Guruvayupuresha Stotram In Hindi
गुरुवायुपुरेश स्तोत्रम्(Guruvayupuresha Stotram) एक प्रसिद्ध भक्तिमय प्रार्थना है, जो भगवान विष्णु के गुरुवायुपुर रूप को समर्पित है। यह स्तोत्रम उनके भक्तों द्वारा उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति प्रकट करने के लिए गाया जाता है। भगवान गुरुवायुपुरेश, जो केरल के प्रसिद्ध गुरुवायुर मंदिर में पूजित हैं, को भगवान विष्णु का पूर्ण स्वरूप माना जाता है। इस स्तोत्र का मुख्य उद्देश्य भगवान विष्णु के दिव्य गुणों की स्तुति करना और उनसे जीवन की समस्याओं से मुक्ति की प्रार्थना करना है।
गुरुवायुपुरेश की महिमा
गुरुवायुपुरेश भगवान को “गुरुवायुरप्पन” के नाम से भी जाना जाता है। उनका यह रूप भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप है, जिसमें वे चार हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण किए हुए हैं। मान्यता है कि यह मूर्ति स्वयं भगवान विष्णु की दिव्य उपस्थिति का प्रतीक है। यह स्थान और स्तोत्र दोनों ही भक्तों को आध्यात्मिक शांति और मोक्ष प्राप्ति में सहायक माने जाते हैं।
गुरुवायुपुरेश स्तोत्रम् में भगवान की महिमा का वर्णन करते हुए उनके कृपा और अनुग्रह की याचना की जाती है। इसमें भगवान के नाम, रूप, गुण और उनकी लीलाओं का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र भक्तों के लिए आत्मिक शुद्धि, आंतरिक शांति और ईश्वर से निकटता का माध्यम है।
गुरुवायुपुरेश पाठ के लाभ Guruvayupuresha Stotram Benifits
गुरुवायुपुरेश स्तोत्र का नियमित पाठ करने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- भय और शोक से मुक्ति: यह स्तोत्र व्यक्ति के जीवन से भय, शोक और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: भगवान की कृपा से भक्त का मन शुद्ध और ध्यान केंद्रित होता है।
- स्वास्थ्य और सुख-शांति: मान्यता है कि इसका पाठ करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- मोक्ष प्राप्ति: भगवान की कृपा से भक्त को सांसारिक बंधनों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गुरुवायुपुरेश पाठ पठन विधि
गुरुवायुपुरेश स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय पवित्र मन और शुद्ध शरीर से करना चाहिए। पाठ करते समय भगवान विष्णु के समक्ष दीपक और अगरबत्ती जलाना उचित माना जाता है।
गुरुवायुर मंदिर और इसका महत्व Guruvayupuresha Stotram Importance
केरल में स्थित गुरुवायुर मंदिर भगवान गुरुवायुपुरेश को समर्पित है। यह मंदिर वैष्णव भक्ति का एक प्रमुख केंद्र है। यहाँ प्रतिदिन हजारों भक्त भगवान के दर्शन और उनकी पूजा-अर्चना करने आते हैं। माना जाता है कि इस मंदिर में भगवान विष्णु स्वयं निवास करते हैं।
गुरुवायुपुरेश पाठ Guruvayupuresha Stotram
कल्याणरूपाय कलौ जनानां
कल्याणदात्रे करुणासुधाब्धे।
शङ्खादिदिव्यायुधसत्कराय
वातालयाधीश नमो नमस्ते।
नारायण नारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण नारायण नारायण।
नारायण नारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण नारायण नारायण।
नारायणेत्यादिजपद्भिरुच्चैः
भक्तैः सदा पूर्णमहालयाय।
स्वतीर्थगङ्गोपमवारिमग्न-
निवर्तिताशेषरुचे नमस्ते।
नारायण नारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण नारायण नारायण।
नारायण नारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण नारायण नारायण।
ब्राह्मे मुहूर्ते परितः स्वभक्तैः
सन्दृष्टसर्वोत्तम विश्वरूप।
स्वतैलसंसेवकरोगहर्त्रे
वातालयाधीश नमो नमस्ते।
नारायण नारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण नारायण नारायण।
नारायण नारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण नारायण नारायण।
बालान् स्वकीयान् तव सन्निधाने
दिव्यान्नदानात् परिपालयद्भिः।
सदा पठद्भिश्च पुराणरत्नं
संसेवितायास्तु नमो हरे ते।
नारायण नारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण नारायण नारायण।
नारायण नारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण नारायण नारायण।
नित्यान्नदात्रे च महीसुरेभ्यः
नित्यं दिविस्थैर्निशि पूजिताय।
मात्रा च पित्रा च तथोद्धवेन
संपूजितायास्तु नमो नमस्ते।
नारायण नारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण नारायण नारायण।
नारायण नारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण नारायण नारायण।
अनन्तरामाख्यमहिप्रणीतं
स्तोत्रं पठेद्यस्तु नरस्त्रिकालम्।
वातालयेशस्य कृपाबलेन
लभेत सर्वाणि च मङ्गलानि।
नारायण नारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण नारायण नारायण।
नारायण नारायण नारायण नारायण
नारायण नारायण नारायण नारायण।
FAQs for Guruvayupuresha Stotram
गुरुवायुपुरेश स्तोत्रम क्या है?
गुरुवायुपुरेश स्तोत्रम एक प्रसिद्ध भक्ति स्तोत्र है जो भगवान विष्णु के अवतार गुरुवायुपुरेश को समर्पित है। यह स्तोत्रम विशेष रूप से केरल के गुरुवायुर मंदिर में गाया जाता है और भक्तों द्वारा पूजा और ध्यान के समय पाठ किया जाता है। यह भगवान की महिमा और करुणा का वर्णन करता है।
गुरुवायुपुरेश स्तोत्रम का पाठ कब करना चाहिए?
गुरुवायुपुरेश स्तोत्रम का पाठ प्रातःकाल या संध्याकाल में करना शुभ माना जाता है। विशेष रूप से बुधवार और शनिवार के दिन इसे पढ़ने से भगवान विष्णु और गुरु वायु की कृपा प्राप्त होती है। इसे शुद्ध मन और भक्ति भावना के साथ पढ़ना चाहिए।
गुरुवायुपुरेश स्तोत्रम का पाठ करने के लाभ क्या हैं?
गुरुवायुपुरेश स्तोत्रम का पाठ करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह स्तोत्रम जीवन की कठिनाइयों को दूर करने, स्वास्थ्य में सुधार और समृद्धि लाने में सहायक होता है। इसके नियमित पाठ से भगवान की कृपा से भय और नकारात्मकता का नाश होता है।
क्या गुरुवायुपुरेश स्तोत्रम का पाठ किसी विशेष विधि से करना चाहिए?
हाँ, गुरुवायुपुरेश स्तोत्रम का पाठ एकांत और शांत स्थान पर करना चाहिए। पाठ के पहले भगवान को दीपक और पुष्प अर्पित करना उचित है। पाठ से पहले स्नान कर शुद्ध हो जाना चाहिए और मन को भक्ति में स्थिर रखना चाहिए।
गुरुवायुपुरेश स्तोत्रम का संबंध किस पौराणिक कथा से है?
गुरुवायुपुरेश स्तोत्रम का संबंध भगवान विष्णु के अनन्य भक्त गुरु और वायु देव से है। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने भगवान कृष्ण की मूर्ति की स्थापना की और उस स्थान को गुरुवायुर के नाम से जाना गया। इस स्तोत्रम में भगवान की महानता और उनकी लीलाओं का वर्णन किया गया है।