Mahashasta Ashtaka Stotram
भगवान शास्ता, जिन्हें अय्यप्पा, हरिहरपुत्र, भूतनाथ, धर्मशास्ता आदि नामों से जाना जाता है, शिव और विष्णु के संयुक्त रूप से उत्पन्न हुए हैं। यह स्तोत्र उनके विविध स्वरूपों और लीलाओं का गुणगान करता है, जिसमें वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं, दुष्टों का संहार करते हैं और संसार में धर्म की स्थापना करते हैं।

महाशास्ता अष्टक स्तोत्रम् – മഹാ ശാസ്താ അഷ്ടകം
गजेन्द्रशार्दूलमृगेन्द्रवाहनं
मुनीन्द्रसंसेवितपादपङ्कजम् ।
देवीद्वयेनावृतपार्श्वयुग्मं
शास्तारमाद्यं सततं नमामि ॥
हरिहरभवमेकं सच्चिदानन्दरूपं
भवभयहरपादं भावनागम्यमूर्तिम् ।
सकलभुवनहेतुं सत्यधर्मानुकूलं
श्रितजनकुलपालं धर्मशास्तारमीडे ॥
हरिहरसुतमीशं वीरवर्यं सुरेशं
कलियुगभवभीतिध्वंसलीलावतारम् ।
जयविजयलक्ष्मी सुसंसृताजानुबाहुं
मलयगिरिनिवासं धर्मशास्तारमीडे ॥
परशिवमयमीड्यं भूतनाथं मुनीन्द्रं
करधृतविकचाब्जं ब्रह्मपञ्चस्वरूपम् ।
मणिमयसुकिरीटं मल्लिकापुष्पहारं
वरवितरणशीलं धर्मशास्तारमीडे ॥
हरिहरमयमाय बिम्बमादित्यकोटि-
त्विषममलमुखेन्दुं सत्यसन्धं वरेण्यम् ।
उपनिषदविभाव्यं ओंइतिध्यानगम्यं
मुनिजनहृदि चिन्त्यं धर्मशास्तारमीडे ॥
कनकमयदुकूलं चन्दनार्द्रावसिक्तं
सरसमृदुलहासं ब्राह्मणानन्दकारम् ।
मधुरसमयपाणिं मारजीवातुलीलं
सकलदुरितनाशं धर्मशास्तारमीडे ॥
मुनिजनगणसेव्यं मुक्तिसाम्राज्यमूलं
विदितसकलतत्वज्ञानमन्त्रोपदेशम् ।
इहपरफलहेतुं तारकं ब्रह्मसंज्ञं
षडरिमलविनाशं धर्मशास्तारमीडे ॥
मधुरसफलमुख्यैः पायसैर्भक्ष्यजालैः
दधिघृतपरिपूर्णैरन्नदानैस्सन्तुष्टम् ।
निजपदनमितानां नित्यवात्सल्यभावं
हृदयकमलमध्ये धर्मशास्तारमीडे ॥
भवगुणजनितानां भोगमोक्षाय नित्यं
हरिहरभवदेवस्याष्टकं सन्निधौ यः ।
पठति सकलभोगान् मुक्तिसाम्राज्यभाग्ये
भुवि दिवि खलु तस्मै नित्यतुष्टो ददाति ॥
महाशास्ता अष्टक स्तोत्रम् पाठ का महत्व और लाभ
- आध्यात्मिक उन्नति: इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से आत्मिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
- रक्षा और सुरक्षा: भगवान शास्ता की कृपा से सभी प्रकार की बाधाओं और संकटों से रक्षा होती है।
- इच्छापूर्ति: भक्तों की सच्ची और निष्कलंक इच्छाओं की पूर्ति होती है।
- धर्म मार्ग पर अग्रसर: यह स्तोत्र व्यक्ति को धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।