अपामार्ग या चिरचिटा: एक चमत्कारी औषधीय पौधा Achyranthes aspera
अपामार्ग, जिसे चिरचिटा के नाम से भी जाना जाता है, पेट की लटकती चर्बी, सड़े हुए दाँत, गठिया, अस्थमा, बवासीर, मोटापा, गंजापन, किडनी आदि 20 प्रकार के रोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
इस लेख में हम आपको इस अद्भुत पौधे के बारे में जानकारी देंगे, जिसमें इसके तने, पत्ते, बीज, फूल और जड़ सभी औषधीय गुणों से भरपूर हैं। अपामार्ग या चिरचिटा (Chaff Tree) भारत के विभिन्न सूखे क्षेत्रों में आसानी से पाया जाता है, विशेष रूप से गांवों में और खेतों के आसपास। इसे आम बोलचाल में आंधीझाड़ा भी कहा जाता है। इसकी ऊँचाई लगभग 60 से 120 सेंटीमीटर होती है। अपामार्ग की दो प्रमुख किस्में होती हैं: लाल और सफेद। सफेद अपामार्ग के डंठल और पत्ते हरे होते हैं, जिन पर भूरे और सफेद दाग होते हैं, जबकि लाल अपामार्ग का डंठल लाल रंग का होता है और पत्तों पर लाल दाग होते हैं।
इस पौधे के बीज नुकीले कांटे के समान होते हैं, और इसके फल चपटे एवं गोल होते हैं। दोनों प्रकार के अपामार्ग के गुण समान होते हैं, फिर भी सफेद अपामार्ग को श्रेष्ठ माना जाता है। इसके पत्ते गोलाकार होते हैं और 1 से 5 इंच लंबाई में होते हैं, जबकि चौड़ाई आधे इंच से लेकर ढाई इंच तक होती है। पुष्प मंजरी की लंबाई लगभग एक फुट होती है, जिसमें गर्मियों में फल लगते हैं और ये सर्दियों में पककर सूख जाते हैं।
अपामार्ग की विशेषताएँ:
- यह तीखा, कड़वा और गर्म प्रकृति का होता है।
- यह पाचनशक्ति बढ़ाने वाला, दस्तावर, रुचिकारक, दर्द निवारक, विष, कृमि और पथरी नाशक, रक्तशोधक, बुखार नाशक, श्वास रोग नाशक और भूख नियंत्रित करने में सहायक है। इसके अलावा, यह सुखपूर्वक प्रसव और गर्भधारण में भी उपयोगी है।
अपामार्ग (चिरचिटा) के 20 अद्भुत फायदे: (अपामार्ग की जड़ के फायदे)
- गठिया रोग:
अपामार्ग के पत्ते को पीसकर गर्म करके गठिया में बांधने से दर्द और सूजन में राहत मिलती है। - पित्त की पथरी:
चिरचिटा की जड़ को काली मिर्च के साथ 15 से 50 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से पित्त की पथरी में लाभ होता है। - यकृत का बढ़ना:
अपामार्ग का क्षार मठ्ठे के साथ देने से बच्चों के यकृत रोग ठीक हो जाते हैं। - लकवा:
एक ग्राम काली मिर्च के साथ चिरचिटा की जड़ को दूध में पीसकर नाक में डालने से लकवा ठीक होता है। - पेट का लटकना:
चिरचिटा की जड़ 5 से 10 ग्राम या जड़ का काढ़ा 15 से 50 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से पेट का आकार कम होता है। - बवासीर:
अपामार्ग की 6 पत्तियों और 5 काली मिर्च को पानी के साथ पीसकर सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है। - मोटापा:
अधिक भोजन से बढ़ते वजन को नियंत्रित करने के लिए अपामार्ग के बीजों को नियमित रूप से सेवन करने से भूख कम होती है। - कमजोरी:
भुने हुए अपामार्ग के बीजों को मिश्री के साथ मिलाकर दूध के साथ सेवन करने से शरीर में ऊर्जा आती है। - सिर में दर्द:
अपामार्ग की जड़ को पानी में घिसकर लेप बनाने से सिरदर्द में राहत मिलती है। - संतान प्राप्ति:
अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को दूध के साथ सेवन करने से गर्भधारण की संभावनाएँ बढ़ती हैं। - मलेरिया:
अपामार्ग के पत्ते और काली मिर्च को मिलाकर गोलियां बना कर सेवन करने से मलेरिया का प्रभाव कम होता है। - गंजापन:
सरसों के तेल में अपामार्ग के पत्तों को जलाकर मलहम बनाने से गंजे स्थानों पर बाल उगने की संभावना होती है। - दांतों का दर्द:
