33.9 C
Gujarat
गुरूवार, मार्च 6, 2025

सकल जग हरिको रूप निहार

Post Date:

Sakal Jag Hariko Roop Nihar

सकल जग हरिको रूप निहार ।

हरि बिनु विश्व कतहुँ कोउ नाहीं, मिथ्या भ्रम संसार ।।

अलख निरंजन, सब जग व्यापक, सब जगको आधार ।

नहिं आधार, नाहिं कोउ हरिमहँ, केवल हरि-विस्तार ।।

अति समीप, अति दूर, अनोखे, जगमहूँ, जगतें पार ।

पय-घृत, पावक-काष्ठ, बीजमहँ, तरु-फल पल्लव-डार ।।

तिमि हरि व्यापक अखिल विश्वमहँ, आनंद पूर्ण अपार ।

एहि बिधि एक बार निरखत ही, भव-बारिधि हो पार ।।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

संकटमोचन हनुमानाष्टक

Sankatmochan Hanuman Ashtak In Hindiसंकटमोचन हनुमानाष्टक(Sankatmochan Hanuman Ashtak) भगवान...

ब्राह्मण और बिच्छूकी कथा

ब्राह्मण और बिच्छूकी कथा - Brahman Aur Bichchho ki...

आज मेरे श्याम की शादी है

Aaj Mere Shyam Kee Shade Hai आज मेरे श्याम की...