Jyon Jyon Main Peche Hatata Hoon Tyon Tyon Tum Aage Aate
ज्यों ज्यों मैं पीछे हटता हूँ त्यों त्यों तुम आगे आते ।
छिपे हुए परदोंमें अपना मोहन मुखड़ा दिखलाते ।।
पर मैं अंधा ! नहीं देखता परदोंके अंदरकी चीज़ ।
मोह-मुग्ध मैं देखा करता परदे बहुरंगे नाचीज़ ॥ १ ॥
परदोंके अंदरसे तुम हँसते प्यारी मधुरी हाँसी ।
चित्त खींचनेको तुम तुरत बजा देते मीठी बाँसी ॥
सुनता हूँ, मोहित होता, दर्शनकी भी इच्छा करता ।
पाता नहीं देख, पर, जडमति ! इधर-उधर मारा फिरता ।। २ ।।
तरह तरहसे ध्यान खींचते करते विविध भाँति संकेत ।
चौकन्ना-सा रह जाता हूँ, नहीं समझता मूर्ख अचेत ॥
तो भी नहीं ऊबते हो तुम, परदा जरा उठाते हो।
धीरेसे संबोधन करके अपने निकट बुलाते हो ॥ ३ ॥
इतने पर भी नहीं देखता, सिंह गर्जना तब करते ।
तन-मन-प्राण काँप उठते हैं, नहीं धीर कोई घरते ।।
डरता, भाग छूटता, तब आश्वासन देकर समझाते ।
ज्यों ज्यों मैं पीछे हटता हूँ त्यों त्यों तुम आगे आते || ४ ||