अपामार्ग के पत्तों के रस का उपयोग दांतों के दर्द और गुहाओं को भरने में मदद करता है। - खुजली:
अपामार्ग के पंचांग को पानी में उबालकर स्नान करने से खुजली में आराम मिलता है। - आधाशीशी:
इसके बीजों के चूर्ण को सूंघने से आधाशीशी में राहत मिलती है। - ब्रोंकाइटिस:
अपामार्ग के क्षार का सेवन वायु प्रणाली के दोषों में लाभकारी होता है। - खांसी:
खांसी के दौरान अपामार्ग क्षार और शर्करा का सेवन करने से राहत मिलती है। - गुर्दे का दर्द:
ताजी अपामार्ग की जड़ का सेवन गुर्दे के दर्द में सहायक होता है। - गुर्दे के रोग: चिरचिटा की जड़ का काढ़ा गुर्दे की पथरी को खत्म करता है।
- अस्थमा: चिरचिटा की जड़ का चूर्ण शहद के साथ खाने से श्वास रोगों में राहत मिलती है।
अपामार्ग या चिरचिटा एक बहुपरकारी औषधीय पौधा है, जो विभिन्न रोगों के इलाज में मददगार साबित होता है। इसके अनेक फायदे इसे एक मूल्यवान औषधि बनाते हैं। यदि आप इनमें से किसी भी समस्या से ग्रस्त हैं, तो इस पौधे के गुणों का लाभ अवश्य उठाएँ।
अपामार्ग या चिरचिटा के पूछे जाने वाले प्रश्न
अपामार्ग क्या है?
अपामार्ग एक औषधीय पौधा है जिसका वैज्ञानिक नाम Achyranthes aspera है। यह पौधा आयुर्वेद में विशेष रूप से उपयोगी माना जाता है। इसे हिंदी में चिरचिटा या लटजीरा के नाम से भी जाना जाता है। अपामार्ग का पौधा छोटे आकार का होता है और इसके पत्तों, बीजों और जड़ों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।
अपामार्ग के स्वास्थ्य लाभ क्या हैं?
अपामार्ग के अनेक स्वास्थ्य लाभ होते हैं। इसका उपयोग पाचन तंत्र को सुधारने, सर्दी-खांसी, और त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज में किया जाता है। यह रक्तस्राव को रोकने में भी मददगार है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है। इसके अलावा, इसका प्रयोग गठिया और मूत्र समस्याओं के उपचार में भी किया जाता है।
अपामार्ग का आयुर्वेद में क्या महत्व है?
आयुर्वेद में अपामार्ग को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इसे “रक्तशोधक” के रूप में जाना जाता है, जो रक्त को शुद्ध करने का कार्य करता है। इसके साथ ही, यह वात और कफ दोष को संतुलित करने में सहायक है। आयुर्वेद में इसका उपयोग विशेष रूप से बवासीर, त्वचा रोग, और हड्डी के विकारों के इलाज के लिए किया जाता है। अपामार्ग का पत्तियों, बीजों और जड़ों का उपयोग विभिन्न औषधियों के निर्माण में किया जाता है।
अपामार्ग का उपयोग कैसे किया जाता है?
अपामार्ग का उपयोग विभिन्न रूपों में किया जाता है। इसकी पत्तियों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है। इसके बीजों को पाउडर के रूप में लिया जा सकता है, जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। अपामार्ग की जड़ का उपयोग मूत्र संबंधी रोगों और जोड़ों के दर्द के लिए किया जाता है। इसके अलावा, इसका काढ़ा भी बनाकर पिया जा सकता है, जो शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में सहायक होता है।
क्या अपामार्ग के उपयोग में कोई सावधानियां हैं?
हालांकि अपामार्ग एक प्राकृतिक औषधि है, फिर भी इसका उपयोग करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। गर्भवती महिलाएं इसका सेवन करने से बचें, क्योंकि इससे गर्भपात का खतरा हो सकता है। अधिक मात्रा में इसका सेवन करना हानिकारक हो सकता है और पेट में जलन या दस्त जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके उपयोग से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लेना चाहिए।