श्री पुरुषोत्तम स्तोत्र(Purushottama Stotram) हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली स्तोत्र है, जो भगवान विष्णु के पुरुषोत्तम स्वरूप की महिमा का गुणगान करता है। इसे भक्तिपूर्वक पढ़ने और सुनने से न केवल आत्मिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शुभ फल भी प्राप्त होते हैं।
श्री पुरुषोत्तम स्तोत्र Purushottama Stotram Lyrics
नमः श्रीकृष्णचन्द्राय परिपूर्णतमाय च।
असङ्ख्याण्डाधिपतये गोलोकपतये नमः।
श्रीराधापतये तुभ्यं व्रजाधीशाय ते नमः।
नमः श्रीनन्दपुत्राय यशोदानन्दनाय च।
देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते।
यदूत्तम जगन्नाथ पाहि मां पुरुषोत्तम।
Purushottama Stotram Meaning:
नमः श्रीकृष्णचन्द्राय परिपूर्णतमाय च।
Salutations to Shri Krishna Chandra, the most complete and perfect being.
असङ्ख्याण्डाधिपतये गोलोकपतये नमः।
Salutations to the Lord of countless universes and the master of Goloka (Krishna’s supreme abode).
श्रीराधापतये तुभ्यं व्रजाधीशाय ते नमः।
Salutations to you, the consort of Shri Radha and the ruler of Vraja.
नमः श्रीनन्दपुत्राय यशोदानन्दनाय च।
Salutations to the son of Nanda and the joy of Yashoda.
देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते।
O Govinda, son of Devaki, Vasudeva, and Lord of the universe.
यदूत्तम जगन्नाथ पाहि मां पुरुषोत्तम।
O supreme Yadu, Lord of the world, and the best among men, protect me.
श्री पुरुषोत्तम स्तोत्र का महत्व Importance of Purushottama Stotram
- आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तोत्र भगवान विष्णु के भक्तों के लिए आत्मा और परमात्मा के बीच संबंध को गहरा करता है।
- संकटों से मुक्ति: इसे श्रद्धा से पढ़ने पर जीवन के संकट, दुख और परेशानियां दूर होती हैं।
- धर्म और मोक्ष: यह स्तोत्र व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति में सहायता करता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: इसके पाठ से मानसिक तनाव दूर होता है और सकारात्मकता का संचार होता है।
श्री पुरुषोत्तम स्तोत्र का पाठ कैसे करें?
- पवित्रता: पाठ से पहले स्नान करें और शांत स्थान का चयन करें।
- मंत्रोच्चार: इसे प्रातःकाल या संध्याकाल में पढ़ना विशेष फलदायी माना जाता है।
- समर्पण: भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाकर पाठ करें।
- श्रद्धा: इसे पूरी श्रद्धा और ध्यान के साथ पढ़ें।
फलश्रुति
श्री पुरुषोत्तम स्तोत्र के अंत में इसके पाठ से होने वाले फलों का वर्णन मिलता है। यह कहा गया है कि इसे जो व्यक्ति नियमित रूप से पढ़ता है, उसे जीवन में सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
विशेष अवसरों पर पाठ
- एकादशी तिथि
- पूर्णिमा
- विष्णु से जुड़े पर्व जैसे वैकुंठ एकादशी और जन्माष्टमी
- किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए
आधुनिक संदर्भ में उपयोग
आज के समय में भी श्री पुरुषोत्तम स्तोत्र का पाठ मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास के लिए किया जाता है। यह व्यक्ति को नकारात्मक विचारों से मुक्त कर सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है।
श्री पुरुषोत्तम स्तोत्र पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs for Purushottama Stotram
श्री पुरुषोत्तम स्तोत्र क्या है?
श्री पुरुषोत्तम स्तोत्र एक पवित्र धार्मिक ग्रंथ है जो भगवान विष्णु के पुरुषोत्तम स्वरूप की स्तुति में लिखा गया है। यह स्तोत्र भगवान की महिमा, उनके दिव्य गुणों और कृपा का वर्णन करता है। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
श्री पुरुषोत्तम स्तोत्र का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
श्री पुरुषोत्तम स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय किया जाना उत्तम माना जाता है। इसे शुद्ध मन और शरीर के साथ, एकांत या शांत स्थान में बैठकर पढ़ा जाता है। पूजा के दौरान दीपक जलाकर इसे पढ़ना शुभ माना जाता है।
श्री पुरुषोत्तम स्तोत्र का क्या महत्व है?
श्री पुरुषोत्तम स्तोत्र का पाठ व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने वाला माना जाता है। इसे पढ़ने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और सभी प्रकार के संकट और परेशानियों से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र भक्ति और आत्मशुद्धि का एक महत्वपूर्ण साधन है।
क्या श्री पुरुषोत्तम स्तोत्र का पाठ करने से विशेष लाभ होते हैं?
हाँ, श्री पुरुषोत्तम स्तोत्र का नियमित पाठ करने से आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है, मन को शांति मिलती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। इसके अलावा, यह व्यक्ति के जीवन में शुभता, सफलता और अच्छे स्वास्थ्य का संचार करता है।
श्री पुरुषोत्तम स्तोत्र को किसने रचा है?
श्री पुरुषोत्तम स्तोत्र का रचयिता निश्चित रूप से ज्ञात नहीं है, लेकिन यह प्राचीन वैदिक परंपरा से संबंधित है। इसे ऋषि-मुनियों ने भगवान विष्णु की महिमा का गुणगान करने के लिए रचा है। इस स्तोत्र को भक्ति और श्रद्धा के साथ पढ़ा जाना चाहिए।