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गुरूवार, मार्च 6, 2025

उदुपी कृष्णा सुप्रभातम्

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Udupi Krishna Suprabhatam In Hindi

उदुपी कृष्णा सुप्रभातम्(Udupi Krishna Suprabhatam) एक महत्वपूर्ण भक्ति गीत है जिसे श्री कृष्ण के प्रति भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करने के लिए गाया जाता है। यह सुप्रभातम् विशेष रूप से दक्षिण भारत के श्री कृष्ण मंदिरों, विशेष रूप से उडुपी के श्री कृष्ण मंदिर में गाया जाता है। उडुपी कृष्ण मंदिर कर्नाटक राज्य में स्थित है और यह भगवान श्री कृष्ण के प्रमुख तीर्थ स्थलों में एक है। यहाँ भगवान श्री कृष्ण की पूजा विशेष रूप से द्रविण शैली में की जाती है, और ‘उदुपी कृष्णा सुप्रभातम्’ इस पूजा का अभिन्न हिस्सा है।

उदुपी कृष्णा सुप्रभातम् का महत्व

  1. भक्ति और श्रद्धा का प्रदर्शन: इस सुप्रभातम् में भगवान श्री कृष्ण की महिमा का गान किया जाता है। यह शास्त्रों और वेदों का अनुसरण करते हुए भक्तों को भगवान श्री कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति को प्रकट करने का एक माध्यम है। इस गीत में भगवान कृष्ण को ‘साक्षात परमात्मा’ के रूप में संबोधित किया गया है, और उनका गुणगान किया जाता है।
  2. उदुपी कृष्णा का मंदिर: उडुपी कृष्ण मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसे 13वीं शताब्दी में श्री Madhvacharya ने स्थापित किया था। यह मंदिर श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा करता है, जहाँ भगवान कृष्ण के दर्शन करना और उनकी पूजा करना भक्तों के लिए एक अत्यधिक पुण्य का कार्य माना जाता है। इस मंदिर के अन्दर भगवान कृष्ण की मूर्ति चंदन के लकड़ी से बनी हुई है और इसे ‘दीपमूर्ति’ के नाम से जाना जाता है।
  3. सुप्रभातम् का संगीत: ‘उदुपी कृष्णा सुप्रभातम्’ को दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत की विशेष शैली में गाया जाता है। यह गीत विशेष रूप से कर्नाटक संगीत के रागों में गाया जाता है, जो भक्तों को मानसिक शांति और ध्यान की स्थिति में लाने में मदद करता है। सुप्रभातम् के गायन से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भक्त अपने दिन की शुरुआत भगवान श्री कृष्ण की कृपा से करते हैं।
  4. शब्दों का महत्व: इस सुप्रभातम् में प्रयुक्त शब्द विशेष रूप से महाकाव्य और शास्त्रों से लिए गए होते हैं। इसमें भगवान श्री कृष्ण की पूजा के लिए मंत्रों और श्लोकों का सही उच्चारण किया जाता है। यह गीत भक्तों को उनके दैवीय कर्तव्यों की याद दिलाता है और उन्हें जीवन के सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
  5. किर्तन और जागरण का हिस्सा: इस सुप्रभातम् को कई बार मंदिरों में भक्तों के सामूहिक रूप से गाने के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह एक प्रकार का कीर्तन या जागरण भी बन जाता है जिसमें लोग एक साथ भगवान की महिमा का गान करते हैं। यह संगीतमय उत्सव भक्तों को एकता और समुदाय की भावना में बांधता है।
  6. समय का महत्व: सुप्रभातम् का गायन प्रातःकाल के समय होता है, जब वातावरण शांत होता है और मानसिक स्थिति भी शांति की ओर प्रवृत्त होती है। प्रातःकाल का समय विशेष रूप से पूजा और ध्यान के लिए उपयुक्त माना जाता है, और इस समय भगवान के नाम का जाप करने से पुण्य और शांति प्राप्त होती है।
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं

