै ।
बीजाक्षर का पाठ जो करहीं, बीजमन्त्र तुम्हरो उच्चरहीं।
एक मास निशि जो कर जापा, तेहि कर मिटत सकल सन्तापा ।
घर की शुद्ध भूमि जहँ होई, साधक जाप करै तहँ सोई।
सोइ इच्छित फल निश्चय पावै, यामे नहिं कछु संशय लावै।
अथवा तीर नदी के जाई, साधक जाप करै मन लाई।
दस सहस्र जप करै जो कोई, सकल काज तेहि कर सिधि होई।
जाप करै जो लक्षहिं बारा, ताकर होय सुयश विस्तारा।
जो तव नाम जपै मन लाई, अल्पकाल महँ रिपुहिं नसाई।
सप्तरात्रि जो जापहिं नामा, वाको पूरन हो सब कामा।
नव दिन जाप करे जो कोई, व्याधि रहित ताकर तन होई।
ध्यान करै जो बन्ध्या नारी, पावै पुत्रादिक फल चारी।
प्रातः सायं अरु मध्याना, धरे ध्यान होवै कल्याना।
कहँ लगि महिमा कहौं तिहारी, नाम सदा शुभ मंगलकारी।
पाठ करै जो नित्य चालीसा, तेहि पर कृपा करहिं गौरीशा।
॥ दोहा ॥
सन्तशरण को तनय हूँ, कुलपति मिश्र सुनाम।
हरिद्वार मण्डल बसूँ, धाम हरिपुर ग्राम ॥
उन्नीस सौ पिचानबे सन् की, श्रावण शुक्ला मास।
चालीसा रचना कियौं, तव चरणन को दास ॥
बगलामुखी चालीसा के लाभ Baglamukhi Chalisa Benifits
- शत्रुओं पर विजय: बगलामुखी चालीसा का नियमित पाठ शत्रुओं की दुष्ट योजनाओं को विफल करता है।
- कानूनी मामलों में सफलता: यह पाठ कानूनी मामलों में विजय दिलाने में सहायक है।
- नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: यह पाठ व्यक्ति को बुरी शक्तियों और बुरी नजर से बचाता है।
- मानसिक शांति: चालीसा का पाठ करने से मन को शांति मिलती है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह पाठ आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाता है और ईश्वर से जुड़ने का मार्ग प्रदान करता है।
विशेष ध्यान देने योग्य बातें
- बगलामुखी चालीसा का पाठ मंगलवार, गुरुवार, या अमावस्या के दिन करना अधिक फलदायी माना जाता है।
- पीले वस्त्र और पीली सामग्री का उपयोग करना अत्यंत शुभ होता है।
- पाठ के दौरान मन को शांत और ध्यानमग्न रखना चाहिए।
बगलामुखी चालीसा पर आधारित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर FAQs for Baglamukhi Chalisa
बगलामुखी चालीसा का पाठ करने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
बगलामुखी चालीसा का पाठ मुख्य रूप से शत्रुओं को नियंत्रित करने, विवाद समाप्त करने और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा के लिए किया जाता है।
बगलामुखी चालीसा का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
बगलामुखी चालीसा का पाठ प्रातः काल या संध्या के समय, पीले वस्त्र पहनकर, भगवान बगलामुखी के समक्ष दीप जलाकर और ध्यानपूर्वक करना चाहिए।
क्या बगलामुखी चालीसा के पाठ के लिए किसी विशेष मंत्र का जाप आवश्यक है?
हाँ, पाठ से पहले “ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा” मंत्र का जाप करना शुभ होता है।
बगलामुखी चालीसा का नियमित पाठ करने से क्या लाभ होता है?
इसका नियमित पाठ करने से मन की शांति, आत्मविश्वास में वृद्धि, और जीवन में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है।
बगलामुखी चालीसा पाठ के दौरान कौन-कौन सी सावधानियां रखनी चाहिए?
पाठ के दौरान मन को शांत रखें, पूर्ण विश्वास और श्रद्धा के साथ पाठ करें, और अशुद्ध स्थान या मानसिक तनाव की स्थिति में पाठ न करें।