Lakshmi Ashtakam In Hindi
लक्ष्मी अष्टकम्(Lakshmi Ashtakam) एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली स्तोत्र है, जो माता लक्ष्मी की स्तुति के लिए रचित है। यह स्तोत्र श्री लक्ष्मी देवी की महिमा, उनके दिव्य गुणों और भक्तों को प्रदान किए जाने वाले आशीर्वादों का वर्णन करता है। इसका पाठ करने से व्यक्ति को धन, ऐश्वर्य, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
लक्ष्मी अष्टकम् के श्लोकों की व्याख्या Lakshmi Ashtakam
- “यस्याः कटाक्षमात्रेण ब्रह्मरुद्रेन्द्रपूर्वकाः।”
इस श्लोक में कहा गया है कि केवल माता लक्ष्मी के कृपादृष्टि से ब्रह्मा, रुद्र (शिव) और इंद्र जैसे देवताओं ने अपने-अपने पदों को प्राप्त किया। माता लक्ष्मी से प्रार्थना है कि वे हम पर भी कृपा करें। - “याऽनादिकालतो मुक्ता सर्वदोषविवर्जिता।”
माता लक्ष्मी अनादिकाल से दोषों से मुक्त हैं। वे भगवान विष्णु के अनुग्रह का प्रतीक हैं। इस श्लोक में उनके पवित्र स्वरूप की प्रशंसा की गई है। - “देशतः कालतश्चैव समव्याप्ता च तेन या।”
माता लक्ष्मी का प्रभाव देश और काल की सीमाओं से परे है। वे सर्वव्यापी हैं और भगवान विष्णु के अनुरूप हैं। - “ब्रह्मादिभ्योऽधिकं पात्रं केशवानुग्रहस्य या।”
इस श्लोक में कहा गया है कि माता लक्ष्मी ब्रह्मा आदि सभी देवताओं से श्रेष्ठ हैं। वे सभी लोकों की जननी हैं और भगवान विष्णु के अनुग्रह को प्राप्त करने का सर्वोच्च माध्यम हैं। - “विश्वोत्पत्तिस्थितिलया यस्या मन्दकटाक्षतः।”
माता लक्ष्मी के मंद कटाक्ष से ही सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति और लय होती है। वे भगवान विष्णु की प्रिय हैं। - “यदुपासनया नित्यं भक्तिज्ञानादिकान् गुणान्।”
इस श्लोक में बताया गया है कि जो भी भक्त माता लक्ष्मी की उपासना करता है, उसे भक्ति, ज्ञान और अन्य सद्गुणों की प्राप्ति होती है। - “अनालोच्याऽपि यज्ज्ञानमीशादन्यत्र सर्वदा।”
माता लक्ष्मी का ज्ञान सीमाओं से परे है और वह समस्त वस्तुओं को समाहित करता है। वे हमेशा अपने भक्तों पर कृपा करती हैं। - “अभीष्टदाने भक्तानां कल्पवृक्षायिता तु या।”
माता लक्ष्मी को कल्पवृक्ष के समान कहा गया है, जो भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं। उनकी उपासना से भक्त के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
लक्ष्मी अष्टकम् का महत्व Lakshmi Ashtakam Importance
- यह स्तोत्र धन और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पाठ किया जाता है।
- नियमित पाठ करने से भक्त के जीवन में सुख, शांति और ऐश्वर्य का आगमन होता है।
- श्लोकों में माता लक्ष्मी के दिव्य गुणों का वर्णन है, जो भक्त के मन में सकारात्मकता और भक्ति की भावना जागृत करता है।
- इस स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से धनतेरस, दीपावली और शुक्रवार के दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।