उदुपी कृष्णा सुप्रभातम् का प्रभाव

उदुपी कृष्णा सुप्रभातम् के गान से मानसिक स्थिति को शांति मिलती है और व्यक्ति अपने दिन की शुरुआत सकारात्मक और उत्साही रूप से करता है। यह गीत न केवल धार्मिक रूप से बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी व्यक्ति को सशक्त बनाता है। इसके गान से भक्त अपने जीवन के कष्टों को भगवान के चरणों में समर्पित कर देते हैं और आत्मिक शांति की प्राप्ति करते हैं।

इस प्रकार, ‘उदुपी कृष्णा सुप्रभातम्’ न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अभ्यास भी है जो भक्तों को उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की ओर मार्गदर्शन करता है।

उडुपी कृष्ण सुप्रभातम्

उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द उत्तिष्ठ गरुडध्वज ।
उत्तिष्ठ कमलाकान्त त्रैलोक्यं मङ्गलं कुरु ॥

नारायणाखिलशरण्य रथाङ्गपाणे
प्राणायमानविजयागणितप्रभाव ।
गीर्वाणवैरिकदलीवनवारणेन्द्र
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

उत्तिष्ठ दीनपतितार्तजनानुकम्पिन्
उत्तिष्ठ विश्वरचनाचतुरैकशिल्पिन् ।
उत्तिष्ठ वैष्णवमतोद्भवधामवासिन्
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

उत्तिष्ठ पातय कृपामसृणान् कटाक्षान्
उत्तिष्ठ दर्शय सुमङ्गलविग्रहन्ते ।
उत्तिष्ठ पालय जनान् शरणं प्रपन्नान्
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

उत्तिष्ठ यादव मुकुन्द हरे मुरारे
उत्तिष्ठ कौरवकुलान्तक विश्वबन्धो ।
उत्तिष्ठ योगिजनमानसराजहंस
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

उत्तिष्ठ पद्मनिलयाप्रिय पद्मनाभ
पद्मोद्भवस्य जनकाच्युत पद्मनेत्र ।
उत्तिष्ठ पद्मसखमण्डलमध्यवर्तिन्
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

मध्वाख्यया रजतपीठपुरेवतीर्ण-
स्त्वत्कार्यसाधनपटुः पवमानदेवः ।
मूर्तेश्चकार तव लोकगुरोः प्रतिष्ठां
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

सन्यासयोगनिरताश्रवणादिभिस्त्वां
भक्तेर्गुणैर्नवभिरात्मनिवेदनान्तैः ।
अष्टौ यजन्ति यतिनो जगतामधीशं
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

या द्वारकापुरि पुरा तव दिव्यमूर्तिः
सम्पूजिताष्टमहिषीभिरनन्यभक्त्या ।
अद्यार्चयन्ति यतयोष्टमठाधिपास्तां
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

वामे करे मथनदण्डमसव्यहस्ते
गृह्णंश्च पाशमुपदेष्टुमना इवासि ।
गोपालनं सुखकरं कुरुतेति लोकान्
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

सम्मोहिताखिलचराचररूप विश्व-
श्रोत्राभिराममुरलीमधुरारवेण ।
आधायवादयकरेण पुनश्चवेणुं
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

गीतोष्णरश्मिरुदयन्वहनोदयाद्रौ
यस्याहरत्सकललोकहृदान्धकारम् ।
सत्वं स्थितो रजतपीठपुरे विभासि
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

कृष्णेति मङ्गलपदं कृकवाकुवृन्दं
वक्तुं प्रयत्य विफलं बहुशः कुकूकुः ।
त्वां सम्प्रबोधयितुमुच्चरतीति मन्ये
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

भृङ्गापिपासव इमे मधु पद्मषन्दे
कृष्णार्पणं सुमरसोस्विति हर्षभाजः ।
झङ्काररावमिषतः कथयन्ति मन्ये
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

निर्यान्ति शावकवियोगयुता विहङ्गाः
प्रीत्यार्भकेशु च पुनः प्रविशन्ति नीडम् ।
धावन्ति सस्य कणिकानुपचेतुमारान्-
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

भूत्वातिथिः सुमनसामनिलः सुगन्धं
सङ्गृह्य वाति जनयन् प्रमदं जनानाम् ।
विश्वात्मनोर्चनधिया तव मुञ्च निद्रां
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

तारालिमौक्तिकविभूषणमण्डिताङ्गी
प्राचीदुकूलमरुणं रुचिरं दधान ।
खेसौखसुप्तिकवधूरिव दृश्यतेद्य
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

