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गुरूवार, मार्च 6, 2025

कृष्ण मंगल स्तोत्र

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Krishna Mangala Stotram In Hindi

कृष्ण मंगल स्तोत्र (Krishna Mangala Stotram) भगवान श्री कृष्ण की महिमा का बखान करने वाला एक महत्वपूर्ण भक्ति गीत है। यह स्तोत्र भगवान श्री कृष्ण की स्तुति करता है और भक्तों को उनके दिव्य गुणों की प्राप्ति की दिशा में मार्गदर्शन करता है। कृष्ण मंगल स्तोत्र को विशेष रूप से संकटों से मुक्ति पाने, सुख-शांति प्राप्त करने और भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त करने के लिए जपने की परंपरा है।

कृष्ण मंगल स्तोत्र का महत्व – Importance of Krishna Mangala Stotram

कृष्ण मंगल स्तोत्र का अर्थ है—”भगवान श्री कृष्ण की मंगलकारी वाणी।” यह स्तोत्र उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है, जैसे उनकी अवतार लीला, उनका परम सत्य रूप, और भक्तों के प्रति उनका अद्वितीय स्नेह। भक्तों द्वारा इस स्तोत्र का पाठ करने से उन्हें भगवान कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जो उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाती है।

कृष्ण मंगल स्तोत्र का रचनाकार

कृष्ण मंगल स्तोत्र का रचनाकार श्री आदिशंकराचार्य को माना जाता है। वे महान विद्वान, योगी और धार्मिक गुरु थे, जिन्होंने भारतीय दर्शन और तात्त्विक विचारों का प्रचार किया। आदिशंकराचार्य ने इस स्तोत्र का रचनाकर भगवान श्री कृष्ण के अद्वितीय रूपों की महिमा का विस्तार किया।

कृष्ण मंगल स्तोत्र के पदों का महत्व

  1. श्री कृष्ण के रूप का बखान: स्तोत्र में भगवान श्री कृष्ण के सुंदर रूप, उनके दिव्य शरीर, उनकी रचनात्मकता, और उनकी नृत्य और संगीत कला की सराहना की गई है। उन्हें “माधव”, “गोविन्द”, “यदुनन्दन”, “व्रजनन्दन” आदि नामों से पुकारा जाता है, जो उनकी महानता का प्रतीक हैं।
  2. भगवान कृष्ण का भक्तों के प्रति स्नेह: कृष्ण मंगल स्तोत्र में भगवान कृष्ण के भक्तों के प्रति उनके निस्वार्थ प्रेम और स्नेह का वर्णन किया गया है। वे सदा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उनके पापों को नष्ट करने में मदद करते हैं।
  3. कृष्ण के दर्शन का महत्व: भगवान श्री कृष्ण का दर्शन जीवन में शांति और संतुलन लाने वाला होता है। इस स्तोत्र के माध्यम से भक्त कृष्ण के अद्भुत दर्शन का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

कृष्ण मंगल स्तोत्र का पाठ करने के लाभ

  1. संकटों का निवारण: यदि कोई भक्त किसी प्रकार के मानसिक या भौतिक संकट से गुजर रहा है, तो इस स्तोत्र का पाठ उसे मुक्ति दिला सकता है।
  2. दैवीय आशीर्वाद की प्राप्ति: भगवान श्री कृष्ण की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: इस स्तोत्र के जप से भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति होती है और वे श्री कृष्ण के निकट आते हैं।
  4. स्वास्थ्य और समृद्धि: यह स्तोत्र मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को उत्तेजित करता है और जीवन में समृद्धि लाता है।

कृष्ण मंगल स्तोत्र

सर्वे वेदाः साङ्गकलापाः परमेण
प्राहुस्तात्पर्येण यदद्वैतमखण्डम् ।
ब्रह्मासङ्गं प्रत्यगभिन्नं पुरुषाख्यं
तस्मै श्रीकृष्णाय नमो मङ्गलधाम्ने ॥

