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गुरूवार, जून 26, 2025

आदित्य स्तुति

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आदित्य स्तुति(Aditya Stuti) भगवान सूर्य को समर्पित एक प्रार्थना है, जिसे विशेष रूप से वैदिक साहित्य और पुराणों में स्थान दिया गया है। ‘आदित्य’ शब्द का अर्थ है सूर्य, जो हिंदू धर्म में प्रकाश, ऊर्जा, स्वास्थ्य, और शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं। आदित्य स्तुति का पाठ करने से मनुष्य को मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

Credit – Vedadhara devotional

आदित्य स्तुति का महत्त्व

आदित्य स्तुति का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व अत्यधिक है। इस स्तुति का मुख्य उद्देश्य भगवान सूर्य से कृपा प्राप्त करना और जीवन में सकारात्मकता का संचार करना है। भगवान सूर्य को जीवों के जीवनदाता के रूप में माना जाता है, इसलिए उनका स्तवन जीवन की सभी बाधाओं और दुखों को दूर करने वाला माना जाता है। इसके पाठ से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है, विशेष रूप से नेत्र रोगों में इसे अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है।

आदित्य स्तुति का शास्त्रों में वर्णन

आदित्य स्तुति का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। महाभारत के वनपर्व में भीम ने भगवान सूर्य की उपासना के लिए आदित्य स्तुति का पाठ किया था, जिसके परिणामस्वरूप भगवान सूर्य ने भीम को असीम बल प्रदान किया। इसके अलावा, वाल्मीकि रामायण में भी आदित्य ह्रदय स्तोत्र का उल्लेख है, जिसे भगवान राम ने रावण के साथ युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए रावण के अंतिम युद्ध के पहले पाठ किया था।

आदित्य स्तुति के पाठ के लाभ

  1. स्वास्थ्य लाभ: आदित्य स्तुति के नियमित पाठ से स्वास्थ्य में सुधार होता है, विशेषकर नेत्रों की समस्याओं और शारीरिक दुर्बलता में।
  2. मानसिक शांति: यह स्तुति मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद को दूर करने में सहायक होती है।
  3. सकारात्मक ऊर्जा: सूर्य की ऊर्जा का स्तवन करने से जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार होता है।
  4. धन, वैभव और सौभाग्य: भगवान सूर्य की कृपा से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और परिवार में सुख-शांति आती है।
  5. आध्यात्मिक उन्नति: भगवान सूर्य की उपासना करने से आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है और आध्यात्मिक यात्रा को बढ़ावा मिलता है।

आदित्य स्तुति का पाठ कैसे करें?

आदित्य स्तुति का पाठ सूर्योदय के समय करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। स्तुति पाठ के समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्त्व है। इसे नियमित रूप से करने से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। पाठ के दौरान भगवान सूर्य के निमित्त जल अर्पण करना और मानसिक एकाग्रता के साथ उनका ध्यान करना चाहिए।

आदित्य स्तुति

आदिरेष हि भूतानामादित्य इति संज्ञितः ।
त्रैलोक्यचक्षुरेवाऽत्र परमात्मा प्रजापतिः ।

एष वै मण्डले ह्यस्मिन् पुरुषो दीप्यते महान् ।
एष विष्णुरचिन्त्यात्मा ब्रह्मा चैष पितामहः ।

रुद्रो महेन्द्रो वरुण आकाशं पृथिवी जलम् ।
वायुः शशाङ्कः पर्जन्यो धनाध्यक्षो विभावसुः ।

य एव मण्डले ह्यस्मिन् पुरुषो दीप्यते महान् ।
एकः साक्षान्महादेवो वृत्रमण्डनिभः सदा ।

कालो ह्येष महाबाहुर्निबोधोत्पत्तिलक्षणः ।
य एष मण्डले ह्यस्मिंस्तेजोभिः पूरयन् महीम् ।

भ्राम्यते ह्यव्यवच्छिन्नो वातैर्योऽमृतलक्षणः ।
नातः परतरं किञ्चित् तेजसा विद्यते क्वचित् ।

पुष्णाति सर्वभूतानि एष एव सुधाऽमृतैः ।
अन्तःस्थान् म्लेच्छजातीयांस्तिर्यग्योनिगतानपि ।

कारुण्यात् सर्वभूतानि पासि त्वं च विभावसो ।
श्वित्रकुष्ठ्यन्धबधिरान् पङ्गूंश्चाऽपि तथा विभो ।

प्रपन्नवत्सलो देव कुरुते नीरुजो भवान् ।
चक्रमण्डलमग्नांश्च निर्धनाल्पायुषस्तथा ।

प्रत्यक्षदर्शी त्वं देव समुद्धरसि लीलया ।
का मे शक्तिः स्तवैः स्तोतुमार्त्तोऽहं रोगपीडितः ।

स्तूयसे त्वं सदा देवैर्ब्रह्मविष्णुशिवादिभिः ।
महेन्द्रसिद्धगन्धर्वैरप्सरोभिः सगुह्यकैः ।

स्तुतिभिः किं पवित्रैर्वा तव देव समीरितैः ।
यस्य ते ऋग्यजुःसाम्नां त्रितयं मण्डलस्थितम् ।

ध्यानिनां त्वं परं ध्यानं मोक्षद्वारं च मोक्षिणाम् ।
अनन्ततेजसाऽक्षोभ्यो ह्यचिन्त्याव्यक्तनिष्कलः ।

यदयं व्याहृतः किञ्चित् स्तोत्रे ह्यस्मिन् जगत्पतिः ।
आर्तिं भक्तिं च विज्ञाय तत्सर्वं ज्ञातुमर्हसि ।


FAQs of आदित्य स्तुति Aditya Stuti

1.आदित्य स्तुति क्या है?

आदित्य स्तुति सूर्य देव की स्तुति करने वाला एक प्राचीन वैदिक स्तोत्र है। इसे भगवान सूर्य को समर्पित किया गया है और इसमें सूर्य देव की महिमा का वर्णन किया गया है। इसे करने से व्यक्ति को ऊर्जा, जीवनशक्ति और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।

2. आदित्य स्तुति का महत्व क्या है?

आदित्य स्तुति का महत्व जीवन में सकारात्मकता लाने और शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। यह स्तुति शक्ति, साहस और आत्मबल को भी बढ़ाती है।

3. आदित्य स्तुति कब और कैसे पढ़ी जाती है?

आदित्य स्तुति प्रातःकाल सूर्योदय के समय पढ़ी जाती है, जब सूर्य की किरणें पहली बार धरती पर पड़ती हैं। इसे पढ़ने के लिए स्वच्छ मन और शरीर का होना आवश्यक है। आप इसे सूर्योदय के समय या किसी शुभ मुहूर्त में भी पढ़ सकते हैं।

4. आदित्य स्तुति पढ़ने से क्या लाभ होते हैं?

आदित्य स्तुति पढ़ने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है। यह स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा दिलाने, आत्मविश्वास बढ़ाने, और जीवन में सफलता प्राप्त करने में सहायक होती है। इसे पढ़ने से व्यक्ति की आंतरिक शक्ति भी जागृत होती है।

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