आलोक्य देहसुषमां तव तारकालि-
र्ह्रीणाक्रमेण समुपेत्य विवर्णभावम् ।
अन्तर्हिते वनचिरात् त्यज शेषशय्यां
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

साध्वीकराब्जवलयध्वनिनासमेतो
गानध्वनिः सुदधिमन्थनघोषपुष्टः ।
संश्रूयते प्रतिग्रहं रजनी विनष्टा
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

भास्वानुदेष्यति हिमांशुरभूद्गतश्रीः
पूर्वां दिशामरुणयन् समुपैत्यनूरुः ।
आशाः प्रसाद सुभगाश्च गतत्रियामा
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

आदित्यचन्द्रधरणीसुतरौहिणेय-
जीवोशनःशनिविधुन्तुदकेतवस्ते ।
दासानुदासपरिचारकभृत्यभृत्या
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

इन्द्राग्निदण्डधरनिर्ऋतिपाशिवायु-
वित्तेशभूतपतयो हरितामधीशाः ।
आराधयन्ति पदवीच्युतिशङ्कया त्वां
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

वीणां सती कमलजस्य करे दधाना
तन्त्र्यागलस्य चरवे कलयन्त्यभेदम् ।
विश्वं निमज्जयति गानसुधारसाब्धौ
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

देवर्षिरम्बरतलादवनीं प्रपन्न-
स्त्वत्सन्निधौ मधुरवादितचारुवीणा ।
नामानि गायति नतस्फुरितोत्तमाङ्गो
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

वातात्मजः प्रणतकल्पतरुर्हनूमान्
द्वारे कृताञ्जलिपुटस्तवदर्शनार्थी ।
तिष्ठत्यमुं कुरुकृतार्थमपेत निद्रां
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

सर्वोत्तमो हरिरिति श्रुतिवाक्यवृन्दै-
श्चन्द्रेश्वरद्विरदवक्त्रषडाननाद्याः ।
उद्घोशयन्त्यनिमिषा रजनीं प्रभाते
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

मध्वाभिदे सरसि पुण्यजले प्रभाते
गङ्गाम्भसर्वमघमाशु हरेति जप्त्वा ।
मज्जन्ति वैदिकशिखामणयो यथावन्
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

द्वारे मिलन्ति निगमान्तविदस्त्रयीज्ञा
मीमांसकाः पदविदोनयदर्शनज्ञाः ।
गान्धर्ववेदकुशलाश्च तवेक्षणार्थं
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

श्रीमध्वयोगिवरवन्दितपादपद्म
भैष्मीमुखाम्बुरुहभास्कर विश्ववन्द्य ।
दासाग्रगण्यकनकादिनुतप्रभाव
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

पर्यायपीठमधिरुह्य मठाधिपास्त्वा-
मष्टौ भजन्ति विधिवत् सततं यतीन्द्राः ।
श्रीवादिराजनियमान् परिपालयन्तो
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

श्रीमन्ननन्तशयनोडुपिवास शौरे
पूर्णप्रबोध हृदयाम्बरशीतरश्मे ।
लक्ष्मीनिवास पुरुषोत्तम पूर्णकाम
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

श्रीप्राणनाथ करुणावरुणालयार्त
सन्त्राणशौन्द रमणीयगुणप्रपूर्ण ।
सङ्कर्षणानुज फणीन्द्रफणावितान
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

आनन्दतुन्दिल पुरन्दर पूर्वदास-
वृन्दाभिवन्दित पदाम्बुजनन्दसूनो ।
गोविन्द मन्दरगिरीन्द्र धराम्बुदाभ
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

गोपाल गोपललनाकुलरासलीला-
लोलाभ्रनीलकमलेश कृपालवाल ।
कालीयमौलिविलसन्मणिरञ्जिताङ्घ्रे
मध्वेश कृष्ण भगवन् तव सुप्रभातम् ॥

कृष्णस्य मङ्गलनिधेर्भुवि सुप्रभातं
येहर्मुखे प्रतिदिनं मनुजाः पठन्ति ।
विन्दन्ति ते सकलवाञ्छितसिद्धिमाशु
ज्ञानञ्च मुक्तिसुलभं परमं लभन्ते ॥