मायाधिष्ठानं परिशुद्धं यदविद्या
सूते विश्वं देवमनुष्यादिविभेदम् ।
यस्मिन् ज्ञाते सा शशश‍ृङ्गेण समा स्यात्
तस्मै श्रीकृष्णाय नमो मङ्गलधाम्ने ॥

श्रीवैकुण्ठे श्रीधरणीलालितपादः
सर्वैर्वेदैर्मूर्तिधरैः संस्तुतकीर्तिः ।
आस्ते नित्यं शेषशयो यः परमात्मा
तस्मै श्रीकृष्णाय नमो मङ्गलधाम्ने ॥

धर्मत्राणायैव कृतानेकविभूतिः
श्वेतद्वीपे क्षीरपयोधौ कृतवासः ।
यो भृत्यानामार्तिहरः सत्त्वसमूह-
स्तस्मै श्रीकृष्णाय नमो मङ्गलधाम्ने ॥

क्षीराम्भोधेस्तीरमुपाव्रज्य सुरेशै-
र्ब्रह्मेशानेन्द्रादिभिराम्नायशिरोभिः ।
भूमेः सौख्यं कामयमानैः प्रणतो य-
स्तस्मै श्रीकृष्णाय नमो मङ्गलधाम्ने ॥

सर्वात्मापि स्वाश्रितरक्षापरतन्त्र-
श्रीदेवक्यां यो वसुदेवादवतीर्णः ।
चक्रे लीलाः श्रोतृमनोनन्दविधात्री-
स्तस्मै श्रीकृष्णाय नमो मङ्गलधाम्ने ॥

पुत्रं मत्वा यं परमेशानमजातं
पूर्णं मायोपात्तशरीरं सुखरूपम् ।
नन्दो मुक्तिं प्राप यशोदा व्रजपुर्यां
तस्मै श्रीकृष्णाय नमो मङ्गलधाम्ने ॥

गोप्यो गोपा गोपकुमाराश्च यदीयं
रूपं दृष्ट्वा सुन्दरमिन्दीवरनीलम् ।
मन्दस्मेरं कुन्दरदं प्रीतिमवापु-
स्तस्मै श्रीकृष्णाय नमो मङ्गलधाम्ने ॥

बालो भूत्वा मासवया योऽपिबदग्ने
प्राणैः साकं स्तन्यमसुर्याः कुलटायाः ।
स्वरस्त्याकाङ्क्षन्नात्मजनानां जगदीश-
स्तस्मै श्रीकृष्णाय नमो मङ्गलधाम्ने ॥

पद्भधां जघ्नेऽनोऽसुरमुद्यम्य तृतीये
मासे देवो योऽखिलमायाविनिहन्ता ।
सन्तापघ्नः साधुजनानाममरेश-
स्तस्मै श्रीकृष्णाय नमो मङ्गलधाम्ने ॥

कण्ठे बद्ध्वा मूर्ध्नि विनिर्भिद्य निरस्तः
दुष्टो गोष्ठे येन तृणावर्तसुरारिः ।
सर्वज्ञेनानन्तबलेनातिविमूढ-
स्तस्मै श्रीकृष्णाय नमो मङ्गलधाम्ने ॥

गोपालार्भैश्चारणलीलां विदधानो
गोवत्सानां यो बकदैत्यं विददार ।
आस्यादारम्योदरमत्युन्नतसत्त्वं
तस्मै श्रीकृष्णाय नमो मङ्गलधाम्ने ॥

मात्रे दैत्याच्छङ्कितवत्यै दयया यो
गोप्यै लोकान् स्वात्मसमेतान् मुखपद्मे ।
स्वीये सूक्ष्मेऽदर्शयदव्याहतशक्ति-
स्तस्मै श्रीकृष्णाय नमो मङ्गलधाम्ने ॥

नव्यं गव्यं क्षीरमनीरं नवनीतं
भुङ्क्ते प्रीत्या दत्तमदत्तं च यथेच्छम् ।
स्वात्मारामाभ्यर्चितपादोऽपि च गोष्टे
तस्मै श्रीकृष्णाय नमो मङ्गलधाम्ने ॥

