सूर्य सोम में वायु व्योम में सलिल धार धरनीमें तुम
Sury Som mai Vayu Vyoma Mai
सूर्य-सोममें, वायु-व्योममें, सलिल-धार, धरनीमें तुम !
सुत-कलत्रमें, पुष्प-पत्रमें, स्वर्ण-अश्म-अरणीमें तुम !
शत्रु-मित्रमें, सुख-अमर्षमें, अनल अतल सागर में तुम !
सबमें, सभी दिशामें छाये केवल हे नटनागर ! तुम !