Durga Panchaka Stotram
दुर्गा पंचक स्तोत्रम् एक अत्यंत प्रभावशाली स्तुति है, जिसमें देवी दुर्गा के पाँच श्लोकों के माध्यम से उनकी महिमा, सौंदर्य, करुणा और भक्तों के प्रति उनकी कृपा का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन भक्तों के लिए उपयोगी है जो देवी दुर्गा की आराधना करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।

दुर्गा पंचक स्तोत्रम्
कर्पूरेण वरेण पावकशिखा शाखायते तेजसा
वासस्तेन सुकम्पते प्रतिपलं घ्राणं मुहुर्मोदते।
नेत्राह्लादकरं सुपात्रलसितं सर्वाङ्गशोभाकरं
दुर्गे प्रीतमना भव तव कृते कुर्वे सुनीराजनम्।।१।।
आदौ देवि ददे चतुस्तव पदे त्वं ज्योतिषा भाससे
दृष्ट्वैतन्मम मानसे बहुविधा स्वाशा जरीजृम्भते।
प्रारब्धानि कृतानि यानि नितरां पापानि मे नाशय
दुर्गे प्रीतमना भव तव कृते कुर्वे सुनीराजनम्।।२।।
नाभौ द्विः प्रददे नगेशतनये त्वद्भा बहु भ्राजते
तेन प्रीतमना नमामि सुतरां याचेपि मे कामनाम्।
शान्तिर्भूतिततिर्विभातु सदने निःशेषसौख्यं सदा
दुर्गे प्रीतमना भव तव कृते कुर्वे सुनीराजनम्।।३।।
आस्ये तेऽपि सकृद् ददे द्युतिधरे चन्द्राननं दीप्यते
दृष्ट्वा मे हृदये विराजति महाभक्तिर्दयासागरे।
नत्वा त्वच्चरणौ रणाङ्गनमनःशक्तिं सुखं कामये
दुर्गे प्रीतमना भव तव कृते कुर्वे सुनीराजनम्।।४।।
मातो मङ्गलसाधिके शुभतनौ ते सप्तकृत्वो ददे
तस्मात् तेन मुहुर्जगद्धितकरं सञ्जायते सन्महः।
तद्भासा विपदः प्रयान्तु दुरितं दुःखानि सर्वाणि मे
दुर्गे प्रीतमना भव तव कृते कुर्वे सुनीराजनम्।।५।।
दुर्गा पंचक स्तोत्रम् का महत्व
- प्रातःकालीन पाठ: इस स्तोत्र का प्रातःकाल पाठ करने से दिन की शुभ शुरुआत होती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- भय और कष्टों से मुक्ति: देवी दुर्गा की स्तुति करने से भय, कष्ट और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: नियमित पाठ से आध्यात्मिक उन्नति होती है और आत्मबल में वृद्धि होती है।
पाठ विधि और लाभ
- पाठ का समय: प्रातःकाल या संध्या समय में शांत वातावरण में बैठकर पाठ करें।
- पाठ की विधि: शुद्ध मन और श्रद्धा के साथ प्रत्येक श्लोक का उच्चारण करें।
- लाभ:
- मानसिक शांति और आत्मबल में वृद्धि।
- भय, कष्ट और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति।
- आध्यात्मिक उन्नति और देवी दुर्गा की कृपा की प्राप्ति।