कालीयोऽहिः कल्पितशिक्षाभयदान-
स्त्यक्त्वा तीर्थं यामुनमात्मीयमवाप ।
द्वीपं येनानन्तबलेनाथ ससैन्य-
स्तस्मै श्रीकृष्णाय नमो मङ्गलधाम्ने ॥

गोपान् योऽपादापद उद्धृत्य दवाग्ने-
र्मुग्धान् स्निग्धान् पवित्रामललक्ष्मीः ।
अष्टैश्वर्योऽव्याहतलक्ष्मीपतिराद्य-
स्तस्मै श्रीकृष्णाय नमो मङ्गलधाम्ने ॥

पापाचारोऽघासुरनामाहिशरीरः
शैलाकारो येन हतो मूर्ध्नि विभिन्नः ।
प्रापात्मैक्यं ब्रह्मविदामेव तु गम्यं
तस्मै श्रीकृष्णाय नमो मङ्गलधाम्ने ॥

गोगोपानां श्रोत्रमनोनेत्रसुखानि
प्रादुष्कुर्वन् गोपवधूनां व्रजमध्ये ।
लीलानाट्यान्यद्भुतरूपाणि य आस्ते
तस्मै श्रीकृष्णाय नमो मङ्गलधाम्ने ॥

व्यत्यस्ताम्भोजातपदो वेणुनिनादैः
सर्वाँल्लोकान् सातिशयान् कर्मसु मूढान् ।
चक्रेऽत्यन्तानन्दविधानेन वने य-
स्तस्मै श्रीकृष्णाय नमो मङ्गलधाम्ने ॥

Krishna Mangala Stotram In English

sarve vedaah’ saangakalaapaah’ paramena
praahustaatparyena yadadvaitamakhand’am .
brahmaasangam’ pratyagabhinnam’ purushaakhyam’
tasmai shreekri’shnaaya namo mangaladhaamne ..

maayaadhisht’haanam’ parishuddham’ yadavidyaa
soote vishvam’ devamanushyaadivibhedam .
yasmin jnyaate saa shashashri’ngena samaa syaat
tasmai shreekri’shnaaya namo mangaladhaamne ..

shreevaikunt’he shreedharaneelaalitapaadah’
sarvairvedairmoortidharaih’ sam’stutakeertih’ .
aaste nityam’ sheshashayo yah’ paramaatmaa
tasmai shreekri’shnaaya namo mangaladhaamne ..

dharmatraanaayaiva kri’taanekavibhootih’
shvetadveepe ksheerapayodhau kri’tavaasah’ .
yo bhri’tyaanaamaartiharah’ sattvasamooha-
stasmai shreekri’shnaaya namo mangaladhaamne ..

ksheeraambhodhesteeramupaavrajya sureshai-
rbrahmeshaanendraadibhiraamnaayashirobhih’ .
bhoomeh’ saukhyam’ kaamayamaanaih’ pranato ya-
stasmai shreekri’shnaaya namo mangaladhaamne ..

sarvaatmaapi svaashritarakshaaparatantra-
shreedevakyaam’ yo vasudevaadavateernah’ .
chakre leelaah’ shrotri’manonandavidhaatree-
stasmai shreekri’shnaaya namo mangaladhaamne ..

putram’ matvaa yam’ parameshaanamajaatam’
poornam’ maayopaattashareeram’ sukharoopam .
nando muktim’ praapa yashodaa vrajapuryaam’
tasmai shreekri’shnaaya namo mangaladhaamne ..

gopyo gopaa gopakumaaraashcha yadeeyam’
roopam’ dri’sht’vaa sundaramindeevaraneelam .
mandasmeram’ kundaradam’ preetimavaapu-
stasmai shreekri’shnaaya namo mangaladhaamne ..

baalo bhootvaa maasavayaa yo’pibadagne
praanaih’ saakam’ stanyamasuryaah’ kulat’aayaah’ .
svarastyaakaankshannaatmajanaanaam’ jagadeesha-
stasmai shreekri’shnaaya namo mangaladhaamne ..

