Jambukeshwari Stotram
जम्बुकेश्वरी स्तोत्रम् (Jambukeshwari Stotram) एक अत्यंत पावन और दिव्य स्तुति है, जो देवी पार्वती के जम्बुकेश्वरी रूप की स्तुति करती है। यह स्तोत्र दक्षिण भारत के प्रसिद्ध त्रिची (तिरुचिरापल्ली) में स्थित जम्बुकेश्वर मंदिर की अधिष्ठात्री देवी को समर्पित है। इस मंदिर में देवी पार्वती अपर्णा या अक्षया करुणामयी और भगवान शिव जम्बुकेश्वर के रूप में पूजे जाते हैं।
जम्बुकेश्वरी देवी का परिचय
- जम्बुकेश्वरी देवी माँ पार्वती का वह स्वरूप हैं, जिन्होंने भगवान शिव से ज्ञान, तप और त्याग की विद्या प्राप्त की।
- ये पंचभूत स्थलों में से जल तत्व (Water Element) का प्रतिनिधित्व करने वाले अप्तस्थल (Jambu Teertha) की देवी मानी जाती हैं।
- देवी यहाँ योगमुद्रा में विराजमान हैं, जबकि शिवजी शिक्षक रूप में प्रतिष्ठित हैं।
Jambukeshwari Stotram
अपराधसहस्राणि ह्यपि कुर्वाणे मयि प्रसीदाम्ब।
अखिलाण्डदेवि करुणावाराशे जम्बुकेशपुण्यतते।
ऊर्ध्वस्थिताभ्यां करपङ्कजाभ्यां
गाङ्गेयपद्मे दधतीमधस्तात्।
वराभये सन्दधतीं कराभ्यां
नमामि देवीमखिलाण्डपूर्वाम्।
जम्बूनाथमनोऽम्बुजात- दिनराड्बालप्रभासन्ततिं
शम्बूकादिवृषावलिं कृतवतीं पूर्वं कृतार्थामपि।
कम्बूर्वीधरधारिणीं वपुषि च ग्रीवाकुचव्याजतो
ह्यम्बूर्वीधररूपिणीं हृदि भजे देवीं क्षमासागरीम्।
जम्बूमूलनिवासं कम्बूज्ज्वलगर्व- हरणचणकण्ठम्।
अम्बूर्वीधररूपं शम्बूकादेर्वरप्रदं वन्दे।
जम्बुकेश्वरी स्तोत्रम् की पाठ विधि:
- स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर बैठें।
- दीप, अगरबत्ती एवं जल पात्र के साथ देवी की पूजा करें।
- “ॐ जम्बुकेश्वर्यै नमः” मंत्र के साथ 11 बार नामस्मरण करें।
- इसके बाद पूरे स्तोत्र का एकाग्रचित्त होकर पाठ करें।
- अंत में प्रार्थना करें कि देवी आपकी बुद्धि, चित्त और कर्म को शुद्ध करें।
जम्बुकेश्वरी स्तोत्रम् का लाभ:
- आत्मिक बल और मानसिक शांति की प्राप्ति।
- जलतत्त्व के असंतुलन से उत्पन्न रोगों का निवारण।
- गृहस्थ जीवन में संतुलन और शांति।
- ध्यान एवं साधना में सफलता।
- आध्यात्मिक मार्ग पर बढ़ने में सहायक।