Narasimha Saptaka Stotram
नृसिंह सप्तक स्तोत्रम् एक अत्यंत शक्तिशाली एवं प्रभावशाली स्तोत्र है, जो भगवान विष्णु के उग्र और रक्षक रूप श्री नृसिंह को समर्पित है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन भक्तों के लिए उपयोगी माना जाता है जो भय, कष्ट, रोग, शत्रु बाधा या तंत्र-मंत्र जैसी नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति पाना चाहते हैं। “सप्तक” शब्द का अर्थ है “सात श्लोकों वाला”, और इस स्तोत्र में कुल सात मंत्रात्मक श्लोक होते हैं, जो अत्यधिक शक्ति से युक्त माने जाते हैं।
भगवान नृसिंह, भगवान विष्णु के दशावतारों में से एक हैं, जिन्होंने हिरण्यकशिपु नामक अत्याचारी राक्षस का वध करने के लिए अर्ध-मनुष्य और अर्ध-सिंह रूप धारण किया था। उनका यह रूप उग्र, तेजस्वी और रक्षक माना जाता है। वे अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने के लिए नर और सिंह के संयोग से उत्पन्न हुए और धर्म की स्थापना की।

नृसिंह सप्तक स्तोत्रम्
अद्वैतवास्तवमतेः प्रणमज्जनानां सम्पादनाय धृतमानवसिंहरूपम् ।
प्रह्लादपोषणरतं प्रणतैकवश्यं देवं मुदा कमपि नौमि कृपासमुद्रम् ॥
नतजनवचनऋतत्वप्रकाशकालस्य दैर्घ्यमसहिष्णुः ।
आविर्बभूव तरसा यः स्तम्भान्नौमि तं महाविष्णुम् ॥
वक्षोविदारणं यश्चक्रे हार्दं तमो हन्तुम् ।
शत्रोरपि करुणाब्धिं नरहरिवपुषं नमामि तं विष्णुम् ॥
रिपुहृदयस्थितराजसगुणमेवासृङ्मिषेण करजाग्रैः ।
धत्ते यस्तं वन्दे प्रह्लादपूर्वभाग्यनिचयमहम् ॥
प्रह्लादं प्रणमज्जनपङ्क्तेः कुर्वन्ति दिविषदो ह्यन्ये ।
प्रह्लादप्रह्लादं चित्रं कुरुते नमामि यस्तमहम् ॥
शरदिन्दुकुन्दधवलं करजप्रविदारितासुराधीशम् ।
चरणाम्बुजरतवाक्यं तरसैव ऋतं प्रकुर्वदहमीडे ॥
मुखेन रौद्रो वपुषा च सौम्यः सन्कञ्चनार्थं प्रकटीकरोषि ।
भयस्य कर्ता भयहृत्त्वमेवेत्याख्याप्रसिद्धिर्यदसंशयाऽभूत् ॥
नृसिंह सप्तक स्तोत्र का महत्त्व
- भय एवं संकट से रक्षा:
इस स्तोत्र का नियमित जप करने से किसी भी प्रकार के भय, जैसे मानसिक, भूत-प्रेत बाधा, रात्रिकालीन भय या अन्य अदृश्य संकटों से रक्षा होती है। - रोगों से मुक्ति:
विशेष रूप से मानसिक विकार, अनिद्रा, चिंता या अवसाद जैसी समस्याओं में यह स्तोत्र अत्यधिक लाभकारी माना गया है। - शत्रु बाधा से सुरक्षा:
यदि कोई व्यक्ति शत्रुओं से घिरा है, या कोई उसकी उन्नति में बाधा डाल रहा है, तो यह स्तोत्र उसे अदृश्य रूप से संरक्षण प्रदान करता है। - तांत्रिक क्रियाओं से बचाव:
यदि किसी व्यक्ति पर तंत्र-मंत्र, जादू-टोना या नजरदोष का असर हो, तो नृसिंह सप्तक स्तोत्र का पाठ बहुत ही असरदार होता है। - शांति एवं स्थिरता प्रदान करता है:
यह स्तोत्र घर और मन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है। यह मानसिक शांति और आत्मिक बल प्रदान करता है।
पाठ विधि
- इस स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल स्नानादि के बाद या संध्याकाल में शांतचित्त होकर करना चाहिए।
- भगवान नृसिंह के चित्र, प्रतिमा या यंत्र के समक्ष दीपक जलाकर और अगरबत्ती लगाकर पाठ करें।
- यदि संभव हो, तो “नृसिंह कवच”, “नृसिंह मंत्र” या “नृसिंह चालीसा” के साथ इसका पाठ करें।
- सात दिनों तक इसका निरंतर पाठ करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
- कठिन समय में इसे दिन में दो बार (प्रातः एवं संध्या) भी किया जा सकता है।
नृसिंह सप्तक स्तोत्र का विशेष लाभ
- वाद-विवादों में विजय।
- कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता।
- नौकरी या व्यापार में उन्नति।
- बच्चों की रक्षा एवं शिक्षा में उन्नति।
- मानसिक स्थिरता, ध्यान और साधना में प्रगति।