अंगारका अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रं Angaraka Ashtottara Sata Nama Stotram
अंगारका अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रं मंगल ग्रह (अंगारक या कुज) के 108 नामों का एक स्तोत्र है, जो हिंदू धर्म में मंगल ग्रह के लिए समर्पित होता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी माना जाता है जिनकी कुंडली में मंगल दोष हो या जो मंगल ग्रह से संबंधित किसी समस्या का सामना कर रहे हों। इस स्तोत्र का पाठ करने से मंगल ग्रह के प्रतिकूल प्रभावों से बचा जा सकता है और शुभ परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
अंगारक (मंगल) ग्रह का महत्व:
मंगल ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में विशेष स्थान प्राप्त है। इसे ऊर्जा, साहस, शक्ति, क्रोध और नेतृत्व का ग्रह माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, मंगल ग्रह का प्रभाव मानव जीवन पर गहरा असर डालता है। यदि कुंडली में मंगल ग्रह शुभ स्थान पर हो, तो व्यक्ति को शक्ति, साहस, और उन्नति मिलती है। परंतु यदि यह ग्रह अशुभ स्थिति में हो या कुंडली में ‘मंगल दोष’ हो, तो यह वैवाहिक जीवन, स्वास्थ्य, और संपत्ति पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
अंगारका अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का उद्देश्य:
इस स्तोत्र का पाठ करने का मुख्य उद्देश्य मंगल ग्रह की कृपा प्राप्त करना है। इसे नियमित रूप से पाठ करने से जीवन की कई समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है जैसे:
- मंगल दोष निवारण: यह स्तोत्र मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम करने और मंगल दोष से मुक्त होने में सहायक होता है।
- शक्ति और साहस में वृद्धि: मंगल को शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति में आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है।
- वैवाहिक जीवन में सुख: यदि कुंडली में मंगल दोष के कारण वैवाहिक जीवन में समस्याएं हो रही हों, तो इस स्तोत्र का पाठ लाभकारी होता है।
- स्वास्थ्य और संपत्ति: मंगल ग्रह के प्रतिकूल प्रभाव से स्वास्थ्य और संपत्ति में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस स्तोत्र के पाठ से ये समस्याएं दूर होती हैं।
अंगारका अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र के 108 नाम:
यह स्तोत्र मंगल देव के 108 पवित्र नामों का संग्रह है। प्रत्येक नाम मंगल ग्रह की शक्ति और गुणों को दर्शाता है। ये नाम निम्नलिखित हैं:
- ॐ अंगारकाय नमः
- ॐ भूमिपुत्राय नमः
- ॐ ऋणहर्त्रे नमः
- ॐ धनप्रदाय नमः
- ॐ स्थिराय नमः
- ॐ महाकायाय नमः
- ॐ सर्वकामफलप्रदाय नमः
- ॐ लोहिताय नमः
- ॐ रक्तवर्णाय नमः
- ॐ सर्वरोगापहारिणे नमः …
(यहां केवल कुछ नामों का उल्लेख किया गया है। स्तोत्र में कुल 108 नाम होते हैं।)
अंगारका अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र के पाठ की विधि:
- इस स्तोत्र का पाठ करने से पहले मंगल देव का ध्यान करें और अपने आसन को साफ रखें।
- किसी शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठकर यह स्तोत्र करें।
- मंगलवार के दिन विशेष रूप से इस स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है।
- इसका पाठ लाल चंदन, लाल पुष्प, और मंगल यंत्र के समक्ष किया जा सकता है।
- स्तोत्र का पाठ करने के बाद मंगल ग्रह के निमित्त दान जैसे लाल वस्त्र, मसूर की दाल, गुड़ आदि दान करना शुभ माना जाता है।
अंगारका अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रं
ॐ क्राँ क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः ॥
ॐ महीसुतो महाभागो मङ्गलो मङ्गलप्रदः ।
महावीरो महाशूरो महाबलपराक्रमः ॥
महारौद्रो महाभद्रो माननीयो दयाकरः ।
मानजोऽमर्षणः क्रूरस्तापपापविवर्जितः ॥
सुप्रतीपः सुताम्राक्षः सुब्रह्मण्यः सुखप्रदः ।