Udupi Krishna Suprabhatam In English

uttisht’hottisht’ha govinda uttisht’ha garud’adhvaja .
uttisht’ha kamalaakaanta trailokyam’ mangalam’ kuru ..

naaraayanaakhilasharanya rathaangapaane
praanaayamaanavijayaaganitaprabhaava .
geervaanavairikadaleevanavaaranendra
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

uttisht’ha deenapatitaartajanaanukampin
uttisht’ha vishvarachanaachaturaikashilpin .
uttisht’ha vaishnavamatodbhavadhaamavaasin
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

uttisht’ha paataya kri’paamasri’naan kat’aakshaan
uttisht’ha darshaya sumangalavigrahante .
uttisht’ha paalaya janaan sharanam’ prapannaan
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

uttisht’ha yaadava mukunda hare muraare
uttisht’ha kauravakulaantaka vishvabandho .
uttisht’ha yogijanamaanasaraajaham’sa
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

uttisht’ha padmanilayaapriya padmanaabha
padmodbhavasya janakaachyuta padmanetra .
uttisht’ha padmasakhamand’alamadhyavartin
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

madhvaakhyayaa rajatapeet’hapurevateerna-
stvatkaaryasaadhanapat’uh’ pavamaanadevah’ .
moorteshchakaara tava lokaguroh’ pratisht’haam’
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

sanyaasayoganirataashravanaadibhistvaam’
bhaktergunairnavabhiraatmanivedanaantaih’ .
asht’au yajanti yatino jagataamadheesham’
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

yaa dvaarakaapuri puraa tava divyamoortih’
sampoojitaasht’amahisheebhirananyabhaktyaa .
adyaarchayanti yatayosht’amat’haadhipaastaam’
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

vaame kare mathanadand’amasavyahaste
gri’hnam’shcha paashamupadesht’umanaa ivaasi .
gopaalanam’ sukhakaram’ kuruteti lokaan
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

sammohitaakhilacharaachararoopa vishva-
shrotraabhiraamamuraleemadhuraaravena .
aadhaayavaadayakarena punashchavenum’
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

geetoshnarashmirudayanvahanodayaadrau
yasyaaharatsakalalokahri’daandhakaaram .
satvam’ sthito rajatapeet’hapure vibhaasi
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

kri’shneti mangalapadam’ kri’kavaakuvri’ndam’
vaktum’ prayatya viphalam’ bahushah’ kukookuh’ .
tvaam’ samprabodhayitumuchcharateeti manye
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

bhri’ngaapipaasava ime madhu padmashande
kri’shnaarpanam’ sumarasosviti harshabhaajah’ .
jhankaararaavamishatah’ kathayanti manye
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

niryaanti shaavakaviyogayutaa vihangaah’
preetyaarbhakeshu cha punah’ pravishanti need’am .
dhaavanti sasya kanikaanupachetumaaraan-
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

bhootvaatithih’ sumanasaamanilah’ sugandham’
sangri’hya vaati janayan pramadam’ janaanaam .
vishvaatmanorchanadhiyaa tava muncha nidraam’
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

taaraalimauktikavibhooshanamand’itaangee
praacheedukoolamarunam’ ruchiram’ dadhaana .
khesaukhasuptikavadhooriva dri’shyatedya
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

aalokya dehasushamaam’ tava taarakaali-
rhreenaakramena samupetya vivarnabhaavam .
antarhite vanachiraat tyaja sheshashayyaam’
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

saadhveekaraabjavalayadhvaninaasameto
gaanadhvanih’ sudadhimanthanaghoshapusht’ah’ .
sam’shrooyate pratigraham’ rajanee vinasht’aa
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

bhaasvaanudeshyati himaam’shurabhoodgatashreeh’
poorvaam’ dishaamarunayan samupaityanooruh’ .
aashaah’ prasaada subhagaashcha gatatriyaamaa
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

aadityachandradharaneesutarauhineya-
jeevoshanah’shanividhuntudaketavaste .
daasaanudaasaparichaarakabhri’tyabhri’tyaa
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

indraagnidand’adharanirri’tipaashivaayu-
vitteshabhootapatayo haritaamadheeshaah’ .
aaraadhayanti padaveechyutishankayaa tvaam’
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

