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बुधवार, फ़रवरी 5, 2025

हरिहरपुत्र अष्टकम्

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Hariharaputra Ashtakam In Hindi

हरिहरपुत्र अष्टकम्(Hariharaputra Ashtakam) एक प्राचीन स्तोत्र है, जो भगवान अय्यप्पा को समर्पित है। अय्यप्पा, जिन्हें हरिहरपुत्र के नाम से जाना जाता है, भगवान विष्णु (हरि) और भगवान शिव (हर) के पुत्र माने जाते हैं। यह स्तोत्र भगवान अय्यप्पा की महिमा और उनकी कृपा का वर्णन करता है। इसे श्रद्धालु भक्तगण उनके प्रति समर्पण और भक्ति प्रकट करने के लिए गाते हैं।

हरिहरपुत्र अष्टकम् का महत्व Importance of Hariharaputra Ashtakam

हरिहरपुत्र अष्टकम् भगवान अय्यप्पा की स्तुति और उपासना के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसे गाने से भक्त को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में बाधाओं से मुक्ति मिलती है। विशेष रूप से सबरीमाला की यात्रा करने वाले भक्त इस स्तोत्र का पाठ करते हैं।

हरिहरपुत्र अष्टकम् के श्लोक Hariharaputra Ashtakam Sloka

हरिवरासनं विश्वमोहनं
हरिदधीश्वर- माराध्यपादुकम्।
अरिविमर्दनं नित्यनर्तनं
हरिहरात्मजं देवमाश्रये।
शरणकीर्तनं भक्तमानसं
भरणलोलुपं नर्तनालसम्।
अरुणभासुरं भूतनायकं
हरिहरात्मजं देवमाश्रये।
प्रणयसत्यकं प्राणनायकं
प्रणतकल्पकं सुप्रभाञ्चितम्।
प्रणवमन्दिरं कीर्तनप्रियं
हरिहरात्मजं देवमाश्रये।
तुरगवाहनं सुन्दराननं
वरगदायुधं वेदवर्णितम्।
गुरुकृपाकरं कीर्तनप्रियं
हरिहरात्मजं देवमाश्रये।
त्रिभुवनार्चितं देवतात्मकं
त्रिनयनप्रभुं दिव्यदेशिकम्।
त्रिदशपूजितं चिन्तितप्रदं
हरिहरात्मजं देवमाश्रये।
भवभयापहं भावुकावहं
भुवनमोहनं भूतिभूषणम्।
धवलवाहनं दिव्यवारणं
हरिहरात्मजं देवमाश्रये।
कलमृदुस्मितं सुन्दराननं
कलभकोमलं गात्रमोहनम्।
कलभकेसरी- वाजिवाहनं
हरिहरात्मजं देवमाश्रये।
श्रितजनप्रियं चिन्तितप्रदं
श्रुतिविभूषणं साधुजीवनम्।
श्रुतिमनोहरं गीतलालसं
हरिहरात्मजं देवमाश्रये।

Hariharaputra Ashtakam In English

harivaraasanam vishvamohanam
haridadheeshvara- maaraadhyapaadukam.
arivimardanam nityanartanam
hariharaatmajam devamaashraye.
sharanakeertanam bhaktamaanasam
bharanalolupam nartanaalasam.
arunabhaasuram bhootanaayakam
hariharaatmajam devamaashraye.
pranayasatyakam praananaayakam
pranatakalpakam suprabhaanchitam.
pranavamandiram keertanapriyam
hariharaatmajam devamaashraye.
turagavaahanam sundaraananam
varagadaayudham vedavarnitam.
gurukri’paakaram keertanapriyam
hariharaatmajam devamaashraye.
tribhuvanaarchitam devataatmakam
trinayanaprabhum divyadeshikam.
tridashapoojitam chintitapradam
hariharaatmajam devamaashraye.
bhavabhayaapaham bhaavukaavaham
bhuvanamohanam bhootibhooshanam.
dhavalavaahanam divyavaaranam
hariharaatmajam devamaashraye.
kalamri’dusmitam sundaraananam
kalabhakomalam gaatramohanam.
kalabhakesaree- vaajivaahanam
hariharaatmajam devamaashraye.
shritajanapriyam chintitapradam
shrutivibhooshanam saadhujeevanam.
shrutimanoharam geetalaalasam
hariharaatmajam devamaashraye.

