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रविवार, फ़रवरी 23, 2025

अच्युताष्टकम्

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Achyutashtakam In Hindi

अच्युताष्टकम्(Achyutashtakam Hindi) एक प्रसिद्ध संस्कृत स्तोत्र है, जिसकी रचना श्री आदि शंकराचार्य ने भगवान विष्णु की स्तुति में की थी। यह स्तोत्र भगवान के अच्युत स्वरूप की महिमा का वर्णन करता है। “अच्युत” का अर्थ है वह जो कभी नष्ट नहीं होता, जो शाश्वत और अविनाशी है। इस स्तोत्र में भगवान के विभिन्न स्वरूपों, उनके गुणों और उनकी कृपा का उल्लेख किया गया है।

अच्युताष्टकम् का महत्व Achyutashtakam Impotance

अच्युताष्टकम् भक्तों के लिए विशेष महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह भगवान विष्णु की भक्ति और उनके प्रति समर्पण को व्यक्त करता है। इसे पाठ करने से मन को शांति, पवित्रता और भगवान के प्रति श्रद्धा का विकास होता है। इस स्तोत्र में आठ श्लोक हैं, इसलिए इसे “अष्टक” कहा गया है। प्रत्येक श्लोक में भगवान विष्णु के दिव्य नामों और स्वरूपों का उल्लेख है, जो उनके गुणों और लीलाओं का गुणगान करते हैं।

अच्युताष्टकम् का पाठ Achyutashtakam

अच्युताष्टकम् का पाठ विशेष रूप से सुबह के समय किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसे सच्चे मन और भक्ति के साथ गाने या पढ़ने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र भक्ति के माध्यम से आत्मा की शुद्धि और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने का साधन है।

अच्युतं केशवं रामनारायणं
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् ।
श्रीधरं माधवं गोपिका वल्लभं
जानकीनायकं रामचन्द्रं भजे ॥ १ ॥

अच्युतं केशवं सत्यभामाधवं
माधवं श्रीधरं राधिका राधितम् ।
इन्दिरामन्दिरं चेतसा सुन्दरं
देवकीनन्दनं नन्दजं सन्दधे ॥ २ ॥

[पल्लवि]

विष्णवे जिष्णवे शङ्कने चक्रिणे
रुक्मिणी रागिणे जानकी जानये ।
वल्लवी वल्लभायार्चिता यात्मने
कंस विध्वंसिने वंशिने ते नमः ॥ ३ ॥

कृष्ण गोविन्द हे राम नारायण
श्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे ।
अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षज
द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक ॥ ४ ॥

राक्षस क्षोभितः सीतया शोभितो
दण्डकारण्यभू पुण्यताकारणः ।
लक्ष्मणोनान्वितो वानरैः सेवितो
अगस्त्य सम्पूजितो राघवः पातु माम् ॥ ५ ॥

[पल्लवि]

धेनुकारिष्टकोऽनिष्टकृद्द्वेषिणां
केशिहा कंसहृद्वण्शिकावादकः ।
पूतनाकोपकः सूरजाखेलनो
बालगोपालकः पातु मां सर्वदा ॥ ६ ॥

विद्युदुद्योतवत्प्रस्फुरद्वाससं
प्रावृडम्भोदवत्प्रोल्लसद्विग्रहम् ।
वन्यया मालया शोभितोरःस्थलं
लोहिताङ्घ्रिद्वयं वारिजाक्षं भजे ॥ ७ ॥

कुञ्चितैः कुन्तलै भ्राजमानाननं
रत्नमौलिं लसत्-कुण्डलं गण्डयोः ।
हारकेयूरकं कङ्कण प्रोज्ज्वलं
किङ्किणी मञ्जुलं श्यामलं तं भजे ॥ ८ ॥

[पल्लवि]

अच्युतस्याष्टकं यः पठेदिष्टदं
प्रेमतः प्रत्यहं पूरुषः सस्पृहम् ।
वृत्ततः सुन्दरं कर्तृ विश्वम्भरः
तस्य वश्यो हरि र्जायते सत्वरम् ॥
अच्युतं केशवं रामनारायणं
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् ।
श्रीधरं माधवं गोपिका वल्लभं
जानकीनायकं रामचन्द्रं भजे ॥ १ ।
॥ इति श्रीशङ्कराचार्यविरचितमच्युताष्टकं सम्पूर्णम् ॥

अच्युताष्टकम् का लाभ Achyutashtakam Benifits

  1. मानसिक शांति और एकाग्रता प्रदान करता है।
  2. भगवान के प्रति विश्वास और भक्ति को गहराई देता है।
  3. विष्णु भगवान की कृपा प्राप्त करने में सहायक है।
  4. जीवन में सुख, समृद्धि और समस्याओं से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है।

अच्युताष्टकम् पर आधारित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर FAQs for Achyutashtakam

  1. अच्युताष्टकम् क्या है?

    अच्युताष्टकम् भगवान विष्णु की स्तुति में रचित एक प्रसिद्ध संस्कृत स्तोत्र है, जिसमें उनकी दिव्यता और महिमा का वर्णन है।

  2. अच्युताष्टकम् के रचयिता कौन हैं?

    अच्युताष्टकम् के रचयिता आदि शंकराचार्य माने जाते हैं।

  3. अच्युताष्टकम् में कुल कितने श्लोक होते हैं?

    अच्युताष्टकम् में कुल आठ श्लोक होते हैं।

  4. अच्युताष्टकम् का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    अच्युताष्टकम् का मुख्य उद्देश्य भगवान विष्णु की भक्ति करना और उनकी दिव्य महिमा का गुणगान करना है।

  5. अच्युताष्टकम् का पाठ कब करना चाहिए?

    अच्युताष्टकम् का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन इसे सुबह या पूजा के समय पढ़ना विशेष फलदायी माना जाता है।

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