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शुक्रवार, मई 9, 2025

मत्स्य स्तोत्रम्

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मत्स्य स्तोत्रम् Matsya Stotram Lyrics

श्रीगणेशाय नमः ॥
नूनं त्वं भगवान्साक्षाद्धरिर्नारायणोऽव्ययः ।
अनुग्रहाय भूतानां धत्से रुपं जलौकसाम् ॥ १ ॥


नमस्ते पुरुषश्रेष्ठ स्थित्युत्पत्त्यप्ययेश्‍वर ।
भक्‍तानां नः प्रपन्नानां मुख्यो ह्यात्मगतिर्विभो ॥ २ ॥


सर्वे लीलावतारास्ते भूतानां भूतिहेतवः ।
ज्ञातुमिच्छाम्यदो रूपं यदर्थं भवता धृतम् ॥ ३ ॥


न तेऽरविन्दाक्ष पदोपसर्पणं मृषा भवेत्सर्वसुह्रत्प्रियात्मनः ।
यथेतरेषां पृथगात्मनां सतामदीदृशो यद्वपुरद्‌भुतं हि नः ॥ ४ ॥


इति श्रीमद्भागवतातर्गतं मत्स्यस्तोत्रं सपूर्णम् ।

 

 

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