वक्रस्तम्भादिगमनो वरेण्यो वरदः सुखी ॥
वीरभद्रो विरूपाक्षो विदूरस्थो विभावसुः ।
नक्षत्रचक्रसञ्चारी क्षत्रपः क्षात्रवर्जितः ॥
क्षयवृद्धिविनिर्मुक्तः क्षमायुक्तो विचक्षणः ।
अक्षीणफलदः चक्षुगोचरश्शुभलक्षणः ॥
वीतरागो वीतभयो विज्वरो विश्वकारणः ।
नक्षत्रराशिसञ्चारो नानाभयनिकृन्तनः ॥
कमनीयदयासारः कनत्कनकभूषणः ।
भयघ्नो भव्यफलदो भक्ताभयवरप्रदः ॥
शत्रुहन्ता शमोपेतः शरणागतपोषकः ।
साहसः सद्गुणाध्यक्षः साधुः समरदुर्जयः ॥
दुष्टदूरः शिष्टपूज्यः सर्वकष्टनिवारकः ।
दुश्चेष्टवारको दुःखभञ्जनो दुर्धरो हरिः ॥
दुःस्वप्नहन्ता दुर्धर्षो दुष्टगर्वविमोचकः ।
भरद्वाजकुलोद्भूतो भूसुतो भव्यभूषणः ॥
रक्ताम्बरो रक्तवपुर्भक्तपालनतत्परः ।
चतुर्भुजो गदाधारी मेषवाहो मिताशनः ॥
शक्तिशूलधरश्शक्तः शस्त्रविद्याविशारदः ।
तार्किकः तामसाधारः तपस्वी ताम्रलोचनः ॥
तप्तकाञ्चनसङ्काशो रक्तकिञ्जल्कसन्निभः ।
गोत्राधिदेवो गोमध्यचरो गुणविभूषणः ॥
असृजङ्गारकोऽवन्तीदेशाधीशो जनार्दनः ।
सूर्ययाम्यप्रदेशस्थो यावनो याम्यदिङ्मुखः ॥
त्रिकोणमण्डलगतो त्रिदशाधिपसन्नुतः ।
शुचिः शुचिकरः शूरोऽशुचिवश्यः शुभावहः ॥
मेषवृश्चिकराशीशो मेधावी मितभाषणः ।
सुखप्रदः सुरूपाक्षः सर्वाभीष्टफलप्रदः ॥
FAQs अंगारका अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रं
1. अंगारका अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रं क्या है?
अंगारका अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रं मंगल ग्रह के देवता अंगारक या मंगल देव के 108 नामों का स्तोत्र है। इसे श्रद्धालु मंगल देव की कृपा पाने, उनके आशीर्वाद से साहस, शक्ति और धन प्राप्त करने के लिए पाठ करते हैं। यह स्तोत्र भक्तों को उनकी कठिनाइयों से मुक्ति दिलाने और मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव को शांत करने में मदद करता है।
2. अंगारका अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का पाठ कैसे करना चाहिए?
इस स्तोत्र का पाठ मंगल ग्रह के दोषों को दूर करने और अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए मंगलवार के दिन सुबह स्नान करके करना चाहिए। शुद्ध मन और भक्ति के साथ अंगारक देवता की प्रतिमा या चित्र के सामने लाल पुष्प अर्पित करके यह स्तोत्र पढ़ा जाता है। पाठ के समय लाल वस्त्र धारण करना भी शुभ माना जाता है।
3. अंगारका अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रं के पाठ से क्या लाभ होते हैं?
इस स्तोत्र का पाठ करने से मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव शांत होते हैं। यह स्तोत्र साहस, आत्मविश्वास, शारीरिक और मानसिक शक्ति प्रदान करता है। इसके साथ ही, यह जीवन में सफलता, धन, और स्वास्थ्य में सुधार लाने में मदद करता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से मंगल ग्रह के दोषों से मुक्ति और सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
4. अंगारका अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रं का पाठ कौन कर सकता है?
अंगारका अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का पाठ कोई भी कर सकता है जो मंगल ग्रह के दोषों से परेशान हैं या जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह का नकारात्मक प्रभाव है। विशेषकर वे लोग जो विवाह में विलंब, आर्थिक समस्याएं, या दुर्घटनाओं से पीड़ित हैं, उन्हें इसका पाठ करना अत्यधिक लाभकारी हो सकता है।
5. अंगारका अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रं कब और कितने समय तक पढ़ना चाहिए?
यह स्तोत्र मंगलवार के दिन विशेष रूप से पढ़ा जाता है, परंतु इसे प्रतिदिन भी पढ़ा जा सकता है। कुंडली में मंगल दोष दूर करने के लिए इसका नियमित रूप से 21, 51 या 108 बार पाठ किया जा सकता है। श्रद्धालु इसे 21 मंगलवार तक या जब तक इच्छा पूरी न हो जाए, तब तक पाठ कर सकते हैं।