Mahalakshmi Ashtakam In Hindi
महालक्ष्मी अष्टक(Mahalakshmi Ashtakam) देवी लक्ष्मी की स्तुति में रचित एक प्रसिद्ध स्तोत्र है, जिसे भक्त धन, समृद्धि, और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए गाते हैं। यह स्तोत्र भगवान विष्णु की अर्धांगिनी और धन की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी को समर्पित है। महालक्ष्मी अष्टक में आठ श्लोक होते हैं, जिनमें देवी लक्ष्मी की महिमा, उनकी कृपा, और उनके आशीर्वाद की महत्ता का वर्णन किया गया है। यह अष्टक मुख्यतः संस्कृत भाषा में रचित है और इसका उल्लेख पुराणों में मिलता है। इसे विष्णु पुराण और पद्म पुराण जैसे ग्रंथों में विशेष रूप से पढ़ा और पूजा में सम्मिलित किया जाता है। दीपावली, धनतेरस, और शुक्रवार के दिन इसे पढ़ने का विशेष महत्व माना जाता है।
महालक्ष्मी अष्टक का पाठ (Mahalakshmi Ashtakam)
महालक्ष्मी अष्टक के श्लोक सरल, प्रभावशाली और भक्तिपूर्ण हैं। इनमें देवी लक्ष्मी के विभिन्न रूपों, उनके सौंदर्य, उनके आशीर्वाद, और भक्तों पर उनकी कृपा का उल्लेख किया गया है। इसके आठ श्लोक इस प्रकार हैं:
श्लोक 1:
नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥
श्लोक 2:
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥
श्लोक 3:
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयंकरि।
सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥
श्लोक 4:
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।
मन्त्रमूर्ते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥
श्लोक 5:
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्ति महेश्वरि।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥
श्लोक 6:
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्ति महोदरे।
महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥
श्लोक 7:
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥
श्लोक 8:
श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥
महालक्ष्मी अष्टक का महत्व Mahalakshmi Ashtakam Importance
- धन और समृद्धि की प्राप्ति:
महालक्ष्मी अष्टक का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को धन, सुख, और समृद्धि प्राप्त होती है। - कर्ज और दरिद्रता से मुक्ति:
इस स्तोत्र को श्रद्धा और विश्वास के साथ गाने से कर्ज और दरिद्रता से छुटकारा मिलता है। - आध्यात्मिक और मानसिक शांति:
देवी लक्ष्मी की कृपा से मानसिक शांति, आत्मबल, और जीवन में स्थिरता का अनुभव होता है। - सकारात्मक ऊर्जा का संचार:
महालक्ष्मी अष्टक का पाठ घर और मन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है, जिससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
महालक्ष्मी अष्टक पाठ के नियम
- स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद महालक्ष्मी अष्टक का पाठ करना चाहिए।
- दीप जलाकर और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठकर पाठ करें।
- शुक्रवार, पूर्णिमा, और दीपावली के दिन इसका पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- इसे 11, 21 या 108 बार पढ़ने का विधान है।
महालक्ष्मी अष्टक पर आधारित सामान्य प्रश्न और उत्तर (FAQs for Mahalakshmi Ashtakam)
महालक्ष्मी अष्टक क्या है?
महालक्ष्मी अष्टक देवी महालक्ष्मी की स्तुति में लिखा गया एक प्रसिद्ध स्तोत्र है, जिसमें आठ श्लोक शामिल हैं।
महालक्ष्मी अष्टक का पाठ करने से क्या लाभ होता है?
महालक्ष्मी अष्टक का पाठ धन, समृद्धि, सुख-शांति और देवी महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
महालक्ष्मी अष्टक का पाठ कब करना चाहिए?
महालक्ष्मी अष्टक का पाठ विशेष रूप से शुक्रवार और दीपावली जैसे शुभ अवसरों पर किया जाता है।
महालक्ष्मी अष्टक में किस प्रकार की प्रार्थना की गई है?
पाठ करने से पहले स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें, देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं, और श्रद्धा के साथ अष्टक का पाठ करें।
क्या महालक्ष्मी अष्टक का पाठ घर में किसी भी समय किया जा सकता है?
हां, महालक्ष्मी अष्टक का पाठ घर में किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन इसे शुभ मुहूर्त में या पूजा के समय करना अधिक लाभकारी माना जाता है।