32.9 C
Gujarat
रविवार, अगस्त 10, 2025

देख निज नित्य निकेतन द्वार

Post Date:

Dekh Nij Nity Niketan Dvaar

देख निज नित्य निकेतन द्वार ।

भूला निज निर्मल स्वरूपको, भूला कुल-व्यवहार ।

फूला, फसा फिर रहा संतत, सहता जग-फटकार ।।

पर-पुर, पर-घरमें प्रवेश कर, पाला पर-परिवार ।

पड़ा पाँच चोरोंके पल्ले, लुटा, हुआ लाचार ।।

अब भी चेत, ग्रहणकर सत्पथ, तज माया-आगार ।

उज्ज्वल प्रेम-प्रकाश साथ ले, चल निज गृह सुखसार ।।

शम-दमादिसे तुरत निघनकर काम-क्रोध बटमार ।

सेवन कर पुनीत सत-संगति पथशाला श्रमहार ।।

श्रीहरिनाम शमन-भय-नाशक निर्भय नित्य पुकार ।

पातकपुंज नाश हों सुनकर ‘हरि-हरि-हरि’ हुंकार ।।

आश्रय कर शरणागतवत्सल प्रभु-पद-कमल उदार !

निज घर पहुँच, नित्य चिन्मय बन, भूमानंद अपार ।।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

सर्व शिरोमणि विश्व सभा के आत्मोपम विश्वंभर के – Sarv Shiromani Vishv Sabhaake

सर्व शिरोमणि विश्व सभा के आत्मोपम विश्वंभर केसर्व-शिरोमणि विश्व-सभाके,...

सौंप दिये मन प्राण उसी को मुखसे गाते उसका नाम – Saump Diye Man Praan Useeko

सौंप दिये मन प्राण उसी को मुखसे गाते उसका...

भीषण तम परिपूर्ण निशीथिनि – Bheeshan Tamapariporn Nishethini

भीषण तम परिपूर्ण निशीथिनिभीषण तमपरिपूर्ण निशीथिनि, निविड निरर्गल झंझावात...

अनोखा अभिनय यह संसार

Anokha Abhinay Yah Sansarअनोखा अभिनय यह संसार ! रंगमंचपर...
error: Content is protected !!