प्रदोष स्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण और लोकप्रिय हिन्दू धार्मिक स्तोत्र है, जो भगवान शिव की स्तुति के लिए समर्पित है। इसे विशेष रूप से प्रदोष काल के समय, जो कि त्रयोदशी तिथि की संध्या का समय होता है, पाठ करने का विधान है। प्रदोष काल को शिव के पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है, और इस समय शिव की उपासना से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
प्रदोष काल: Pradosh Stotram
प्रदोष काल का समय त्रयोदशी तिथि की संध्या होती है, जो सूर्यास्त से लगभग एक घंटा पहले शुरू होती है। इस समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस समय शिव अपनी भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
प्रदोष स्तोत्रम् का महत्व: Importance of Pradosh Stotram
प्रदोष स्तोत्रम् का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और संकटों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। इस स्तोत्र में भगवान शिव की महिमा और उनके विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है, जिनसे भक्तों को भगवान शिव की अनंत शक्तियों और दयालुता का एहसास होता है।
प्रदोष स्तोत्रम् के लाभ: Benifits of Pradosh Stotram
- कष्टों से मुक्ति: प्रदोष स्तोत्रम् के नियमित पाठ से जीवन के कष्टों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
- धन और समृद्धि: यह स्तोत्र आर्थिक कठिनाइयों को दूर करने में सहायक होता है और परिवार में सुख-समृद्धि की प्राप्ति करता है।
- स्वास्थ्य लाभ: भगवान शिव की कृपा से रोगों का नाश होता है और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तोत्र व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है और उसे आत्मिक शांति प्रदान करता है।
- विवाह और संतान सुख: प्रदोष स्तोत्र का पाठ अविवाहितों के लिए शुभ माना गया है। यह स्तोत्र वैवाहिक जीवन में सुख और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देता है।
प्रदोष स्तोत्रम् का पाठ कैसे करें: How to read Pradosh Stotram Paath
- स्नान: पहले शुद्ध होकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- शिव की प्रतिमा या चित्र: भगवान शिव का ध्यान करते हुए उनके समक्ष दीप, धूप, और नैवेद्य अर्पित करें।
- शिव मंत्र: शिव पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का उच्चारण करते हुए प्रदोष स्तोत्रम् का पाठ करें।
- श्रद्धा और समर्पण: पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ इस स्तोत्र का उच्चारण करें।
प्रदोष स्तोत्रम् के श्लोक: Pradosh Stotram Sloka
प्रदोष स्तोत्रम् में भगवान शिव की विभिन्न लीलाओं और गुणों का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र अत्यंत प्रभावशाली है और इसके पाठ से भक्त के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
प्रदोष स्तोत्रम् Pradosh Stotram Lyrics
श्री गणेशाय नमः ।
जय देव जगन्नाथ जय शङ्कर शाश्वत ।
जय सर्वसुराध्यक्ष जय सर्वसुरार्चित ॥१॥
जय सर्वगुणातीत जय सर्ववरप्रद ।
जय नित्य निराधार जय विश्वम्भराव्यय ॥२॥
जय विश्वैकवन्द्येश जय नागेन्द्रभूषण ।
जय गौरीपते शम्भो जय चन्द्रार्धशेखर ॥३॥
जय कोट्यर्कसङ्काश जयानन्तगुणाश्रय ।
जय भद्र विरूपाक्ष जयाचिन्त्य निरञ्जन ॥४॥
जय नाथ कृपासिन्धो जय भक्तार्तिभञ्जन ।
जय दुस्तरसंसारसागरोत्तारण प्रभो ॥५॥
प्रसीद मे महादेव संसारार्तस्य खिद्यतः ।
सर्वपापक्षयं कृत्वा रक्ष मां परमेश्वर ॥६॥
महादारिद्र्यमग्नस्य महापापहतस्य च ।
महाशोकनिविष्टस्य महारोगातुरस्य च ॥७॥
ऋणभारपरीतस्य दह्यमानस्य कर्मभिः ।
ग्रहैः प्रपीड्यमानस्य प्रसीद मम शङ्कर ॥८॥
दरिद्रः प्रार्थयेद्देवं प्रदोषे गिरिजापतिम् ।
अर्थाढ्यो वाऽथ राजा वा प्रार्थयेद्देवमीश्वरम् ॥९॥
दीर्घमायुः सदारोग्यं कोशवृद्धिर्बलोन्नतिः ।
ममास्तु नित्यमानन्दः प्रसादात्तव शङ्कर ॥१०॥
शत्रवः संक्षयं यान्तु प्रसीदन्तु मम प्रजाः ।
नश्यन्तु दस्यवो राष्ट्रे जनाः सन्तु निरापदः ॥११॥
दुर्भिक्षमरिसन्तापाः शमं यान्तु महीतले ।
सर्वसस्यसमृद्धिश्च भूयात्सुखमया दिशः ॥१२॥
एवमाराधयेद्देवं पूजान्ते गिरिजापतिम् ।
ब्राह्मणान्भोजयेत् पश्चाद्दक्षिणाभिश्च पूजयेत् ॥१३॥
सर्वपापक्षयकरी सर्वरोगनिवारणी ।
शिवपूजा मयाऽऽख्याता सर्वाभीष्टफलप्रदा ॥१४॥
॥इति प्रदोषस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