veenaam’ satee kamalajasya kare dadhaanaa
tantryaagalasya charave kalayantyabhedam .
vishvam’ nimajjayati gaanasudhaarasaabdhau
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

devarshirambaratalaadavaneem’ prapanna-
stvatsannidhau madhuravaaditachaaruveenaa .
naamaani gaayati natasphuritottamaango
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

vaataatmajah’ pranatakalpatarurhanoomaan
dvaare kri’taanjaliput’astavadarshanaarthee .
tisht’hatyamum’ kurukri’taarthamapeta nidraam’
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

sarvottamo haririti shrutivaakyavri’ndai-
shchandreshvaradviradavaktrashad’aananaadyaah’ .
udghoshayantyanimishaa rajaneem’ prabhaate
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

madhvaabhide sarasi punyajale prabhaate
gangaambhasarvamaghamaashu hareti japtvaa .
majjanti vaidikashikhaamanayo yathaavan
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

dvaare milanti nigamaantavidastrayeejnyaa
meemaam’sakaah’ padavidonayadarshanajnyaah’ .
gaandharvavedakushalaashcha tavekshanaartham’
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

shreemadhvayogivaravanditapaadapadma
bhaishmeemukhaamburuhabhaaskara vishvavandya .
daasaagraganyakanakaadinutaprabhaava
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

paryaayapeet’hamadhiruhya mat’haadhipaastvaa-
masht’au bhajanti vidhivat satatam’ yateendraah’ .
shreevaadiraajaniyamaan paripaalayanto
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

shreemannanantashayanod’upivaasa shaure
poornaprabodha hri’dayaambarasheetarashme .
lakshmeenivaasa purushottama poornakaama
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

shreepraananaatha karunaavarunaalayaarta
santraanashaunda ramaneeyagunaprapoorna .
sankarshanaanuja phaneendraphanaavitaana
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

aanandatundila purandara poorvadaasa-
vri’ndaabhivandita padaambujanandasoono .
govinda mandaragireendra dharaambudaabha
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

gopaala gopalalanaakularaasaleelaa-
lolaabhraneelakamalesha kri’paalavaala .
kaaleeyamaulivilasanmaniranjitaanghre
madhvesha kri’shna bhagavan tava suprabhaatam ..

kri’shnasya mangalanidherbhuvi suprabhaatam’
yeharmukhe pratidinam’ manujaah’ pat’hanti .
vindanti te sakalavaanchhitasiddhimaashu
jnyaanancha muktisulabham’ paramam’ labhante ..

FAQs for Udupi Krishna Suprabhatam

  1. उडुपी कृष्ण मंदिर कहाँ स्थित है?

    उत्तर: उडुपी कृष्ण मंदिर कर्नाटक राज्य के उडुपी शहर में स्थित है। यह श्री कृष्ण को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है।

  2. उडुपी कृष्ण मंदिर की स्थापना किसने की?

    उत्तर: इस मंदिर की स्थापना 13वीं सदी में वैष्णव संत श्री माधवाचार्य द्वारा की गई थी, जो द्वैतवेदांत सम्प्रदाय के संस्थापक थे। 

  3. उडुपी कृष्ण मंदिर के प्रमुख त्योहार कौन-कौन से हैं?

    उत्तर: यहाँ मकर संक्रांति, रथ सप्तमी, माधव नवमी, हनुमान जयंती, श्री कृष्ण जन्माष्टमी, माधव जयंती, दीपावली और गीता जयंती जैसे त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं।

  4. कनकदास खिड़की का क्या महत्व है?

    उत्तर: किंवदंती के अनुसार, भक्त कनकदास को मंदिर में प्रवेश नहीं मिला था, लेकिन उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान कृष्ण ने मंदिर के पीछे एक खिड़की बनवाई, जिससे आज भी भक्त दर्शन करते हैं।

  5. मंदिर का प्रबंधन कैसे होता है?

    उत्तर: मंदिर का प्रबंधन अष्ट मठों (आठ मंदिरों) द्वारा किया जाता है, जहाँ प्रत्येक मठ को दो साल के लिए चक्रीय क्रम में मंदिर का प्रबंधन सौंपा जाता है।

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