लक्ष्मी अष्टकम् का पाठ कैसे करें
- स्वच्छता का ध्यान रखते हुए शांत और पवित्र मन से पाठ करें।
- दीप जलाकर माता लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र के सामने इस स्तोत्र का उच्चारण करें।
- पाठ करते समय मन में भक्ति और श्रद्धा का संचार होना चाहिए।
- “श्री लक्ष्मी अष्टकम्” के साथ माता लक्ष्मी के 108 नामों का जप भी किया जा सकता है।
लक्ष्मी अष्टकम् Lakshmi Ashtakam
यस्याः कटाक्षमात्रेण ब्रह्मरुद्रेन्द्रपूर्वकाः।
सुराः स्वीयपदान्यापुः सा लक्ष्मीर्मे प्रसीदतु।
याऽनादिकालतो मुक्ता सर्वदोषविवर्जिता।
अनाद्यनुग्रहाद्विष्णोः सा लक्ष्मी प्रसीदतु।
देशतः कालतश्चैव समव्याप्ता च तेन या।
तथाऽप्यनुगुणा विष्णोः सा लक्ष्मीर्मे प्रसीदतु।
ब्रह्मादिभ्योऽधिकं पात्रं केशवानुग्रहस्य या।
जननी सर्वलोकानां सा लक्ष्मीर्मे प्रसीदतु।
विश्वोत्पत्तिस्थितिलया यस्या मन्दकटाक्षतः।
भवन्ति वल्लभा विष्णोः सा लक्ष्मीर्मे प्रसीदतु।
यदुपासनया नित्यं भक्तिज्ञानादिकान् गुणान्।
समाप्नुवन्ति मुनयः सा लक्ष्मीर्मे प्रसीदतु।
अनालोच्याऽपि यज्ज्ञानमीशादन्यत्र सर्वदा।
समस्तवस्तुविषयं सा लक्ष्मीर्मे प्रसीदतु।
अभीष्टदाने भक्तानां कल्पवृक्षायिता तु या।
सा लक्ष्मीर्मे ददात्विष्टमृजुसङ्घसमर्चिता।
एतल्लक्ष्म्यष्टकं पुण्यं यः पठेद्भक्तिमान् नरः।
भक्तिज्ञानादि लभते सर्वान् कामानवाप्नुयात्।
इस प्रकार, लक्ष्मी अष्टकम् भक्तों को देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने और अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भरने का मार्ग प्रदान करता है।
लक्ष्मी अष्टकम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उतर
लक्ष्मी अष्टकम् किसने लिखा है?
लक्ष्मी अष्टकम् देवराज इंद्र द्वारा रचित किया गया था। यह इंद्रकृत महालक्ष्म्यष्टकम् के नाम से भी जाना जाता है
लक्ष्मी अष्टकम् के पाठ का सबसे अच्छा समय क्या है?
लक्ष्मी अष्टकम् का पाठ प्रतिदिन तीन बार – प्रातः, दोपहर और संध्या काल में करने से सर्वोत्तम फल की प्राप्ति होती है
लक्ष्मी अष्टकम् पाठ से क्या लाभ होते हैं?
लक्ष्मी अष्टकम् के पाठ से निम्नलिखित लाभ होते हैं:
एक बार पाठ करने से महापापों का नाश
दो बार पाठ करने से धन-धान्य की प्राप्ति
तीन बार पाठ करने से शत्रुओं का नाश और माता लक्ष्मी की विशेष कृपाक्या लक्ष्मी अष्टकम् का पाठ रोज करना चाहिए?
हाँ, लक्ष्मी अष्टकम् का नित्य पाठ करना चाहिए। यह पाठ मात्र 5 मिनट में पूरा हो जाता है और जीवन को सुखी, समृद्ध एवं खुशहाल बनाने में सहायक है
लक्ष्मी अष्टकम् कितने श्लोकों का होता है?
लक्ष्मी अष्टकम् कुल 11 श्लोकों का होता है, जिसमें 8 मुख्य श्लोक हैं और 3 फलस्तुति के श्लोक हैं
लक्ष्मी अष्टकम् किसको समर्पित है?
लक्ष्मी अष्टकम् देवी लक्ष्मी के आठ रूपों की भक्ति में समर्पित एक स्तोत्र है। यह धन-धान्य और सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली देवी लक्ष्मी की स्तुति है