padbhadhaam’ jaghne’no’suramudyamya tri’teeye
maase devo yo’khilamaayaavinihantaa .
santaapaghnah’ saadhujanaanaamamaresha-
stasmai shreekri’shnaaya namo mangaladhaamne ..

kant’he baddhvaa moordhni vinirbhidya nirastah’
dusht’o gosht’he yena tri’naavartasuraarih’ .
sarvajnyenaanantabalenaativimood’ha-
stasmai shreekri’shnaaya namo mangaladhaamne ..

gopaalaarbhaishchaaranaleelaam’ vidadhaano
govatsaanaam’ yo bakadaityam’ vidadaara .
aasyaadaaramyodaramatyunnatasattvam’
tasmai shreekri’shnaaya namo mangaladhaamne ..

maatre daityaachchhankitavatyai dayayaa yo
gopyai lokaan svaatmasametaan mukhapadme .
sveeye sookshme’darshayadavyaahatashakti-
stasmai shreekri’shnaaya namo mangaladhaamne ..

navyam’ gavyam’ ksheeramaneeram’ navaneetam’
bhunkte preetyaa dattamadattam’ cha yathechchham .
svaatmaaraamaabhyarchitapaado’pi cha gosht’e
tasmai shreekri’shnaaya namo mangaladhaamne ..

kaaleeyo’hih’ kalpitashikshaabhayadaana-
styaktvaa teertham’ yaamunamaatmeeyamavaapa .
dveepam’ yenaanantabalenaatha sasainya-
stasmai shreekri’shnaaya namo mangaladhaamne ..

gopaan yo’paadaapada uddhri’tya davaagne-
rmugdhaan snigdhaan pavitraamalalakshmeeh’ .
asht’aishvaryo’vyaahatalakshmeepatiraadya-
stasmai shreekri’shnaaya namo mangaladhaamne ..

paapaachaaro’ghaasuranaamaahishareerah’
shailaakaaro yena hato moordhni vibhinnah’ .
praapaatmaikyam’ brahmavidaameva tu gamyam’
tasmai shreekri’shnaaya namo mangaladhaamne ..

gogopaanaam’ shrotramanonetrasukhaani
praadushkurvan gopavadhoonaam’ vrajamadhye .
leelaanaat’yaanyadbhutaroopaani ya aaste
tasmai shreekri’shnaaya namo mangaladhaamne ..

vyatyastaambhojaatapado venuninaadaih’
sarvaam’llokaan saatishayaan karmasu mood’haan .
chakre’tyantaanandavidhaanena vane ya-
stasmai shreekri’shnaaya namo mangaladhaamne ..

FAQs for Krishna Mangala Stotram

  1. कृष्ण मंगल स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?

    उत्तर: कृष्ण मंगल स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल मंगल आरती के समय या किसी भी शुभ कार्य/पूजा के समापन पर किया जाता है 

  2. कृष्ण मंगल स्तोत्र में किस प्रकार की स्तुति की गई है?

    उत्तर: इस स्तोत्र में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन है, जैसे पूतना वध, कालिया नाग दमन, गोवर्धन धारण लीला आदि का विस्तृत वर्णन किया गया है

  3. मंगल आरती का क्या महत्व है?

    उत्तर: मंगल या मंगला आरती दिन की पहली आरती होती है जो ब्रह्म मुहूर्त में की जाती है। इससे निद्रा में सोए हुए देवता को जगाया जाता है

  4. कृष्ण मंगल स्तोत्र किस भाषा में है?

    उत्तर: यह स्तोत्र मूल रूप से संस्कृत भाषा में रचित है, जिसमें श्री कृष्ण के दिव्य रूप और उनकी लीलाओं का वर्णन है

  5. क्या इस स्तोत्र में कृष्ण के सभी रूपों का वर्णन है?

    उत्तर: हाँ, इस स्तोत्र में श्रीकृष्ण के विभिन्न रूपों का वर्णन है – जैसे यदुवंश के राजा, वासुदेव के पुत्र, द्वारका के राजा, गोपाल, और परमात्मा के रूप में

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