हरिहरपुत्र अष्टकम् का पाठ कब करें?

इस स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से सुबह के समय, भगवान अय्यप्पा की मूर्ति या तस्वीर के सामने किया जाता है। सबरीमाला यात्रा के दौरान भी इसे गाने का विशेष महत्व है।

  1. प्रातःकाल: जब मन शांत और पवित्र हो।
  2. मंगलमयी अवसर: जैसे कि पूजा, व्रत, या विशेष धार्मिक आयोजन।

हरिहरपुत्र अष्टकम् के लाभ Benifits of Hariharaputra Ashtakam

  1. भक्ति और श्रद्धा बढ़ाना: यह स्तोत्र भगवान अय्यप्पा के प्रति भक्ति को मजबूत करता है।
  2. संकटों से मुक्ति: जीवन में आने वाली समस्याओं और कष्टों को दूर करने में सहायक।
  3. मानसिक शांति: इसे गाने से मन में शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तोत्र आत्मा को परमात्मा के साथ जोड़ने में मदद करता है।

यह स्तोत्र सरल और संगीतमय है, इसलिए इसे बड़े उत्साह से गाया जाता है। इसके पीछे यह भावना है कि भगवान अय्यप्पा अपने भक्तों की हर प्रकार से रक्षा करेंगे और उनके जीवन में सुख-शांति प्रदान करेंगे।

यदि आप हरिहरपुत्र अष्टकम् का पाठ नियमित रूप से करते हैं, तो यह न केवल भौतिक जीवन को बेहतर बनाता है, बल्कि आध्यात्मिक जीवन में भी प्रगति प्रदान करता है। इसे गाने के लिए किसी विशेष भाषा का ज्ञान आवश्यक नहीं है, इसे अपने हृदय की गहराई से गाना ही महत्वपूर्ण है।

हरिहरपुत्र अष्टकम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs for Hariharaputra Ashtakam

हरिहरपुत्र अष्टकम् क्या है?

हरिहरपुत्र अष्टकम् एक प्रसिद्ध स्तोत्र है जो भगवान अयप्पा की स्तुति में रचित है। इसमें भगवान हरिहरपुत्र, जो शिव और विष्णु के पुत्र माने जाते हैं, की महिमा और उनके दिव्य गुणों का वर्णन किया गया है। इसे भक्तिपूर्वक गाने से आशीर्वाद प्राप्त होता है।

हरिहरपुत्र अष्टकम् का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?

हरिहरपुत्र अष्टकम् का पाठ प्रातःकाल या संध्या समय, शांत और स्वच्छ वातावरण में करना चाहिए। इसे करने से पहले स्नान करना और भगवान अयप्पा के चित्र या मूर्ति के सामने दीप जलाना शुभ माना जाता है। नियमित रूप से पाठ करने से मानसिक शांति और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।

हरिहरपुत्र अष्टकम् का उद्देश्य क्या है?

हरिहरपुत्र अष्टकम् का उद्देश्य भक्तों को भगवान अयप्पा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायता करना है। यह स्तोत्र भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति करता है और उनके जीवन में शांति और समृद्धि लाता है।

हरिहरपुत्र अष्टकम् के रचयिता कौन हैं?

हरिहरपुत्र अष्टकम् के रचयिता का नाम स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं है, लेकिन यह प्राचीन काल के ऋषियों और भक्तों द्वारा रचित माना जाता है। यह स्तोत्र तमिलनाडु और दक्षिण भारत में विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

हरिहरपुत्र अष्टकम् का पाठ करने के लाभ क्या हैं?

हरिहरपुत्र अष्टकम् का पाठ करने से भक्तों को मानसिक शांति, आत्मविश्वास, और भगवान अयप्पा का संरक्षण प्राप्त होता है। यह सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करता है और भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है।

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