29.9 C
Gujarat
मंगलवार, जुलाई 1, 2025

ज्यों ज्यों मैं पीछे हटता हूँ त्यों त्यों तुम आगे आते

Post Date:

Jyon Jyon Main Peche Hatata Hoon Tyon Tyon Tum Aage Aate

ज्यों ज्यों मैं पीछे हटता हूँ त्यों त्यों तुम आगे आते ।

छिपे हुए परदोंमें अपना मोहन मुखड़ा दिखलाते ।।

पर मैं अंधा ! नहीं देखता परदोंके अंदरकी चीज़ ।

मोह-मुग्ध मैं देखा करता परदे बहुरंगे नाचीज़ ॥ १ ॥

परदोंके अंदरसे तुम हँसते प्यारी मधुरी हाँसी ।

चित्त खींचनेको तुम तुरत बजा देते मीठी बाँसी ॥

सुनता हूँ, मोहित होता, दर्शनकी भी इच्छा करता ।

पाता नहीं देख, पर, जडमति ! इधर-उधर मारा फिरता ।। २ ।।

तरह तरहसे ध्यान खींचते करते विविध भाँति संकेत ।

चौकन्ना-सा रह जाता हूँ, नहीं समझता मूर्ख अचेत ॥

तो भी नहीं ऊबते हो तुम, परदा जरा उठाते हो।

धीरेसे संबोधन करके अपने निकट बुलाते हो ॥ ३ ॥

इतने पर भी नहीं देखता, सिंह गर्जना तब करते ।

तन-मन-प्राण काँप उठते हैं, नहीं धीर कोई घरते ।।

डरता, भाग छूटता, तब आश्वासन देकर समझाते ।

ज्यों ज्यों मैं पीछे हटता हूँ त्यों त्यों तुम आगे आते || ४ ||

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

राहु कवच

राहु कवच : राहु ग्रह का असर खत्म करें...

Rahu Mantra

Rahu Mantraराहु ग्रह वैदिक ज्योतिष में एक छाया ग्रह...

ऋग्वेद हिंदी में

ऋग्वेद (Rig veda in Hindi PDF) अर्थात "ऋचाओं का...

Pradosh Stotram

प्रदोष स्तोत्रम् - Pradosh Stotramप्रदोष स्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण और...
error: Content is protected !!