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शुक्रवार, अगस्त 15, 2025

ॠणमोचन महागणपति स्तोत्रम् Runamochana Mahaganapati Strotram

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ॠणमोचन महागणपति स्तोत्रम् Runamochana Mahaganapati Strotram

ॐ अस्य श्रीॠणमोचन महागणपतिस्त्रोत्र मंत्रस्य भगवान् शुक्राचार्याॠषि:
ॠणमोचनगणपतिर्देवता ॠणमोचनार्थे जपे विनियोगः

ॐ स्मरामि देवदेवेशं वक्रतुण्डं महाबलं ॥
महाविध्नहरं सौम्यं नमामि ॠणमुक्तये ॥१॥

महागणपतिं देवं महासत्यं महाबलं ॥
महाविध्नहरं सौम्यं नमामि ॠणामुक्तये ॥२॥

एकाक्षरं एकदंतं एकब्रह्मसनातनं ॥
एकमेवारव्दितीयं च नममि ॠणामुक्तये ॥३॥

रक्तांबरं रक्तवर्णं रक्तंगधानुलेपनं ॥
रक्तपुष्पै: पूजामानं नमामि ॠणामुक्तये ॥४॥

कृष्णांबरं कृष्णवर्णं कृष्णगंधानुलेपनं ॥
कृष्णपुष्पै: पूज्यमानं नमामि ॠणमुक्तये ॥५॥

पीतांबरं पीतवर्णं पीतगंधानुलेपनं ॥
पीतपुष्पै: पूज्यमानं नमामि ॠणमुक्तये ॥६॥

धूम्रांबारं धूम्रवर्णं धूम्रगंधानुलेपनं ॥
धूम्रपष्पै: पूज्यमानं नमामि ॠणमुक्तये ॥७॥

सर्वांबरं सर्ववर्णं सर्वगंधानुलेपनं ॥
सर्वपुष्पै: पूज्यमानं नमामि ॠणमुक्तये ॥८॥

भद्रजातं च रुपं च पाशांकुशधरं शुभं ॥
सर्वविघ्नहरं देवं नमामि ॠणमुक्तये ॥९ ॥

यः पठेत् ॠणहरस्तोत्रं प्रातःकाले शुचिर्नरः ॥
षण्मासाभ्यंतरे चैव ॠणच्छेदो भविष्यति ॥१०॥

इति श्रीब्रह्मांडपुराणे ॠणमोचनमहागणपतिस्तोत्रं संपूर्णम् ।

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